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शमोएल जो लिखते थे, वह मठों के चाहने पर भी दब नहीं पाता था

निराला बिदेसिया
शमोएल अहमद साहब नहीं रहे. जाना सबका तय है, पर कुछ लोगों के जाने के बाद मन में एक गहरी उदासी का भाव उठता है. शमोएल साहब के नहीं रहने की खबर सुनकर, वही भाव उमड़ा. उनका जाना,निजी जीवन में एक क्षति की तरह है. वह पटना में रहते थे. पुणे में भी. पेशे से इंजीनियर रहे थे. हिंदी-उर्दू के शानदार लेखक थे.क्लासिक लेखक. उन्हें फरोग ए उर्दू सम्मान मिला था. यूं तो उनकी अनेक कहानियां शानदार है. महामारी, नदी जैसी अनेक कृतियों की चर्चा होती है।

जब जीमेल और याहू चैट का जमाना आया था, तब उनकी एक कहानी आयी थी- अनकबूत. खूब चर्चा हुई थी उसकी. पर, बतौर पाठक मैं उनकी एक कहानी ‘सिंगारदान’ से बेशुमार मोहब्बत करता हूं. भागलपुर दंगे की पृष्ठभूमि पर यह क्लासिक कहानी है. भागलपुर उनका मूल इलाका भी था. भागलपुर दंगे के समय वह एक राहत कैंप में तवायफ से मिले. दंगाइयों ने उस तवायफ का सब कुछ लूट लिया था. पर, तवायफ को इसका अफसोस नहीं था उसे. वह इस अफसोस में डूबी रहती थी कि दंगाई उसका सिंगारदान भी ले गये सब. वह सिंगारदार पीढ़ियों से उस तवायफ की थी.परिवार की निशानी. लेखक शमोएल साहब तो अलहदा थे ही, इंसान भी अनूठे. पटना के पाटलीपुत्र आवास में मेरी खूब बैठकी लगती थी.जब बैठकी लगती, घंटों बैठते हम।

साथी अरुण नारायण के साथ जाना होता था. अरुण नारायण उनके बहुत ही अजीज मित्र. शमोएल साहब ने अपने घर के नीचे एक आफिस बना रखा था. ज्योतिष का आफिस.वे जानेमाने ज्योतिष भी हो गये थे. राधा और कृष्ण के अनूठे भक्त थे. उनके पास ज्योतिष समाधान लेने पटना के अनेक नामचीन पहुंचते थे. पर, ज्योतिष शमोएल साहब का पेशा नहीं हो सका था कभी. वे फीस नहीं लेते थे इसके बदले. ज्योतिष होना तो फिर भी एक बात, इन सबसे बढ़कर प्रेम के वे अनूठे चितेरे थे. उनके पास किस्सों का पिटारा था. बातचीत दर्जनों बार हुई,बैठकी दर्जनों बार. छापा उन्हें सिर्फ दो बार. दोनों बार तहलका में. एक बार इंटरव्यू, एक बार संस्मरण. दोनों बवाल मचानेवाला ही था. हिंदी के मठी लेखक, आलोचक उनसे नाराज रहते थे. उर्दूवाले भी खफा ही रहते थे. क्योंकि वे खरी खरी बोलते थे और दोहरा जीवन नहीं जीते थे.दोनों बार मेरे पास अनेक फोन सिर्फ यह कहने को आये कि शमोएल को इतना महत्व ना दीजिए. वह भ्रष्ट आदमी है. मैं सिर्फ इतना पूछता था कि किस स्तर का भ्रष्ट. क्या सरकारी नौकरी के दौरान कोई भ्रष्टाचार किये उन्होंने? क्या लेखकीय भ्रष्टाचार किये दूसरे अफसरों की तरह कि अपनी अफसरी के बल पर लेखक बन गये और पुरस्कार बटोरने लगे. या फिर उन्होंने व्यक्तिगत आचरण से कोई ऐसा काम किया, जिससे उन्हें भ्रष्ट कह रहे. कोई जवाब नहीं मिल पाता था. असल मठी लेखकों को उनसे परेशानी सिर्फ इसलिए थी कि शमोएल जो लिखते थे, वह मठों के चाहने पर भी दब नहीं पाता था. देश की सीमा लांघ, दुनिया भर में चरचे में आता था.

Shamoel ahmed
Birth:4 May 1943
Death:25 December 2022
birth place ; Bhagalpur, Bihar
Some major works; Singardan, River, Pandemic, Chamrasur, Ai Dile Awara, Girdab, 21 Best Stories Majlis Farog Urdu Awarded International Award for Doha-Qatar. Awards of Uttar Pradesh Urdu Academy and Bihar Urdu Academy. Writing with equal rights in Hindi and Urdu. Perfect for bold, adventurous, sex and psychology-centric subjects, a strange mix of history, philosophy, reality and satire in stories. Stories translated into many Indian languages, the novel “River” in English and the story collection “The Dressing Table” published by Just Fiction Germany.
Bachelor in Civil Engineering. Retired as Chief Engineer in Public Health Engineering Department, Government of Bihar and now independent writing.

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