Bihar Politics:बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी सहयोगी और केंद्रीय मंत्री ललन सिंह के हालिया बयान ने राजनीति में हलचल मचा दी है। ललन सिंह ने कहा है कि मुसलमान समुदाय, यानी अल्पसंख्यक वर्ग, नीतीश कुमार को वोट नहीं देता है। उनका कहना था, “अल्पसंख्यक समाज कभी जदयू को वोट नहीं करता, इस बात को लेकर किसी भी प्रकार की गलतफहमी नहीं पालनी चाहिए। हम इस बारे में पूरी तरह से स्पष्ट हैं कि पहले भी ये वोट नहीं मिलते थे, और अब भी नहीं मिलते हैं। हालांकि, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सभी वर्गों के बारे में सोचते हैं।”
ललन सिंह के इस बयान ने जहां एक ओर सियासी तूफान खड़ा किया, वहीं आंकड़े भी उनके दावे को सही ठहरा रहे हैं। पिछले कुछ चुनावों के आंकड़े बताते हैं कि मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में अल्पसंख्यक वर्ग के मतदाताओं ने जदयू की बजाय अन्य दलों को तवज्जो दी। उदाहरण के तौर पर, इस साल के लोकसभा चुनाव में बिहार के सीमांचल क्षेत्र की किशनगंज सीट पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की, जबकि कटिहार सीट पर भी कांग्रेस की सफलता रही। पूर्णिया सीट पर एनडीए को नुकसान हुआ क्योंकि जदयू के उम्मीदवार यहां हार गए, जबकि निर्दलीय पप्पू यादव ने यह सीट जीत ली। अररिया सीट पर बीजेपी ने जीत हासिल की। इस तरह, सीमांचल की चार में से तीन सीटों पर जदयू के उम्मीदवार थे, लेकिन वोटरों का रुझान जदयू के विरोधी दलों की तरफ ज्यादा था।
सिवान सीट की बात करें तो जदयू के उम्मीदवार ने भले ही जीत हासिल की, लेकिन निर्दलीय हिना शहाब दूसरे स्थान पर रही। राजद के उम्मीदवार पूर्व विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी तीसरे स्थान पर रहे। इस सीट के आंकड़े भी यह संकेत देते हैं कि जदयू के बजाय मुस्लिम समुदाय का झुकाव निर्दलीय हिना शहाब की ओर था।
2020 के विधानसभा चुनाव में सीमांचल की 24 विधानसभा सीटों में से बीजेपी को आठ, कांग्रेस को पांच, जदयू को चार, भाकपा माले को एक, और आरजेडी को एक सीट मिली थी। इस चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआइएमआइएम ने भी पांच सीटों पर जीत हासिल की थी, हालांकि बाद में इन पांच में से चार विधायक राजद में शामिल हो गए। यह भी दिखाता है कि जब मुसलमानों को विकल्प मिला, तो उन्होंने जदयू के बजाय एआइएमआइएम को ज्यादा तरजीह दी।
लोकसभा चुनाव के दौरान, जहां राजद को 22.14% वोट मिले, वहीं बीजेपी को 20.52% और जदयू को केवल 18.12% वोट मिले। विशेषज्ञ मानते हैं कि जदयू के वोट प्रतिशत में कमी का बड़ा कारण सीमांचल और सिवान में अल्पसंख्यक वर्ग का वोट जदयू से कम मिलना था। ललन सिंह इसी आधार पर यह कह रहे हैं कि अल्पसंख्यक समुदाय ने कभी भी जदयू को वोट नहीं दिया।
हालांकि, ललन सिंह के बयान के बाद जदयू के नेताओं ने उनका बचाव भी किया है। नीतीश सरकार के मंत्री अशोक चौधरी ने कहा कि यह सबको पता है कि नीतीश कुमार की सरकार मुसलमानों के लिए लगातार काम कर रही है। उनका कहना था कि ललन सिंह का यह बयान दरअसल इस बात का संकेत है कि मुसलमानों के लिए जो काम किया गया है, उसके बावजूद उन्हें वोट नहीं मिल रहा, और यही जदयू के लिए एक दर्द की बात है।

