किशनगंज : जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने किशनगंज के लहरा चौक पर हजारों की भीड़ को संबोधित करते हुए सरकारों को चेतावनी दी कि वे सांप्रदायिक तत्वों और उनके एजेंडे को संरक्षण देना बंद करें। उन्होंने कहा कि सड़कें बनाई जाएं और देश के विकास की पहल की जाए, लेकिन अगर इंसानों के बीच जाति और धर्म के आधार पर भेदभाव जारी रहा, तो यह देश के साथ सबसे बड़ा विश्वासघात होगा। मौलाना मदनी ने सभा में सरकारों के प्रति कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि विशेष वर्गों का वर्चस्व स्थापित करने और अन्य वर्गों को अपमानित करने के प्रयास किए जा रहे हैं, खासकर मुसलमानों के खिलाफ। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकारें इन प्रयासों को न सिर्फ संक्षरण दे रही हैं, बल्कि उसे बढ़ावा भी दे रही हैं। मौलाना मदनी ने कहा, “किसी भी सभ्य समाज के लिए न्याय और निष्पक्षता सबसे महत्वपूर्ण है, बिना इसके देश में कानून व्यवस्था और अपराधमुक्त समाज का निर्माण संभव नहीं है।”
जमीयत द्वारा इजलास ए आम कार्यक्रम का आयोजन लहरा चौक स्थित मैदान में किया गया। जिसमें जमीयत उलेमा ए हिन्द के राष्ट्रीय अध्यक्ष महमूद असद मदनी ने बांग्लादेश में हिन्दुओं के ऊपर हो रहे हमलों को लेकर बड़ा बयान दिया है। महमूद असद मदनी ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि बांग्लादेश में जो घटनाएं हो रही है वो दंडनीय है। हिन्दुओं पर हमला बंद होना चाहिए। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश ही नहीं विश्व के सभी देश अपने यहां रहने वाले अल्पसंख्यकों को सुरक्षा व सम्मान प्रदान करे। कोई मुसलमान अगर गैर मुस्लिम के साथ गलत व्यवहार करे तो यह बहुत बड़ा अन्याय है। राजनैतिक लाभ के लिए देश के सौहार्द को बिगाडऩे की हर संभव कोशिश की जा रही है जो कि नहीं होना चाहिए। वक्फ की संपत्ति मुसलमानों द्वारा दान की हुई है। इसलिए सरकार को इसमें दखल नही देना चाहिए। वक्फ संशोधन विधेयक असंवैधानिक, अलोकतांत्रिक और शरियत विरोधी है। सरकार को समय रहते वक्फ संशोधन विधेयक रोक लगानी चाहिए।
वक्फ दान की भावना रखने वाले मुसलमानों द्वारा दी गई •ामीन है। सरकार का काम वक्फ संपत्ति की रक्षा करना है, उसे जब्त करना नहीं। इस दौरान मुख्य रूप से सांसद डा. जावेद आजाद,कारी अबू रैहान, कारी अहमद अब्दुल्ला, मुफ्ती मुहम्मद मुना•ारि नोमानी कासमी,मुफ्ती खालिद सिद्दीकी, हकीमुद्दीन क़ासमी, मौलाना मुहम्मद अनवार आलम साहब, मौलाना मुहम्मद ग्यासुद्दीन साहब कासमी, मुफ्ती ईसा जामी साहब, मौलान मतीउर्रहमार सलफी साहब और मुफ्ती इजहार आलम सहित हजारों की संख्या में मुस्लित समुदाय के लोग मौजूद रहे।