Bihar Vidhansabha : बिहार विधानसभा में बुधवार को विपक्षी सदस्यों द्वारा भारी हंगामा किए जाने के कारण सदन की कार्यवाही दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। यह हंगामा वक्फ संशोधन बिल 2024 के विरोध में हुआ। वाम दलों और राजद सहित विपक्षी दलों के सदस्यों ने नीतीश सरकार से मांग की कि वह फौरन विधानसभा में एक प्रस्ताव लाकर इस वक्फ संशोधन बिल को खारिज करे। प्रश्नकाल खत्म होते ही विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को उठाने की कोशिश की, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष नंद किशोर यादव ने इसे खारिज करते हुए कहा कि यह केंद्र सरकार का विषय है और पहले ही इस पर एक कमेटी बनाई जा चुकी है। ऐसे में यह विषय बिहार सरकार से संबंधित नहीं है, इस पर सदन में बहस नहीं हो सकती। अध्यक्ष ने सदस्यों से अपनी सीटों पर बैठने की अपील की, लेकिन विपक्षी दलों का हंगामा जारी रहा, जिसके बाद करीब 12:35 बजे सदन की कार्यवाही दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।
इसके पहले, बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की एक पुरानी इच्छा का जिक्र करते हुए ग्रामीण कार्य विभाग को घेरा। ग्रामीण सड़कों के निर्माण और मरम्मत से जुड़े सवाल पर मंत्री अशोक चौधरी जवाब दे रहे थे, तभी तेजस्वी यादव ने बीच में हस्तक्षेप करते हुए कहा कि जब वे (राजद) सरकार का हिस्सा थे, तब उसी विभाग के मंत्री अशोक चौधरी थे। उन्होंने बताया कि उस समय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यह इच्छा जताई थी कि सड़क निर्माण और मरम्मत का काम ठेकेदारों से न कराकर विभाग खुद करे। तेजस्वी ने सवाल किया कि क्या वर्तमान सरकार इस योजना को लागू करेगी।
इस पर मंत्री अशोक चौधरी ने जवाब दिया कि राज्य सरकार का उद्देश्य है कि बिहार की सभी सड़कों को गड्ढा मुक्त किया जाए और उन्हें बेहतर बनाया जाए। अगले साल विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए प्राथमिकता के हिसाब से जून 2025 तक सभी सड़कों का निर्माण किया जाएगा। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि फिलहाल यह काम ठेकेदारों द्वारा ही कराया जाएगा, और मुख्यमंत्री की इच्छा को पूरा करने के लिए दीर्घकालिक योजना बनानी होगी।
वहीं, बिहार विधानसभा में भाजपा और राजद के विधायक एकजुट होकर नीतीश सरकार की योजनाओं के खिलाफ खड़े हो गए। ग्राम पंचायतों में सफाई कार्य में लगे स्वच्छता कर्मियों के मानदेय भुगतान में देरी और ठेला जैसे जर्जर उपकरणों के मुद्दे पर भाजपा और राजद दोनों दलों के विधायक विरोध में उतर आए। भाजपा के अमरेन्द्र प्रताप सिंह ने यह मुद्दा उठाया, और ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री श्रवण कुमार ने जवाब दिया कि पंचायतों में स्वच्छता कर्मियों के मानदेय का भुगतान एक वर्ष तक विभाग द्वारा किया जाता है, उसके बाद पंचायतें अपने स्तर पर भुगतान करती हैं, इसके लिए प्रति घर 30 रुपये प्रति माह लिया जाता है।
हालांकि, मंत्री के इस जवाब पर भाजपा के सदस्य संतुष्ट नहीं हुए, और राजद के सूर्यकान्त पासवान सहित कई अन्य सदस्यों ने एक सुर में कहा कि स्वच्छता कर्मियों का मानदेय कई महीनों से लंबित है। मंत्री श्रवण कुमार ने जवाब दिया कि अगर स्वच्छता कर्मियों के नाम दिए जाएं, तो उनका मानदेय 15 दिनों में भुगतान कर दिया जाएगा। इसके बावजूद राजद सदस्यों ने कहा कि यह समस्या केवल कुछ कर्मियों की नहीं, बल्कि बड़ी संख्या में स्वच्छता कर्मियों की है। इस पर भाजपा और राजद दोनों दलों के सदस्य नीतीश सरकार के खिलाफ एकजुट हो गए और इस मुद्दे पर सरकार को घेरा।