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खाए पिए,अघाये लोगों का भूकंप कैसा होता है

मुकेश नेमा

भूकंप आता है। इतना बड़ा देश। सब जगह तो आ नहीं सकता।जहां आता है वहाँ के लोग अचानक जाग उठते हैं। साईड टेबल से नीचे जा गिरी पानी की बोतल और थोड़ी बहुत हिली खिड़की के अलावा उनकी छटी इन्द्रिय उन्हें भूकंप के आने की खबर देती है। और भूकंप क्षेत्र के निवासी अचानक खुद को विशिष्ट मानने लगते है।

हमारे देश मे भूकंप आने पर ,सबसे पहले बेडरूम की छत पर लगे ,हिलते पंखे की वीडियो बनाने की परम्परा है। फ़ोटो खींचना ,वीडियो बनाना मोबाईल का सबसे सार्थक उपयोग है। कही भरी सड़क पर मारपीट हो रही हो ,कारें लड़ गई हो आपस में,डूब रहे हो लोग ,हम उनका वीडियो बना कर किसी सोशल साईट पर पोस्ट करते हैं और धन्य हो जाते हैं। ऐसे में बंदा फ़ौरन हिलते पंखे का वीडियो बनाता है और यह चाहता है कि यह साहसिक और अकलमंदी भरा काम उससे पहले और किसी ने न किया हो।

यह ज़रूरी काम संपन्न करने के बाद वो बीबी की सुध लेता है। नींद से जगाता है उसे। बीबी हमेशा की तरह उसका भरोसा नहीं करती पर हिलते पंखे की गवाही पर यक़ीन करती है। उबासी लेती है ,अपने बाल ठीक करती है और फिर दोनों मिलकर बच्चों को झकझोरते हैं। तीन बजे सोए बच्चे ,सुबह चार बजे जागना नहीं चाहते पर अर्थक्वेक की खबर उन्हें भी उठा ही देती है। पूरा परिवार अपने अपने मोबाईल सहेजता है फिर और इसके बाद फ़्लैट से निकल कर ,पहली बार वे व्हाया सीढ़ियां ,ग्राऊंड फ़्लोर तक जाने की यात्रा शुरू होती है।

नीचे उन्हें अपने जैसे ही लोग मिलते है। इस विशिष्ट ,दुर्लभ अवसर के साक्षी होने के कारण रोमांचित लोग। आपस में ऐसे ऐसे लोग भी बोलने बतियाने लगते हैं जिनके पूरे नाम भी एक दूसरे को पता नहीं होते और शकल ,एक ही मल्टी मे रहने के बावजूद बरसों से पहचानी नहीं गई थी। सब एक दूसरे को भूकंप के अपने अनुभव बताना चाहते है ,यह चाहते हैं कि उनका वाला भूकंप दूसरे से बेहतर निकले। यह जानकर निराश होते हैं कि लगभग सारे हिलते पंखे का वीडियो बना चुके । कुछ क़िस्मत वालों के पास काँच फड़फड़ाती खिड़की और दरवाज़े का वीडियो भी होता है ,ज़ाहिर है वो सबसे ख़ास होता है। यदि वो खुद भी देखने लायक़ हुआ तो और सारी मल्टी की औरतें लड़कियाँ उसके मोबाईल को ऐसे निहारती है जैसे संसार के आठवें अजूबे के दर्शन हो गए हों।

अब तक फोन घनघनाने लगते है। गाँव में छूटे माँ बाप महीनों बाद लायक़ औलाद को बेवक्त फ़ोन करने का साहस जुटा उसकी कुशलता जानना चाहते है। वो सब ठीक है कह कर टालता है उन्हें फिर अपनी ससुराल,दोस्तों को फ़ोन लगाता है। बताता है कि हमारे शहर में भूकंप आया था। ज़ोर का था। और कमाल का था। मज़ा आ गया टाईप की फ़ीलिंग।

फिर अनुभव बाँटे जाने की बारी आती है। फ़ेसबुक ट्विटर पर बोलने बताने लगाते है।वे बोलते हैं और बोलते वक्त यह सोचते हैं कि पूरी दुनिया उन्हें सुनना चाहते हैं। बताया जाता है सभी को कि हम भी बच गए हैं। हिलता पंखा पोस्ट किया जाता है। और उसे यह जान कर थोड़ी सी निराशा होती है कि उसके ऐसा करने के पहले ही फ़ेसबुक पर दर्जनों हिलते बहादुर ,शूरवीर पंखे अपनी मौजूदगी दर्ज करवा चुके है और उनके जिंदा बच जाने मे किसी को कोई दिलचस्पी नही है।

बहुत दिनों बाद न्यूज़ चैनल्स देखे जाते हैं। हिंदू मुसलमान करते एंकरों एक बार फिर चीखते है और बताते हैं कि ये बहुत बड़ा वाला भूकंप था और देश के आज़ाद होने के बाद पहली बार आ सका है। यह भी बताया जाता है कि हमारे यहाँ तो सब ठीक ठीक है पर शायद पाकिस्तान तबाह को सकता है इस भूकंप से। राष्ट्रप्रेम जाग उठता है भूकंप से ओर सभी एक बार और ,इस पुण्य भूमि में जन्म लेने का सोच गर्व से भर उठते हैं।

भूकंप आने मे दिक़्क़त बस इतनी सी कि यह कभी कभी आता है। खैर। जब आता है लोग गद्गद हो जाते है। उनकी बोरियत से भरी ज़िंदगी में रोमांच की तरह आता है भूकंप। वे इसे इन्जॉय करते हैं।टीवी पर रोते बिलखते ग़रीबों के गिरते घर देखकर खुद की अमीरी के लिए भगवान के आभारी होते है। पेट भर नाश्ता कर कार में लदते है। शहर का चक्कर लगाते है और सभी जगह सामान्य माहौल देख कर निराश भी होते हैं।

बोलते बतियाने के लिए एक और विषय होता है अब उनके पास। ऐसे में जब भी कभी अफ़ग़ानिस्तान में ,पाकिस्तान के इस्लामाबाद में धरती हिलती है, हमारे यहां के बड़े लोग अपने वाले को याद करते है। और चाहते हैं वो एकाध बार और आ जाए। खाए पिए लोगों का भूकंप कुछ ऐसा ही होता है। और कुछ पता हो आपको तो आप बताए।

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