बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज वैशाली जिले के नगमा गांव में प्रगति यात्रा के तहत पहुंचे। इस दौरान जिला प्रशासन ने चाक-चौबंद व्यवस्था का दावा किया। सभी विभागों ने अपनी योजनाओं की उपलब्धियां दिखाने की पूरी तैयारी की थी। लेकिन अधिकारियों द्वारा सरकारी योजनाओं की असली स्थिति छिपाने के लिए फर्जीवाड़ा करने का मामला सामने आया है।
ग्रामीणों का आरोप है कि नल-जल योजना के तहत सरकारी नलकूपों के साथ ही निजी हैंडपंपों को भी पीले रंग से रंग दिया गया, ताकि उन्हें सरकारी हैंडपंप दिखाया जा सके। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह कार्रवाई रात में की गई, जब वे सो रहे थे। निजी हैंडपंपों को सरकारी नलकूप की तरह दिखाने के लिए प्रशासन ने रातोंरात पेंट करा दिया।
सद्दाम हुसैन ने बताया, “यह हमारा निजी हैंडपंप है, लेकिन इसे प्रशासन ने सरकारी दिखाने के लिए रंग दिया।”राबिया खातून ने कहा, “हम घर पर नहीं थे, उसी दौरान पेंटर आया और हमारे प्राइवेट हैंडपंप को पीले रंग से रंगकर चला गया।”उर्मिला देवी ने कहा, “रात में जब हम सो रहे थे, तभी कोई पेंटर आया और हमारे निजी चापाकल को रंगकर चला गया। हमें पता भी नहीं चला कि यह किसने किया। इसकी जांच होनी चाहिए।”सरकार की योजनाओं की प्रगति दिखाने के इस प्रयास का सच उजागर होने के बाद फर्जीवाड़े की तस्वीरें वायरल हो गई हैं। ग्रामीणों ने प्रशासन की इस कार्रवाई पर नाराजगी जताई है और मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है।
प्रशासन की इस हरकत ने न केवल सरकारी योजनाओं की सच्चाई पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की यात्रा के दौरान किए गए दावों को भी कठघरे में खड़ा कर दिया है। अब देखना होगा कि इस मामले में सरकार और प्रशासन क्या कदम उठाते हैं।