पटना: गाँधी मैदान, पटना में आयोजित बिहार सरस मेला में ग्रामीण शिल्प एवं उद्यमिता को बढ़ावा देने के साथ ही सामाजिक कुरीतिओं के उन्मूलन और सरकार द्वारा चलाये जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों के प्रति जन जागरूकता अभियान भी जारी है l सरस मेला शिल्प एवं कला का अनूठा संगम है, जहाँ हमें अपने देश के विभिन्न राज्यों के कई रंग एक ही कैनवास पर देखने को मिलता है l गाँधी मैदान के कैनवास पर उकेरे गए सरस मेला में ग्रामीण शिल्प के विभिन्न रंग और आयाम देखने को मिल रहा है l ग्रामीण शिल्प और उत्पादों की प्रदर्शनी एवं बिक्री के उदेश्य से सरस मेला 15 दिसंबर से 29 दिसंबर तक जीविका, ग्रामीण विकास विभाग द्वारा आयोजित है l
12 दिनों में खरीद-बिक्री का आंकड़ा 12 करोड़ 90 लाख रूपया पार कर गया l मेला के बारहवें दिन सोमवार को लगभग 1 करोड़ 1 लाख 10 हजार रुपये के उत्पादों एवं व्यंजनों की खरीद-बिक्री हुई l मंगलवार को भी एक लाख से ज्यादा लोग आये और अपने मनपसंद उत्पादों की खरीददारी की साथ ही देशी व्यंजनों का लुत्फ़ उठाया l
बिहार सरस मेला में ग्रामीण शिल्पकारो को प्रोत्साहन एवं बाज़ार तो मिला ही है स्वयं सहायता समूह के संबल से स्वरोजगार की राह पर चल पड़ी महिलाओं की गाथाएं भी प्रदर्शित है l देश के विभिन्न राज्यों से आई महिला शिल्पकार अपने स्वावलंबन की गाथा सुना रहे हैं l रंजन बेन गुजरात के बकनायड गाँव से आई हैं l इनके द्वारा बनाये गए मीती के बर्तनों की खूब मांग है l रंजन बेन अपने बेटा दर्शन के सहयोग से मिटटी से फ्रीज़, कुकर, वाटर बोतल, बाउल, तवा, हांडी, दही हांडी, मटका ग्लास आदि का निर्माण करती हैं l निर्मित उत्पादों को देश के अन्य मेला में भी लेकर जाती रहती हैं l सरस मेला में वो पिछले चार साल से आ रही हैं l हर वर्ष उनका उत्पाद बिक जाता है l रंजन बेन बताती हैं कि देश में सबसे ज्यादा मुनाफा उन्हें बिहार सरस मेला से ही मिलता है l इसी वर्ष ज्ञान भवन में आयोजित मिनी सरस मेला में उनके द्वारा बनाये गए मिटटी के उत्पाद साढ़े चार लाख रुपये में बिके थे l वर्तमान में आयोजित सरस मेला के माध्यम से उन्होंने अब तक छह लाख से ज्यादा की बिक्री की है l इनके द्वारा बनाये गए मिटटी के तवे की बड़ी मांग है l मिटटी का तवा महज सौ रुपये में बिक रहा है l

देश के 24 राज्यों से आई स्वयं सहायता समूह से जुडी महिला उद्धमियों एवं स्वरोजगारियों के स्टॉल्स पर आचार-पापड़ , रोहतास का सोनाचुर चावल और भागलपुर के कतरनी चावल , रवा और गुड आगंतुकों द्वारा बहुत पसंद किये जा रहे है l खादी के परिधान, अगरबत्ती, लाह की चूड़ियां, सीप और मोती से बने श्रृगार की वस्तुएं , आयुर्वेदिक पाचक, रोहतास की गुड़ की मिठाई, पापड़, मिठाई , मुरब्बे, बक्सर की सोन पापड़ी, घर- बाहर के सजावट के सामान, खिलौने के अलावा मधुबनी पेंटिंग पर आधारित मनमोहक कलाकृतियाँ, कपड़े , कालीन, पावदान, आसाम और झारखण्ड से आई बांस और ताड़-खजूर के पत्ते से बनी कलाकृतियाँ गाँव की हुनर को प्रदर्शित करते हुए लोगों को मुग्ध कर रही हैं l कृत्रिम फूल और बचपन के पारंपरिक खिलौने खूब बिक रहे हैं l सहारनपुर के लकड़ी के फर्नीचर, झूले और साज-सज्जा के उत्पादों की खूब बिक्री हो रही है l
महिला बाल विकास निगम के तत्वाधान में मंथन कला परिषद् के कलाकारों द्वारा लघु नुक्कड़ नाटक की प्रस्तुति की गई l नाटक चंदा पुकारे के माध्यम से बाल विवाह उन्मूलन एवं दहेज़ मुक्त विवाह प्रति दर्शकों को जागरूक किया गया l कलाकारों में अंजलि, अमन, रोहन, सोनू, पूजा, काजल, श्यामकांत, धर्मेन्द्र ,शिल्पी एवं प्रशांत रहे l

