पटना:मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग (राजभाषा) की ओर से ‘बिहार राज्य अभिलेख भवन सभागार’, नेहरू पथ (बेली रोड), पटना में ‘रोजगार की भाषा के रूप में हिन्दी’ विषय पर आधारित द्वि दिवसीय कार्यशाला का उद्घाटन विभाग के निदेशक सुमन कुमार एवं आमंत्रित विद्वतजनों द्वारा दीप प्रज्वलन के साथ किया गया। कार्यशाला का प्रारंभ ‘बिहार राज्य गीत’ से हुआ। तत्पश्चात् स्वागत भाषण के रूप में विभाग के निदेशक सुमन कुमार ने अपने संबोधन में बताया कि हमारा व्यक्तिगत दायित्व है कि हम विरासत में मिली भाषा का अनुरक्षण करें और उसे आगे बढ़ायें। उन्होंने बताया कि एक समृद्ध भाषा के रूप में हिन्दी बाजारवाद की दृष्टि से भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
कार्यशाला के प्रथम दिन के पहले सत्र में मगध महिला कालेज, पटना की सहायक प्राध्यापक डा॰ आशा कुमारी ने ‘रोजगार की भाषा के रुप में हिन्दी’ विषय पर अपने संबोधन में बताया कि आज हिन्दी राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय फलक पर विविध क्षेत्रों में रोजगार के बेहतर विकल्पों को पेश कर रही है। हिन्दी को रोजगार की भाषा के रूप में अपनाकर न सिर्फ हम भाषा को समृद्ध कर रहे हैं, बल्कि जीविकोपार्जन के क्षेत्र में नित नयी ऊँचाइयों को भी छू रहे हैं। उन्होंने रोजगारपरक भाषा के रूप में हिन्दी के उन क्षेत्रों पर विशेष बल दिया जिससे अब तक हम अनजान बने हुए हैं। हिन्दी भाषा में रोजगार की अपार संभावनाओं का जिक्र करते हुए उन्होंने आई॰टी॰, मल्टीमीडिया, अंतराष्ट्रीय संबंधों, वाणिज्य आदि क्षेत्रों में विभिन्न रोजगार के बारे में विस्तार से बताया।
कार्यशाला के दूसरे सत्र में पटना के जानेमाने लेखक और समीक्षक डा॰ कुमार विमलेन्दु सिंह ने हिन्दी की वैश्विक माँग पर प्रकाश डालते हुए बताया कि हिन्दी भाषा विश्व में बोली जाने वाली भाषाओं में दूसरे पायदान पर आती है। जिस तरह से भारत विश्वपटल पर तेजी से उभर रहा है, उस रूप में हिन्दी की माँग में निरंतर बढ़ोत्तरी हो रही है। सम्पर्क और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों की बेहतरी के लिए हिन्दी भाषा का विकास बहुत महत्त्वपूर्ण है।कार्यशाला के प्रथम दिन बिहार के विभिन्न महाविद्यालयों के पचास विद्यार्थी प्रतिभागी के रूप में उपस्थित रहे।कार्यशाला के प्रथम दिन का मंच संचालन उप निदेशक, डा॰ ओम प्रकाश वर्मा ने किया।

