नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2025 की तैयारियों के बीच विपक्षी गठबंधन ‘INDIA’ में सीट बंटवारे को लेकर गहरा गतिरोध जारी है। जहां एक ओर गठबंधन के प्रमुख दल एकता का संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कई राज्यों में आपसी मतभेद खुलकर सामने आने लगे हैं। सूत्रों के अनुसार, बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और दिल्ली जैसे प्रमुख राज्यों में सीटों को लेकर सहमति नहीं बन पा रही है। बिहार में पहले चरण के लिए 1,600 से अधिक नामांकन दाखिल किए जा चुके हैं, लेकिन गठबंधन के सहयोगी दलों के बीच कई सीटों पर “मित्र बनाम मित्र” की स्थिति बन गई है। यह मतभेद इस बात का संकेत है कि आगामी चुनाव में विपक्षी एकता उतनी आसान नहीं रहने वाली जितनी दिखाई दे रही थी।
गठबंधन से जुड़े एक वरिष्ठ नेता के अनुसार, अधिकांश पार्टियां अपने पुराने प्रदर्शन और सामाजिक समीकरणों के आधार पर अधिक सीटें चाह रही हैं। राष्ट्रीय जनता दल (RJD), कांग्रेस, समाजवादी पार्टी (SP), तृणमूल कांग्रेस (TMC) और आम आदमी पार्टी (AAP) जैसी प्रमुख पार्टियां अपने-अपने राज्यों में “मुख्य भूमिका” का दावा कर रही हैं। इससे सीट बंटवारे पर खींचतान बढ़ती जा रही है। बिहार में कांग्रेस और राजद के बीच कई सीटों को लेकर असहमति जारी है, जबकि उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच तालमेल की चर्चाएं अभी अधूरी हैं। वहीं, पश्चिम बंगाल में TMC और कांग्रेस के बीच स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अगर यही स्थिति रही, तो INDIA गठबंधन की चुनावी रणनीति पर असर पड़ सकता है, क्योंकि जनता के बीच “एकजुट विपक्ष” की जो छवि बनाई जा रही थी, वह कमजोर पड़ने लगी है।
इस बीच, गठबंधन की समन्वय समिति जल्द ही एक बैठक बुलाने वाली है, जिसमें सभी दलों से अंतिम प्रस्ताव मांगे जाएंगे। सूत्रों का कहना है कि राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, अरविंद केजरीवाल और अखिलेश यादव जैसे शीर्ष नेता अब सीधे हस्तक्षेप कर सीटों के फॉर्मूले को तय करेंगे। पार्टी नेताओं को उम्मीद है कि दिवाली से पहले अंतिम समझौते की घोषणा हो सकती है। हालांकि, राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि INDIA गठबंधन के लिए असली चुनौती सिर्फ सीटों की संख्या तय करना नहीं, बल्कि आपसी भरोसे को बनाए रखना है। चुनावी माहौल में एक छोटी-सी दरार भी जनता के विश्वास को प्रभावित कर सकती है। ऐसे में, आने वाले हफ्ते तय करेंगे कि क्या INDIA गठबंधन सचमुच एकजुट मोर्चा बनकर NDA के खिलाफ मैदान में उतर पाएगा, या फिर यह मतभेद चुनावी नतीजों पर गहरा असर डालेंगे।