पटना: अपने बिहार दौरे के दौरान चर्चा में रहे बागेश्वर बाबा को बिहार की धरती से प्यार हो गया है। या यूं कहिए कि बिहार के लोगों के प्यार से अभिभूत बाबा बागेश्वर को बिहार में अपने लिए बहुत बड़ा मौका दिखाई पड़ता है। शायद यही वजह है कि पटना के नौबतपुर में कामयाब कथा के बाद बाबा बागेश्वर का बिहार के दूसरे हिस्सों में कथा सुनाने का तैयारी की जा रही है। हालांकि बिहार में बाबा बागेश्वर का विरोध भी बड़े पैमाने पर हुआ जिसमें राजनीतिक से लेकर आम आदमी शामिल थे। अब खबर यह आ रही है कि बिहार में बागेश्वर बाबा दरबार की चर्चा जोरों पर है। पहली बार पटना के नौबतपुर में पंडित धीरेंद्र शास्त्री का दिव्य दरबार लगा। इस दरबार में लाखों की तादाद में श्रद्धालु-भक्त उमड़े। अब बागेश्वर धाम सरकार धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की मुजफ्फरपुर में दरबार लगाने की तैयारी की जा रही है। कार्यक्रम के लिए मंगलवार को बागेश्वर धाम की टीम ने मुजफ्फरपुर जिले के दो जगहों- पताही हवाई अड्डा और दरभंगा रोड स्थित गरहां पहुंच कर जगह को देखा। पटना की जुटी भीड़ को देखते हुए इस बार तैयारी की बात कही जा रही है। चर्चा यह भी है क्या बाबा बागेश्वर की अगली सभा गया में भी हो सकती है। ऐसा कुछ संकेत बाबा बागेश्वर ने भी दिया है।
मीडिया में आ रही खबरों के अनुसार बागेश्वर धाम के प्रमुख सलाहकार नितेंद्र चौबे और उनकी टीम ने पूरे क्षेत्र का बारीकी से जायजा लिया। इस दौरान उन्होंने मीडिया से कहा कि सर्वेक्षण के बाद बहुत जल्द ही कथा की तिथि तय की जाएगी। जायजा लेने गई टीम सबसे पहले गरहां पहुंची। मैदान के चारों ओर घूम कर देखा कि कितने भक्त बैठ सकते हैं। इसका आकलन किया गया। इसके बाद धीरेंद्र शास्त्री की टीम ने पताही पहुंच कर हवाई अड्डा के फील्ड का जायजा लिया।
हालांकि पहले ही दौरे से विवादों में रहे बाबा बागेश्वर के भविष्य के दौरे पर क्या कुछ राजनीति होती है यह तो देखने वाली बात होगी लेकिन बाबा बागेश्वर के द्वारा बिहार के दूसरे हिस्सों में कथा की घोषणा और उसके लिए स्थान का चयन संबंधी खबर से ही राजनीति तेज होने की संभावना है। क्योंकि बिहार की सत्ताधारी जनता दल यूनाइटेड और राष्ट्रीय जनता दल समय कई एक पार्टी ऐसी है जो बाबा बागेश्वर के कथा कार्यक्रम को राजनीतिक चश्मे से देखती है और इसे ध्रुवीकरण की एक कोशिश करार देती है। ऐसा इसलिए भी क्योंकि बिहार की सत्ताधारी पार्टियां बाबा बागेश्वर की कथा कार्यक्रम को भारतीय जनता पार्टी द्वारा प्रायोजित बताकर इसका विरोध कर रही है। नौबतपुर की कथा में यह बात निकल कर सामने आ गई। अब देखने वाली बात यह होगी कि बाबा बागेश्वर के भविष्य में बिहार में कथा कार्यक्रम में क्या राजनीति होती है।
दूसरी तरफ बिहार की सत्ताधारी पार्टियों के द्वारा बाबा बागेश्वर के विरोध के बाद भारतीय जनता पार्टी पूरी तरह से बाबा बागेश्वर के समर्थन में खड़ी हुई दिखाई पड़ती है। जाहिर है भारतीय जनता पार्टी अगर बाबा बागेश्वर के साथ खड़ी हुई नजर आती है तो वह उसका राजनीतिक फायदा भी हासिल करना चाहेगी। यह राजनीतिक फायदा भारतीय जनता पार्टी 2024 के लोकसभा चुनाव और 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव उन्हें हासिल करना चाहेगी। ऐसे में बाबा बागेश्वर के प्रस्तावित बिहार दौरे में अगर भारतीय जनता पार्टी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती है और बाबा बागेश्वर के कथा कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए अपनी एड़ी चोटी का जोर लगाती है तो आश्चर्य की बात नहीं होगी।
दरअसल बिहार में अगर वर्तमान महागठबंधन के सामने वर्तमान भाजपा उतरती है तो लोकसभा चुनाव में भी उसे जातीय समीकरण के कारण परेशानी तय है। लोकसभा चुनाव में जाति की जगह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर वोटिंग हुई तो बात अलग है, वरना परेशानी से इनकार नहीं किया जा सकता। ऐसे में भाजपा ‘सनातन’ के नाम पर हिंदू वोटरों के ध्रुवीकरण की हर संभव कोशिश करेगी। इसमें कम पढ़े-लिखे और पिछड़ी जाति के लोग साथ देंगे, इसपर शक है। लेकिन, कोशिश पूरी होगी। यह कोशिश काम कर गई तो इसमें पंडित धीरेंद्र शास्त्री के ताजा दौरे में डाले बीज का योगदान मानना ही पड़ेगा। इस बीज का अंकुर बढ़ा तो भाजपा सितंबर में बाबा के लिए गया का प्रस्तावित दौरा पूरी ताकत के साथ सफल कराएगी। भीड़ का अंदाजा लग चुका है, बस भीड़ को वोट में बदलने का जो समीकरण बाबा बताकर जा रहे उसपर गणितीय हल निकालना है।