लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को विपक्षी दलों पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि आज का विपक्ष वही रास्ता अपना रहा है, जो कभी अंग्रेजों ने भारत में “फूट डालो और राज करो” की नीति के तहत अपनाया था। लखनऊ में आयोजित एक जनसभा को संबोधित करते हुए योगी ने कहा कि जब देश विकास और आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ रहा है, तब कुछ राजनीतिक दल समाज में भ्रम फैलाने और जातीय विभाजन को हवा देने में लगे हैं। उन्होंने कहा कि जनता अब ऐसे नेताओं की असली मंशा को समझ चुकी है और 2025 के चुनावों में उन्हें करारा जवाब देगी।
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश “सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास” के मंत्र पर चल रहा है, लेकिन विपक्षी दलों को यह एकता रास नहीं आ रही। उन्होंने आरोप लगाया कि जब भी राष्ट्रहित के मुद्दे आते हैं, विपक्ष या तो मौन रहता है या फिर विरोध की राजनीति करता है। योगी ने कहा, “देश जब मजबूत होता है तो कुछ लोगों को परेशानी होती है, क्योंकि उनका अस्तित्व सिर्फ अफवाह और नकारात्मकता पर टिका है। ये वही मानसिकता है जो कभी ब्रिटिश साम्राज्य की थी—विभाजन की राजनीति के जरिए सत्ता पाने की।” उन्होंने जनता से अपील की कि वे ऐसे तत्वों से सावधान रहें जो देश की एकता और अखंडता को कमजोर करना चाहते हैं।
मुख्यमंत्री ने अपने भाषण में प्रदेश की कानून-व्यवस्था और विकास कार्यों का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश आज निवेश, सुरक्षा और सुशासन के मॉडल के रूप में देशभर में उदाहरण बन चुका है। योगी ने कहा, “जहां पहले गुंडाराज था, वहीं अब कानून का राज है। उद्योगपति उत्तर प्रदेश में निवेश कर रहे हैं, लाखों युवाओं को रोजगार मिल रहा है और गांव-गांव तक विकास की रोशनी पहुंच रही है।” उन्होंने यह भी कहा कि विपक्ष ने जब सत्ता में रहने का मौका पाया, तब उन्होंने सिर्फ परिवार और दल को मजबूत किया, न कि जनता को।
सभा के अंत में योगी आदित्यनाथ ने विपक्षी गठबंधन पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि विभिन्न विचारधाराओं और विरोधाभासों से भरे दल सिर्फ मोदी विरोध की जमीन पर एक साथ आए हैं, लेकिन जनता अब जाग चुकी है। “यह नया भारत है, जो जाति और धर्म की दीवारों को तोड़कर राष्ट्रहित को प्राथमिकता देता है। विपक्ष जितना भ्रम फैलाने की कोशिश करेगा, उतनी ही मजबूती से जनता उसे जवाब देगी।” योगी का यह बयान आने वाले चुनावी माहौल में एक बड़ा राजनीतिक संदेश माना जा रहा है, जो बीजेपी की रणनीति को विपक्ष की ‘विभाजनकारी राजनीति’ के खिलाफ एकजुटता के रूप में पेश करता है।