पटना:ग्रामीण उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए बिहार सरकार कई प्रकार की योजनाओं का संचालन कर रही है। राज्य सरकार के प्रयासों का नतीजा है कि बड़ी संख्या में महिलाएँ उद्यमी बनकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति प्रदान कर रही हैं। मुख्यमंत्री महिला उद्यमी योजना से जुड़कर 43 उद्यमी दीदियों द्वारा बैग क्लस्टर का संचालन किया जा रहा है। सतत् जीविकोपार्जन योजना से जुड़कर राज्य की लगभग 1 लाख दीदियाँ उद्यमिता के क्षेत्र में कदम बढ़ाकर सफलता के नए मुकाम पर पहुँची हैं।
स्वयं सहायता समूहों से जुड़े 2.57 लाख परिवारों को उद्यमिता विकास, अतिरिक्त आय संवर्धन एवं नये रोजगार से जोड़ा गया है। इसके अंतर्गत अबतक 3 महिला प्रोड्यूसर कम्पनी एवं 701 महिला उत्पादक समूहों का गठन किया गया है। IIM कोलकाता के सहयोग से महिला उद्यमिता के क्षेत्र में अबतक 150 दीदियों का उद्यम विकास किया गया है। ग्रामीण स्तर पर छोटे कारोबारियों, विशेषकर किराना दुकान से जुड़ी महिलाओं को उचित दर पर गुणवत्तायुक्त सामग्री की आपूर्ति हेतु 140 ग्रामीण रिटेल मार्ट का संचालन किया जा रहा है।
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ग्रामीण क्षेत्रों में महिला उद्यमिता को प्रोत्साहित करने एवं योजनाओं के संचालन में जीविका सम्पोषित समुदाय आधारित संगठनों की उल्लेखनीय भूमिका रही है। जीविका दीदियों द्वारा अस्पतालों, अनुसूचित जाति एवं जनजाति आवासीय विद्यालयों तथा अन्य संस्थानों में संचालित 216 ‘दीदी की रसोई’ के माध्यम से गुणवत्तायुक्त भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है। 17 स्थानों पर जीविका दीदी की सिलाई घर स्थापित किए गए हैं जिससे लगभग 1000 दीदियाँ जुड़ी हैं।
आजीविका ग्रामीण एक्सप्रेसवे योजना अन्तर्गत 109 परिवारों को व्यवसायिक वाहन उपलब्ध कराये गये हैं तथा स्टार्ट-अप ग्राम उद्यमशीलता कार्यक्रम के तहत 26,030 व्यक्तिगत उद्यमियों को तकनीकी एवं वित्तीय सहायता प्रदान किया गया है। साथ ही उनका बिजनेस प्लान तैयार करने एवं बाजार तक उनकी पहुँच आसान बनाने हेतु भी सहयोग प्रदान किया जा रहा है। राज्य बागवानी मिशन, कृषि विभाग के सहयोग से मधुमक्खी पालन कार्य में अबतक 490 उत्पादक समूहों का गठन किया गया है। ‘जीविका’ के ब्राण्ड नाम से शहद का व्यापार रिटेल दुकानों एवं मेला इत्यादि के अतिरिक्त ई-कॉमर्स वेबसाईट (shop.brlps.in) के माध्यम से भी किया जा रहा है।
जीविका के इस प्रयास की वजह से ही आज हजारों की संख्या में महिलाएँ उद्यमी बनकर सफलता के नए मुकाम पर पहुँच गई हैं। जीविका के सहयोग सरस मेला सहित अन्य कार्यक्रमों में भी वह अपने द्वारा उत्पादित सामग्रियों की बिक्री करती है। आज हजारों दीदियों ने जीविका स्वयं सहायता समूह की मदद से उद्यमिता को अपनाया है एवं अपनी नई पहचान स्थापित की है।