कर्नाटक में राजनीतिक संग्राम, भाजपा ने कांग्रेस पर लगाया बड़ा आरोप
कर्नाटक की राजनीति में एक बार फिर उथल-पुथल मच गई है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी पर “आतंक समर्थक संगठनों का पक्ष लेने” का गंभीर आरोप लगाया है। यह विवाद तब शुरू हुआ जब राज्य सरकार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की गतिविधियों की जांच के आदेश दिए। भाजपा नेताओं ने इसे राष्ट्रविरोधी कदम करार देते हुए कहा कि कांग्रेस राष्ट्रवादी संगठनों को दबाने और कट्टरपंथी तत्वों को संरक्षण देने का प्रयास कर रही है।
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि, “कांग्रेस की नीतियाँ अब इतने नीचे गिर चुकी हैं कि वह देशभक्त संगठनों को बदनाम कर रही है। जिन संस्थाओं ने दशकों से समाज सेवा और राष्ट्र निर्माण में योगदान दिया है, उन्हीं पर अब कांग्रेस सवाल उठा रही है।”
कांग्रेस ने आरोपों को बताया राजनीतिक स्टंट
वहीं, कांग्रेस ने भाजपा के आरोपों को सिरे से खारिज किया है। पार्टी का कहना है कि भाजपा बिना किसी तथ्य के भ्रम फैलाने का काम कर रही है। कांग्रेस नेताओं के अनुसार, राज्य सरकार ने किसी विशेष संगठन के खिलाफ नहीं, बल्कि कानूनी और प्रशासनिक पारदर्शिता बनाए रखने के लिए कदम उठाया है।
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि भाजपा हर बार राष्ट्रवाद का मुद्दा उठाकर असली समस्याओं से ध्यान भटकाने की कोशिश करती है। उनका कहना है कि सरकार का उद्देश्य सिर्फ यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी संगठन — चाहे वह कोई भी हो — कानून से ऊपर न हो।
राज्य की राजनीति में बढ़ी गर्मी, जनता कर रही है चर्चा
इस बयानबाज़ी के बाद कर्नाटक की राजनीति में हलचल तेज़ हो गई है। भाजपा कार्यकर्ताओं ने राज्य के कई जिलों में विरोध मार्च निकाला, जबकि कांग्रेस ने इसे भाजपा की “छवि बचाने की रणनीति” बताया। सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे पर जमकर बहस हो रही है — एक वर्ग कांग्रेस के फैसले को सही ठहरा रहा है तो दूसरा इसे राजनीतिक बदले की कार्रवाई बता रहा है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह विवाद 2025 के आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों पर भी असर डाल सकता है। भाजपा जहां इसे राष्ट्रवाद बनाम तुष्टिकरण की लड़ाई के रूप में प्रस्तुत कर रही है, वहीं कांग्रेस इसे प्रशासनिक पारदर्शिता का मामला बताकर जनता को संदेश देना चाहती है कि “कानून सबके लिए समान है।”