डॉलर के मुकाबले रुपया लगातार कमजोर हो रहा है। हालांकि, शुक्रवार को रुपया 10 पैसे की मजबूती के साथ 85.03 (अस्थायी) प्रति डॉलर पर बंद हुआ। आइए समझते हैं कि रुपये के कमजोर होने का आम लोगों पर क्या असर पड़ता है।
डॉलर की तुलना में रुपये के कमजोर होने का मतलब है कि अब एक डॉलर खरीदने के लिए पहले से ज्यादा रुपये चुकाने होंगे। इससे आयातित वस्तुएं महंगी हो जाती हैं, जिससे देश में महंगाई बढ़ने की संभावना रहती है। खासतौर पर पेट्रोल और डीजल जैसी वस्तुओं की कीमतों पर इसका सीधा असर दिखता है।
इसके अलावा, रुपये की कमजोरी का असर विदेशी निवेशकों पर भी पड़ सकता है। कमजोर रुपया निवेशकों को भारत में निवेश करने से हिचकिचाने पर मजबूर कर सकता है, क्योंकि उन्हें डर होता है कि भविष्य में रुपये का मूल्य और गिर सकता है, जिससे उनका नुकसान हो सकता है।
रुपये को मजबूत करने के लिए सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) कुछ कदम उठा सकते हैं, जैसे ब्याज दरें बढ़ाना। हालांकि, इससे लोगों के लिए लोन महंगा हो जाएगा और कारोबार पर भी असर पड़ सकता है।
शुक्रवार को रुपये में आई मजबूती के पीछे यूएस डॉलर इंडेक्स में कमी और आरबीआई के संभावित हस्तक्षेप का योगदान माना जा रहा है। हालांकि, विदेशी मुद्रा कारोबारियों का कहना है कि डॉलर की मजबूत मांग के कारण रुपये में कमजोरी बनी रहने की संभावना है।
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