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वर्ल्ड हियरिंग डे पर पारस एचएमआरआई के विशेषज्ञों ने दी जागरूकता बढ़ाने की सलाह

 अब बोल और सुन सकेंगे पांच साल तक के मूक-बधिर बच्चे
• केंद्र सरकार की एडीआईपी योजना से बच्चों को मिलेगा लाभ
• यूनिलेटरल हियरिंग लॉस वाले मरीजों का भी हो रहा इलाज

पटना। वर्ल्ड हियरिंग डे (3 मार्च) के अवसर पर पारस एचएमआरआई हॉस्पिटल, पटना के ईएनटी विशेषज्ञों ने सुनने की समस्याओं के प्रति जागरूकता बढ़ाने की अपील की है। विशेषज्ञों का कहना है कि समय पर जांच और सही इलाज से सुनने की क्षमता को बचाया जा सकता है।

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पारस एचएमआरआई की ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. रश्मि प्रसाद ने बताया कि जो मरीज तेज आवाज या वायरल इंफेक्शन के कारण अपने किसी एक कान या दोनो कान से सुनने की क्षमता खो बैठे हैं, ऐसे लोगों के लिए बोन एंकर हियरिंग एड (BAHA) की सुविधा भी पारस एचएमआरआई अस्पताल में प्रदान की जा रही है। माइक्रोसिया (जिनके बाहरी कान जन्मजात नहीं होते) वैसे पांच साल से ऊपर के पीड़ित बच्चों में भी बाहा इम्प्लांट लगाया जा सकता है। इससे माइक्रोसिया पीड़ित बच्चे भी आसानी से सुन सकेंगे। उन्होंने कहा कि मुंबई, बंगलुरू जैसे विकसित शहरों में जागरूकता अधिक होने के कारण लोग बाहा (BAHA) तकनीक से इम्प्लांट कराकर अपने सुनने की क्षमता फिर से प्राप्त कर रहे हैं लेकिन बिहार में जानकारी या जागरूकता की कमी से लोग इसका लाभ नहीं ले पा रहे हैं और बाहर के प्रदेशों में इलाज के लिए चक्कर लगाकर आर्थिक क्षति भी उठा रहे हैं, जबकि पारस एचएमआरआई में ही इसके इलाज की मुकम्मल व्यवस्था है।

ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. अभिनीत लाल ने बताया कि सुनने की समस्या केवल बुजुर्गों तक सीमित नहीं है, बल्कि छोटे बच्चों में भी यह समस्या देखी जाती है। उन्होंने बताया कि पांच साल तक के मूक-बधिर गरीब बच्चों का कॉक्लीयर इम्प्लांट मुफ्त किया जा रहा है। केंद्र सरकार की एडीआईपी योजना के तहत पारस एचएमआरआई अस्पताल में बच्चों को इसका लाभ मिल रहा है। जिससे कई बच्चों को सुनने की शक्ति वापस मिली है।
ईएनटी विशेषज्ञ *डॉ. अमितेश मिश्रा* ने कहा कि कानों में बार-बार संक्रमण या जन्मजात बहरापन होने पर तुरंत विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए। कई मामलों में कॉक्लियर इम्प्लांट से सुनने की क्षमता बहाल की जा सकती है।

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इस संबंध में पारस हेल्थ के *जोनल डायरेक्टर अनिल कुमार* ने कहा कि हमारी कोशिश है कि अधिक से अधिक लोगों तक बेहतर इलाज पहुंचे। सुनने की समस्या को हल्के में नहीं लेना चाहिए, क्योंकि यह व्यक्ति के संचार और सामाजिक जीवन को प्रभावित कर सकती है। अभी तक हमलोगों ने 100 से ज्यादा कॉक्लीयर एंव बाहा इम्प्लांट सफलतापूर्वक कर चुके हैं।

पारस एचएमआरआई के बारे में
पारस एचएमआरआई पटना ने 2013 में परिचालन शुरू किया। यह बिहार का पहला कॉर्पोरेट अस्पताल है जिसके पास परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड द्वारा लाइसेंस प्राप्त कैंसर उपचार केंद्र है। जून 2024 में एक्सेस किए गए एनएबीएच पोर्टल के अनुसार, पारस एचएमआरआई अस्पताल, पटना 2016 में एनएबीएच मान्यता प्राप्त करने वाला बिहार का पहला अस्पताल था। 30 सितंबर 2024 तक इस अस्पताल की बेड क्षमता 350 बेडों की है, जिसमें 80 आईसीयू बेड शामिल हैं।

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