Nationalist Bharat
स्वास्थ्य

डायबिटीज का शिकार हो रहे बच्चे

डायबिटीज का शिकार हो रहे बच्चे

डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है, जो आमतौर पर बड़े उम्र के लोगों में पाई जाती है, लेकिन आजकल छोटे बच्चों में भी डायबिटीज के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। पहले यह माना जाता था कि 18 साल की उम्र के बाद ही डायबिटीज होता था, लेकिन अब यह किसी भी उम्र में, यहां तक कि बच्चों में भी, हो सकता है। अस्वस्थ जीवनशैली, शारीरिक गतिविधियों की कमी और गलत खानपान के कारण बच्चों में टाइप 2 डायबिटीज के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।

टाइप 2 डायबिटीज टाइप 1 की तुलना में धीरे-धीरे विकसित होता है और इसके लक्षण अक्सर सालों तक दिखाई नहीं देते। हालांकि, रक्त शर्करा का स्तर लगातार बढ़ता रहता है, जो अंततः स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है। बच्चों का आहार अब अधिकतर प्रोसेस्ड फूड, तले हुए खाद्य पदार्थ, शक्कर और जंक फूड पर आधारित हो गया है। इन खाद्य पदार्थों में कैलोरी, शक्कर और वसा की अधिकता होती है, जो शरीर के लिए नुकसानदेह हो सकती है। साथ ही, फल, सब्जियां और पोषक तत्वों से भरपूर आहार की कमी के कारण शरीर में शर्करा का स्तर बढ़ सकता है, जो डायबिटीज का कारण बन सकता है।

आजकल बच्चों का अधिकांश समय स्क्रीन के सामने ही बीतता है, जिससे शारीरिक गतिविधियां कम हो गई हैं। इसका परिणाम बच्चों में मोटापे के रूप में सामने आ रहा है। अधिक वसा और वजन इंसुलिन के सही काम करने में बाधा डाल सकते हैं, जिसके कारण टाइप 2 डायबिटीज हो सकता है। इसके अलावा, अनियमित दिनचर्या, देर से सोना, समय पर भोजन न करना और नींद की कमी भी डायबिटीज के खतरे को बढ़ा सकती है। अगर परिवार में किसी को मधुमेह है, तो बच्चों में इसके होने का जोखिम भी बढ़ जाता है, क्योंकि यह आनुवंशिक कारणों से भी हो सकता है।

बच्चों में बढ़ता मानसिक तनाव, जैसे पढ़ाई का दबाव या पारिवारिक समस्याएं, शारीरिक स्वास्थ्य पर भी असर डाल सकती हैं। तनाव के कारण हॉर्मोनल बदलाव होते हैं, जो रक्त शर्करा के स्तर को प्रभावित कर सकते हैं। कुछ बीमारियों जैसे उच्च रक्तचाप, उच्च कोलेस्ट्रॉल, या हॉर्मोनल असंतुलन से भी डायबिटीज का खतरा बढ़ सकता है।

टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज के लक्षण लगभग समान होते हैं, जैसे अत्यधिक प्यास लगना, बार-बार पेशाब आना, थकान महसूस होना, वजन में कमी, धुंधला दिखाई देना, जख्म या संक्रमण का धीरे-धीरे ठीक होना, और त्वचा पर काले धब्बे।

बच्चों के आहार में ताजे फल, हरी-भरी सब्जियां और फाइबर से भरपूर खाद्य पदार्थों को शामिल करें। जंक फूड के सेवन से बचने की कोशिश करें। दलिया, दालें और अन्य फाइबरयुक्त खाद्य पदार्थ रक्त शर्करा को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं। बच्चों के लिए उनका नाश्ता और भोजन समय पर होना चाहिए। छोटे-छोटे पौष्टिक स्नैक्स जैसे फल, नट्स, दही आदि का सेवन आदत में डालें।

बच्चों के सोने और जागने का समय नियमित रखें, क्योंकि पूरी नींद लेना उनकी सेहत के लिए जरूरी है। उन्हें कम शक्कर वाले खाद्य पदार्थ दें और स्वस्थ वसा, जैसे ओमेगा-3 फैटी एसिड (जो मछली, अखरोट और अलसी के बीज में होते हैं), को आहार में शामिल करें।

साथ ही, बच्चों को रोज कम से कम 1 घंटा शारीरिक गतिविधि, जैसे दौड़ना, खेलना, या साइकिल चलाना करने के लिए प्रेरित करें। मानसिक तनाव को कम करने के लिए बच्चों को ध्यान लगाने के लिए भी प्रेरित करें और परिवार के साथ समय बिताने से तनाव को दूर करने में मदद करें। बच्चों पर अत्यधिक पढ़ाई का दबाव न डालें और उन्हें तनाव मुक्त रहने की सलाह दें।

Related posts

नशा मुक्ति दिवस पर जीविका दीदियों ने लिया नशा मुक्त समाज बनाने का संकल्प

Nationalist Bharat Bureau

तीन दिवसीय अंतरजिला कबड्डी प्रतियोगिता का उद्धाटन

Nationalist Bharat Bureau

बिहार:नये साल की शुरुआत में राजधानी समेत प्रदेश में कोहरे का रहेगा प्रभाव

Nationalist Bharat Bureau

Leave a Comment