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सिस्टम की मार:बेटी के शव को बाइक पर रख 70 KM की सफर पर निकल पड़ा मजबूर पिता, ज़िम्मेदार कौन?

नई दिल्ली:एक तरफ मध्यप्रदेश में बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था का ढोल पीटा जा रहा है। भारतीय जनता पार्टी की शिवराज सिंह सरकार की पीठ थपथपाई जा रही है। डबल इंजन की सरकार की दवाई देकर मध्यप्रदेश से लेकर दिल्ली तक वाहवाही की जा रही है तो दूसरी तरफ ऐसी तस्वीरें निकल कर आ रही है जो नसीब भयावह है बल्कि सरकार और सिस्टम पर धब्बा।मध्य प्रदेश की खस्ताहाल स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोलती ये तस्वीर शहडोल जिले से सामने आई है. यहां वाहन न मिलने से लाचार पिता को अपनी मासूम बेटी के शव को बाइक में ले जाना पड़ा। हालांकि जब सोशल मीडिया में वायरल वीडियो की खबर कलेक्टर वंदना वैद्य को मिली तो उन्होंने तत्काल दुखी पिता के लिए शव वाहन की व्यवस्था की।शहडोल कलेक्टर ने बताया कि सोमवार की रात किसी शख्स के मोटर साइकिल पर शव ले जाने की सूचना उन्हें मिली थी।जिसके बाद उन्होंने तुरंत एक्शन लिया और वाहन उपलब्ध कराने के निर्देश दिए।इस घटना से जुड़ी कुछ तस्‍वीरें भी सामने आई हैं. सोमवार रात  कोटा गांव में रहने वाले 13 साल की माधुरी गोंड, जो  सिकल सेल अनीमिया से पीड़ित थी उसकी मौत हो गई।माधुरी के माता-पिता ने बेटी के  शव को अपने गांव तक ले जाने के लिए शव वाहन के इंतजाम की कोशिश की, लेकिन कथित तौर पर उनसे कहा गया कि नियम के मुताबिक, 15 किलोमीटर की दूरी के लिये वाहन मिल सकता है, जबकि उनका गांव अस्पताल से 70 किलोमीटर दूर है।आपको बता दें कि आदिवासी बहुल शहडोल से कई बार शव को कभी खटिया पर कभी लकड़ी के पटरे, कभी साइकिल, कभी बाइक पर शव ले जाने की दर्दनाक और दुःखद तस्वीर सामने आती रहती हैं।

मध्य प्रदेश के शहडोल से एक ऐसी घटना सामने आई है, जिसे जानकर आपकी आंखें भी नम हो जाएंगी. यहां एक 13 साल की बच्ची की मौत हो जाती है. बेटी की मौत के बाद पिता को उसके शव को बाइक पर ही रखकर करीब 70 किलोमीटर का सफर तय करने निकल पड़ा. हालाकि जैसे ही मामले की सूचना आधी रात कलेक्टर और जिला अस्पताल के सिविल सर्जन को मिली उन्होंने फौरन पिता को रुकवाकर. फिर बच्ची के शव को वाहन से उसके गृहग्राम तक पहुंचाया गया.केशवाही के कोटा गांव में रहने वाले लक्ष्मण सिंह की बेटी माधुरी सिंह सिकलसेल नाम की गंभीर बीमारी से पीड़ित थी. उसे स्थानीय अस्पताल से जिला अस्पताल रेफर किया गया था. यहां उसका इलाज आईसीयू में चल रहा था, लेकिन इसी दौरान माधुरी की मौत हो गई।

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पिता के पास नहीं थे पैसे  
मृतिका के पिता लक्ष्मण सिंह ने बताया कि उसकी बेटी की हालत गंभीर थी. उसके शरीर में खून की कमी थी. जैसे ही आईसीयू में रखकर उसे ब्लड चढ़ाया जा रहा था, तभी उसकी मौत हो गई. मौत के बाद रात में ही घर निकलना था. जिला अस्पताल में हमने शव वाहन मांगा, जिस पर मुझे कहा गया कि हम शव वाहन सिर्फ 15 KM के अंदर ही देते हैं. 70KM के लिए शव वाहन नहीं मिलेगा. तुम प्राइवेट शव वाहन कर लो।

दूसरी तरफ घटना को कलेक्टर द्वारा मानवता की मिसाल पेश किए जाने के बाद घटना का रुख मूड़ गया है। यह घटना बहुत ही दुखदाई और निंदनीय है। कायदे से चर्चा इस दुखदाई घटना के उन पहलुओं पर होना चाहिए कि आखिर क्या वजह है की ढिंढोरा पीटने वाली सरकारों के इस दौर में एक ऐसा पिता भी है जो लाचार है और अपनी बेटी की लाश घर ले जाने के लिए एंबुलेंस तक की भी व्यवस्था नहीं कर पा रहा है। आखिर क्या वजह है कि मध्यप्रदेश में गरीबी की स्थिति भयावह है। चर्चा इस बात पर भी होनी चाहिए कि केंद्र में भारतीय जनता पार्टी की मोदी सरकार और उसी भारतीय जनता पार्टी की मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान सरकार है लेकिन डबल इंजन की सरकार होते हुए भी इस तरह की भयावह स्थिति देखने को मिल रही है आखिर क्यों। ऐसा इसलिए क्योंकि छोटी-छोटी कामयाबी ऊपर डबल इंजन की सरकार की दुहाई देकर अपनी और अपने सरकार की पीठ थपथपा ने वाले नरेंद्र मोदी जी और शिवराज सिंह चौहान जैसे नेताओं के रहते हुए जब यह हालात हैं तो यह बहुत ही शर्मिंदगी की बात है।

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इसके उलट अब कहानी दूसरी गढ़ी जा रही है जिसमें मानवता की मिसाल को सर्वोपरि रखते हुए एक तरह से इस भयावह और अमानवीय घटना पर पर्दा पर्दा डालकर इसे विशाल के तौर पर पेश किया जा रहा है। यह सवाल क्यों नहीं पूछा जा रहा है कि ऐसी स्थिति आई ही क्यों के एक आईएएस अफसर को यह कदम उठाना पड़ा। क्योंकि सिस्टम अगर अपने ढंग से और अपने हिसाब से काम करता इस गरीब और लाचार बाप को अपनी बेटी की लाश ले जाने के लिए पहले से ही एंबुलेंस मिल जाता। अगर एंबुलेंस मिल जाता तो ऐसी नौबत नहीं आती के एक लाचार बाप के अपनी बेटी की लाश ले जाने की खबर दुनिया भर में फैल जाती। लेकिन सिस्टम की लापरवाही की वजह से न सिर्फ यह कि एक मजबूर बाप को अपनी बेटी की लाश बाइक पर लेकर जाना पड़ा बल्कि पूरी दुनिया में एक तमाशा भी बन गया। इसलिए जरूरत इस बात की है कि सिस्टम को बेहतर किया जाए ताकि आने वाले वक्त में कोई लाचार बाप खबरों की सुर्खियां बन पाए।

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