पटना:बिहार स्टेट शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष और जदयू अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष अफजल अब्बास ने एक प्रेस बयान जारी करते हुए कहा कि जिस तरह अमेरिका ने मध्यस्थता करते हुए ईरान-इजरायल युद्धविराम की घोषणा की है, उसी तरह गाजा में इजरायली आक्रामकता और मासूम बच्चों, महिलाओं और पुरुषों की हत्या कर नरसंहार किया जा रहा है, वहां भी युद्धविराम के लिए भारत को मध्यस्थता करनी चाहिए ताकि वहां के लोगों की जान-माल और सम्मान की रक्षा हो सके, क्योंकि गाजा में इजरायल की क्रूर कार्रवाई मानवता के खिलाफ अत्याचार और बर्बरता के समान है, जिसकी जितनी भी निंदा की जाए, कम है। साथ ही अमेरिका, जो शांति का रक्षक और झंडाबरदार बनने का ढोंग करता आ रहा है, उसने इजरायल को विनाश से बचाने के लिए युद्धविराम की घोषणा कर दी, लेकिन अमेरिका और यहूदी ताकतों को फिलिस्तीन और गाजा में लगभग डेढ़ साल से चल रही इजरायली आक्रामकता, बर्बरता, मानवता विरोधी अत्याचार, सामूहिक भुखमरी और नरसंहार दिखाई नहीं दे रहा है।
अफजल अब्बास ने कहा कि क्या वहां भी ईरान-इजरायल की तरह युद्धविराम और शांति स्थापित नहीं होनी चाहिए? लेकिन इस सच्चाई से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि जिस तरह ईरान ने इजरायल पर लगातार हमला करके अपनी तकनीक और शक्ति दिखाई है, उससे इजरायल का सबसे शक्तिशाली और तकनीक का बादशाह होने का घमंड चूर-चूर हो गया और ईरान ने दुनिया को इजरायल की असलियत बता कर उसे बेनकाब कर दिया है। यही कारण है कि इजरायल ने अमेरिका से मदद मांगी और अमेरिका ने मध्यस्थता करते हुए युद्धविराम की घोषणा कर दी।
शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष ने अपने बयान में आगे कहा कि हमारा देश भारत, जो हर दृष्टि से मजबूत और सुदृढ़ है और अमेरिका के साथ भी उसके रिश्ते स्थापित हैं, ऐसी स्थिति में भारत को फिलिस्तीन और विशेष रूप से गाजा में मासूम और निर्दोष लोगों पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए और मध्यस्थता करते हुए अमेरिका पर दबाव डालना चाहिए ताकि वहां भी युद्धविराम हो और इजरायल अपनी आतंकवादी गतिविधियों से बाज आए। यह सत्य है कि यदि भारत दृढ़ता के साथ अमेरिका के सामने अपनी बात रखे तो पूरी उम्मीद है कि गाजा में भी युद्धविराम स्थापित हो जाएगा। यदि भारत ऐसा करता है तो भारतीय जनता के साथ-साथ दुनिया के अन्य देशों में भी हमारे देश का मान-सम्मान बढ़ेगा और सरकार के इस कदम की सराहना होगी।