मुख्य सांस्कृतिक मंच पर नेहवा द्वारा कवी सम्मलेन का आयोजन किया गया l इस कार्यक्रम में कांच, ग्यावी, मोईन गिरिडिहवी, जीनत शेफ, निखत आरा, शमा कौशल, अमित उदयन्त और जबी शम्स निजामी ने अपनी –अपनी रचनाओं से दर्शकों से वाह-वाह l तत्पश्चात जैक गिटार क्लासेस के कलाकारों ने गिटार की धुन पर पुराने गानों की प्रस्तुति की l पुराने गानों और आधुनिक वाद्य यंत्रों का समावेशन देखते ही बन रहा था l कलकारों ने लोक गीतों और 90 के दशक के गाँव को पिरोकर नए अंदाज में पेश किया l “कौन दिशा में ले के चला रे बटोहिया , जयकारा , मेला दिलों का आता है , किसी की मुस्कुराहटों पर हो निसार जैसे गीत अपने मूल के साथ आधुनिक वाद्य यंत्रों के समावेशन के साथ पेश की गई l दर्शकों ने खूब सराहा l संध्या समय में तानसेन स्कुल ऑफ म्यूजिक के कलाकारों ने बैंड बाजा, नृत्य, गीत एवं डांडिया की प्रस्तुति की l अंत में कला-संस्कृति एवं युवा विभाग के तत्वाधान में लोक गीत एवं नृत्य की प्रस्तुति की गई l
सेमिनार हॉल में नगर निगम , पटना द्वारा जीरो वेस्ट इवेंट पर चर्चा हुई l चर्चा में बताया गया कि मेला से निकलने वाला कचरा को मौके पर ही ओ.डब्ल्यू.सी मशीन के माध्यम से निस्पादन किया जा रहा है। बिहार में पहली बार ये कार्य किया जा रहा जा है। चार प्रकार के कचरों का निस्पादन कर उसे खाद में तब्दील किया जा रहा है। इस सेमिनार में श्री बलजीत सिंह, आई.ई.सी. प्रमुख, एवं योगेश राणा समेत नूतन अंचल के अधिकारियों ने शिरकत की l
इस मेला में बिहार समेत चौबीस राज्यों के स्वयं सहायता समूह से जुडी महिलाएं एवं स्वरोजगारी अपने –अपने प्रदेश के ग्रामीण शिल्प, सस्कृति, परम्परा एवं स्वाद को लेकर उपस्थित हैं l मेला में बिहार, आँध्रप्रदेश, आसाम, छत्तीसगढ़, दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, झारखण्ड, केरला, कर्नाटका, मध्य प्रदेश, मणिपुर, महारष्ट्र, मेघालय, ओड़िसा, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु,तेलंगाना,उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड, एवं पश्चिम बंगाल की ग्रामीण शिल्पकार और स्वरोजगारी शिरकत कर रहे हैं l

कुल 513 स्टॉल से ग्रामीण शिल्प एवं कलाकृतियाँ एवं उत्पादों की खरीद-बिक्री हो रही है l जिसमे 213 स्टॉल स्वयं सहायता समूस से जुडी सदस्यों को, 145 स्वरोजगारियों को, 69 अन्य राज्यों के एस.आर.एल.एम् को, फ़ूड जोन में 47 स्टॉल एवं विभिन्न विभागों, संस्थानों एवं बैंको के लिए हैं l जहाँ पर विभिन्न योजनाओं से आगंतुकों को जागरूक किया जा रहा है l जीविका दीदियों द्वारा संचालित, ग्राहक सेवा केंद्र, दीदी की रसोई, शिल्प ग्राम , मधु ग्राम और जे. वायर्स समेत कई स्टॉल आकर्षण के केंद्र हैं lपालना घर और फन जोन में बच्चे खूब मस्ती कर रहे हैं l वही चटकारे जिन्दगी के स्पॉट सेल्फी जोन आकर्षण के केंद्र बने हुए हैं l

