चेन्नई। तमिलनाडु के करूर जिले में रविवार को हुए टॉकी (TVK) पार्टी की रैली में अचानक भगदड़ मच जाने से बड़ा हादसा हो गया। इस घटना में कई लोगों की मौत हो गई, जबकि बड़ी संख्या में लोग घायल हुए हैं। घटना के बाद इलाके में अफरा-तफरी का माहौल बन गया और स्थानीय प्रशासन को तुरंत राहत और बचाव कार्य शुरू करना पड़ा।प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, TVK प्रमुख विजय की रैली में भारी भीड़ उमड़ी थी। अनुमान लगाया जा रहा है कि मैदान में लाखों लोग मौजूद थे। भीड़ के बीच अचानक मंच की ओर धक्का-मुक्की शुरू हुई। कुछ लोगों के गिरते ही भगदड़ मच गई और हालात बेकाबू हो गए। कई लोग दबकर घायल हो गए और कुछ की मौके पर ही मौत हो गई।
सूत्रों के मुताबिक, मंच के पास सुरक्षा घेरे को तोड़कर भीड़ तेजी से अंदर घुसने की कोशिश कर रही थी। इसी दौरान नियंत्रण खो गया और लोग एक-दूसरे के ऊपर गिरते चले गए।स्थानीय प्रशासन ने पुष्टि की है कि हादसे में 39 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। घायलों की संख्या भी सौ से अधिक बताई जा रही है। कई घायलों की हालत गंभीर है और उन्हें नज़दीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। डॉक्टरों और मेडिकल टीम को तुरंत अलर्ट पर रखा गया है। तमिलनाडु सरकार ने घटना की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं। मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने मृतकों के परिजनों के लिए 5-5 लाख रुपये मुआवजा और घायलों को उचित इलाज मुहैया कराने का आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा कि दोषियों की पहचान कर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
जिला प्रशासन ने राहत और बचाव कार्य में तेजी लाने के लिए पुलिस, स्वास्थ्यकर्मी और आपदा प्रबंधन टीम को मैदान में उतारा। मौके पर मौजूद सुरक्षाबलों ने भीड़ को काबू में करने में बड़ी मशक्कत की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हादसे पर गहरा दुख जताया है। उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा कि “तमिलनाडु के करूर में हुई इस दर्दनाक घटना से मैं बेहद व्यथित हूँ। शोक संतप्त परिवारों के प्रति मेरी संवेदनाएँ हैं और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूँ।”वहीं विपक्षी दलों ने भी इस घटना पर चिंता जताते हुए कहा कि रैलियों में भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा व्यवस्था की गंभीर कमी है, जिसे जल्द सुधारा जाना चाहिए। इस घटना ने एक बार फिर भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा तैयारियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। राजनीतिक रैलियों और बड़े आयोजनों में अक्सर हजारों लोग एकत्रित होते हैं, लेकिन पर्याप्त निकासी मार्ग, सुरक्षा घेरे और मेडिकल सुविधाएँ न होने से ऐसे हादसे हो जाते हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि बड़े आयोजनों में भीड़ नियंत्रण तकनीक, पर्याप्त पुलिस बल और मेडिकल टीम की मौजूदगी अनिवार्य की जानी चाहिए। साथ ही, आयोजकों को क्षमता से अधिक भीड़ को अंदर आने की अनुमति नहीं देनी चाहिए। करूर की यह घटना न केवल कई परिवारों को गहरे शोक में छोड़ गई है, बल्कि प्रशासन और आयोजकों की तैयारियों पर भी सवाल खड़े कर गई है। सरकार ने जांच का भरोसा दिया है, लेकिन असल सवाल यह है कि क्या भविष्य में ऐसे हादसों से बचने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे या यह भी एक और दुखद घटना बनकर रह जाएगी।

