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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में शह और मात का खेल शुरू

Maharashtra Election:महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में शह और मात का खेल शुरू हो चुका है। जैसे-जैसे राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों के नाम सामने आ रहे हैं, चुनावी माहौल में भी बदलाव दिख रहा है। शिवसेना (यूबीटी) के उद्धव ठाकरे और एनसीपी के शरद पवार अपने-अपने विरोधियों को घेरने के लिए रणनीति बनाने में जुट गए हैं। उद्धव ठाकरे अपनी पार्टी से अलग हुए एकनाथ शिंदे के खिलाफ मैदान में उतरे हैं, तो वहीं शरद पवार ने अपने भतीजे अजीत पवार को सबक सिखाने के लिए रणनीति बनाई है।

महाराष्ट्र के ठाणे जिले की कोपरी-पचपाखड़ी सीट एक हाईप्रोफाइल सीट बन गई है, जहां मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे फिर से चुनाव लड़ रहे हैं। उद्धव ठाकरे ने शिंदे को उनके ही गढ़ में चुनौती देने के लिए शिवसेना के दिवंगत नेता आनंद दिघे के भतीजे केदार दिघे को मैदान में उतारा है। आनंद दिघे, जिन्हें शिंदे अपना राजनीतिक गुरु मानते हैं, शिवसेना में अहम भूमिका निभाते थे। उद्धव ठाकरे ने दिवंगत आनंद दिघे की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए उनके भतीजे को टिकट देकर बड़ा सियासी दांव चला है। इस सीट पर शिंदे को भाजपा और अजित पवार के गुट का समर्थन मिला है, जबकि केदार दिघे को शिवसेना (यूबीटी), कांग्रेस, और शरद पवार के गुट का समर्थन मिला है।

दूसरी ओर, बारामती सीट पर शरद पवार ने अपने पोते युगेंद्र पवार को अजीत पवार के खिलाफ उम्मीदवार बनाया है। इससे पहले भी बारामती में पवार परिवार के बीच टकराव देखने को मिला था, जब अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा और शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले आमने-सामने थीं। इस बार शरद पवार ने अपने पोते को उतारकर अजित पवार को चुनौती दी है, जो पहले ही सात बार बारामती से विधायक रह चुके हैं।

अजीत पवार ने जुलाई 2023 में शरद पवार के खिलाफ बगावत करते हुए एनसीपी का एक बड़ा गुट अपने साथ ले लिया था और भाजपा गठबंधन में शामिल हो गए थे। शरद पवार ने अपने पोते युगेंद्र को टिकट देकर अजीत पवार के सामने एक कड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। बारामती में शरद पवार का प्रभाव लंबे समय से बना हुआ है, और अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या अजीत पवार अपनी आठवीं जीत दर्ज कर पाएंगे या शरद पवार के इस दांव के चलते उनकी राह मुश्किल हो जाएगी।

 

अजीत को शरद दिखाएंगे सियासी पावर

अजीत पवार ने कभी अपने चाचा शरद पवार की उंगली पकड़कर राजनीति में कदम रखा था, लेकिन जुलाई 2023 में उन्होंने शरद पवार के खिलाफ बगावत कर दिया था. एनसीपी के 40 विधायकों को लेकर बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में शामिल हो गए थे. पार्टी का बड़ा गुट अजीत के साथ चला गया. इसके चलते शरद के हाथ से पार्टी चली गई थी. शरद पवार ने इस हिसाब लोकसभा चुनाव में अपनी ताकत दिखाकर किया और अजीत को उनके गढ़ बारामती में मात दे दिया.शरद पवार ने बारामती से अपनी बेटी सुप्रिया सुले को ही नहीं जिताया बल्कि पश्चिमी भतीजे को महाराष्ट्र में धूल भी चटा दी. अब अजीत पवार फिर से किस्मत आजमाने उतरे हैं तो शरद पवार ने भी पवार दांव चल दिया है. इस तरह शरद पवार एक फिर से अपना पावर दिखाना चाहते हैं. बारामती बेल्ट में शरद पवार की सियासी तूती बोलती है. शरद पवार से अलग हटकर अजीत पवार अपनी पहली बाजी हार चुके हैं और अब फिर से मैदान में उतरे हैं. इस बार शरद पवार ने जिस तरह से अजीत के खिलाफ युगेंद्र को उतारा है, उसके चलते मुकाबला रोचक हो गया है.

 

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