Mumbai:बॉम्बे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को निर्देश दिया है कि वह सरकारी विज्ञापनों में सार्वजनिक धन के दुरुपयोग की जांच के लिए एक तीन सदस्यीय समिति का गठन करे, इस समिति का गठन 14 दिसंबर तक किया जाना अनिवार्य है।
यह आदेश तब आया जब महाराष्ट्र सरकार सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का पालन करने में विफल रही, जिसमें सरकारों से सार्वजनिक धन का उपयोग राजनीतिक दलों के प्रचार के लिए न करने के लिए सख्त विज्ञापन नीति अपनाने का आग्रह किया गया था।
सूत्रों के अनुसार, यह निर्णय न्यायमूर्ति एमएस सोनक और न्यायमूर्ति जितेंद्र जैन की खंडपीठ ने दिया, जिसमें उन्होंने महाराष्ट्र सरकार को इस प्रकार की समिति न होने पर फटकार लगाई। कोर्ट ने इसे “अनुचित” बताते हुए कहा कि राज्य में निगरानी समिति न होने का कोई औचित्य नहीं है।
हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के ‘कॉमन कॉज बनाम यूनियन ऑफ इंडिया’ मामले का भी उल्लेख किया, जिसमें कहा गया था कि राजनीतिक दलों के उद्देश्यों को बढ़ावा देने के लिए सरकारी विज्ञापनों का उपयोग संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के विरुद्ध है, और इसे मनमाना और दुर्भावनापूर्ण करार दिया गया था।

