डॉक्टर अम्बरी रहमान (पटना)
दिल को छू ना सके वह ग्लू क्या है ।
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शफ़क़ पे रंग न भर दे तो फिर लहू क्या ही।।
समझ सको तो समझ लो अम्बरी की खामोशी को।
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ज़ुबान से कौन कहे कि दिल की आरज़ू क्या है।।
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अगर फैली नहीं ये दिल की गरम गरम आहें।
धुआं धुआं सा फैला ये चारसु क्या है।।
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तुम्हारे रुखसार की शोखी गर नहीं तो क्या।
गुलों की नाज़ुकी, हुस्न व रंग बु क्या है ।।
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अगर नहीं है असर मेरे दिल के नालों का।
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जो आप आकर खड़े हैं मेरे रूबरू क्या है।।
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