पटना:बिहार में पुल गिरने का सिलसिला थम था नजर नहीं आ रहा है। पिछले दिनों अररिया में पुल गिरने के बाद जहां एक और सरकार की किरकिरी हो रही थी वहीं दूसरी ओर बीते दिनों सिवान में भी एक पुल गिर जाने से सरकार को कटघरे में खड़ा होना पड़ा है। ताजा मामले में राज्य के एक और जिले में पुल गिरने का मामला सामने आया है।बिहार के पूर्वी चंपारण जिले के मोतिहारी में बन रहा एक पुल ढह गया। सात दिन के अंदर पुल गिरने की यह तीसरी घटना है। लगभग डेढ़ करोड़ रुपये की लागत से बन रहा यह पुल शनिवार की रात को गिर गया। वहीं अधिकारियों का कहना है कि कुछ असामाजिक तत्वों ने पुल को नुकसान पहुंचाया है जबकि स्थानीय लोगों का आरोप है कि निर्माण कार्य में घटिया सामग्री का इस्तेमाल हुआ है और नियमों का पालन नहीं किया गया है।
जानकारी के अनुसार घोड़ासहन प्रखंड में अमवा से चैनपुर स्टेशन जाने वाली सड़क पर यह पुल बन रहा था। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बन रहे इस पुल की लंबाई 18 मीटर थी। शनिवार को ही पुल के ऊपरी हिस्से की ढलाई की गई थी। कहा जा रहा है कि देर रात कुछ अज्ञात लोगों ने पुल के सेंटरिंग को तोड़ दिया, जिसके कारण ढलाई वाला हिस्सा गिर गया। आरडब्ल्यूडी ढाका के एक्जीक्यूटिव इंजीनियर एसएन मंडल ने बताया कि दो स्पैन में पुल का निर्माण हो रहा था। एक तरफ से कल पुल का ढलाई हुआ था। उसके बाद बीती रात कुछ गाड़ी से दर्जनों असामाजिक तत्व निर्माण स्थल पर आए और पुल के सेंटरिंग को तोड़ दिया। जिस कारण ढाला गया पुल ध्वस्त हो गया।
वहीं, स्थानीय लोगों का आरोप है कि पुल का निर्माण कार्य सही दिशा में नहीं हो रहा था और इंजीनियर ने जानबूझकर दिशा बदल दी थी। उन्होंने कहा कि निर्माण में घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया जा रहा था और स्टीमेट के हिसाब से काम नहीं हो रहा था। ग्रामीणों का कहना है कि निर्माण में बरती जा रही अनियमितता से ही पुल ध्वस्त हुआ है। इसकी उच्चस्तरीय जांच जरूरी है। सिवान और अररिया में गिरा था पुलबता दें कि इससे पहले शनिवार को ही सिवान जिले में गंडक नदी पर बना एक पुल गिर गया था। यह पुल लगभग 40-45 साल पुराना था। स्थानीय लोगों का कहना है कि नहर की सफाई के दौरान मिट्टी की कटाई की वजह से पुल कमजोर हो गया था। इससे पहले अररिया जिले के सिकटी प्रखंड में भी 12 करोड़ रुपये की लागत से बन रहा एक पुल गिर गया था। बकरा नदी पर बन रहे इस पुल के तीन पिलर ढह गए थे।

