Patna:राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं बिहार विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने अपने वक्तव्य में कहा की देश में संविधान और न्यायपालिका के अधिकार को छिन्न-भिन्न किया जा रहा है। संवैधानिक व्यवस्था को कमजोर करने के लिए किस तरह से प्रयास किया जा रहा है,यह स्पष्ट रूप से दिख रहा है । केंद्र सरकार की ओर से चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया गोगोई पर जूता चलाने वाले के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की गई है। चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया एक व्यक्ति नहीं, बल्कि एक संस्था है। दलित होना उनकी एक पहचान है और भारत के संविधान में जात के आधार पर किसी के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता है,लेकिन जब सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश पर जूता फेंका जाए , तो स्पष्ट संदेश है कि दलित समाज के व्यक्ति को संवैधानिक पद पर किस तरह से अपमानित किया जाए यह खेल चल रहा है । इस तरह के कृत्यों से यह स्पष्ट होता है कि संविधान खतरे में आ गया है,देश के एक-एक नौजवान एवं दलित आदिवासी, पिछड़े ,अति पिछड़े लोगों को संकल्प लेना चाहिए कि जिस विचार को मारने वाले ने जूता चलाया उसको आगे हमें सत्ता में नहीं आने देना है। विशेष रूप में बिहार की एक-एक मतदाता को फैसला करना चाहिए और संकल्प लेना चाहिए कि जब संविधान ही नहीं बचेगा तो आपका अधिकार कहां से मिलेगा और आरक्षण का अधिकार कहां रह जाएगा।सार्वजनिक रूप से खुलेआम न्यायालय के सामने मुख्य न्यायाधीश के ऊपर जूता फेंकने का प्रयास करने का मतलब है संविधान को नहीं मानना।
आपका वोट के अधिकार पर लगातार हमले हो रहे हैं । और वोट के अधिकार को समाप्त करके आपको सारी योजनाओं से और आरक्षण क्या अधिकार से वंचित करने का साजिशचल रहा है । आजादी के पहले जो सामाजिक छुआछूत था, वही दिन लाने का प्रयास हो रहा है । हमको अपने नई पीढ़ी के लोगों को सुरक्षा देनी है उन्हें बचाना है और लोकतंत्र को भी बचाना है , साथ ही संविधान को बचाना होगा इसके लिए विधानसभा चुनाव में एक-एक वोट एनडीए के खिलाफ दें। और महागठबंधन की मजबूती के लिए कार्य करें, और अपने पक्ष के लोगों को वोट देने के प्रति जागरूक करें। जिससे पता चले कि डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने जो वोट का अधिकार दिया है उसको हम सभी मिलकर समाप्त नहीं होने देंगे। हम जूता का जवाब जूता से नहीं देंगे । हम इंसान को सम्मान देना जानते हैं और संविधान को भी बचाना भी जानते हैं।