पटना: बिहार राज्य शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष और जदयू के वरिष्ठ नेता इरशाद अली आजाद ने बयान जारी कर कहा कि पिछले दिनों संसद में समान नागरिक संहिता का मुद्दा उठाते हुए भाजपा के एक सदस्य ने एक निजी बिल पेश किया जिसका मतलब है कि देश में एक समान कानून होना चाहिए। दरअसल, इस तरह के मुद्दे उछाल कर भाजपा और आरएसएस अपने वोट बैंक को खुश रखना और अल्पसंख्यक समुदाय को भयभीत करना चाहती है।जदयू नेता इरशाद अली आजाद ने कहा कि एक तरफ भाजपा की केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा कि ऐसा कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है, वहीं भाजपा का एक सदस्य संसद में निजी विधेयक के जरिए देश में समान नागरिक संहिता चाहता है. यह देश और राष्ट्र के धार्मिक, भाषाई और सांस्कृतिक आधार पर अधिकारों के उल्लंघन की दिशा में एक कदम है, जिसका धर्मनिरपेक्ष लोगों और राजनीतिक दलों को विरोध करना चाहिए।
शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि जब आरएसएस और उसके संगठन बीजेपी पर पिछले 8 साल की नाकामियों, अन्यायों और बढ़ती सांप्रदायिकता का आरोप लगा रहा है, तो वे धार्मिक नफरत और वैमनस्य फैलाकर महंगाई और बेरोजगारी से ध्यान हटाने की कोशिश में लग गयी है।इरशाद अली आजाद ने कहा कि हाल के चुनावों में जिस तरह बीजेपी हिमाचल प्रदेश से बाहर हो गई, एमसीडी में करारी हार हुई, कई विधानसभा उपचुनावों में हारने के बाद जब उसकी हालत खराब है ऐसे में भाजप विवादित मुद्दे के जरिए देश का माहौल खराब कर अपना उल्लू सीधा करना चाहती है.लेकिन बीजेपी को याद रखना चाहिए कि यह देश हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई सभी का है.इन सबकी अपनी-अपनी संस्कृति, परंपरा और धार्मिक पहचान है.वे साथ रहना चाहते हैं, जिसे कोई ताकत अलग नहीं कर सकती।
भाजपा सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने पेश किया प्रस्ताव
बताते चलें कि भाजपा के राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने शुक्रवार को राज्यसभा में यूनिफॉर्म सिविल कोड (समान नागरिक संहिता) का प्रस्ताव पेश किया। हालांकि, राज्यसभा में यह विधेयक सरकार द्वारा पेश नहीं किया गया है। बल्कि सांसद द्वारा इस प्रस्ताव को पेश किया गया। राज्यसभा में एक निजी सदस्य विधेयक के रूप में यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) विधेयक पेश किए जाने के बाद भाजपा के रुख ने संकेत दिया है कि किरोड़ी लाल मीणा को पार्टी का मौन समर्थन है।
कांग्रेस समेत विपक्ष ने किया बिल का विरोध
सदस्य इमरान प्रतापगढ़ी ने बिल का विरोध करते हुए कहा कि देश को सद्भाव की जरूरत है और सदस्य से बिल वापस लेने का अनुरोध किया। बिल के खिलाफ सबसे मजबूत आवाज एमडीएमके नेता वाइको की थी, जिन्होंने कहा कि भाजपा आरएसएस के एजेंडे को लागू करने का प्रयास कर रही है और विभाजन की मांग की। उन्होंने कहा, हम देश के विघटन की ओर बढ़ रहे हैं। अल्पसंख्यक लोग बुरी तरह आहत हैं। आईयूएमएल के अब्दुल वहाब ने कहा, इसे भारत में किसी भी बहुमत या किसी भी बल के साथ लागू नहीं किया जा सकता है।