नई दिल्ली: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 156वीं जयंती के अवसर पर आज पूरा देश उन्हें श्रद्धापूर्वक याद कर रहा है। 2 अक्टूबर, 2025 को भारत के साथ-साथ दुनियाभर में अहिंसा, सत्य और शांति के इस महान दूत को याद किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने दिल्ली के राजघाट स्थित गांधी समाधि पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर ट्वीट कर कहा, “गांधी जयंती प्रिय बापू के असाधारण जीवन को श्रद्धांजलि देने का दिन है, जिनके आदर्शों ने मानव इतिहास की दिशा बदल दी। उन्होंने दिखाया कि कैसे साहस और सादगी महान बदलाव के साधन बन सकते हैं”। उन्होंने “विकसित भारत” के निर्माण के लिए गांधी के दिखाए रास्ते पर चलने की प्रतिबद्धता दोहराई।
देशभर में विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री और राज्यपालों ने भी महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित की। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया, जबकि केरल के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर और मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने भी उन्हें याद किया।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी गांधी जयंती को ‘अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस’ के रूप में मनाया गया। दुनिया भर में भारतीय दूतावासों ने विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन कर गांधी के मूल्यों को याद किया। जापान और न्यूजीलैंड जैसे देशों में भारतीय समुदाय के लोगों ने गांधी की शिक्षाओं के महत्व पर चर्चा की। साओ पाउलो में भारतीय वाणिज्य दूतावास ने ‘स्वच्छता ही सेवा 2025’ अभियान के तहत सफाई अभियान चलाया, जो गांधी के ‘स्वच्छ भारत’ के सपने को समर्पित था।
शैक्षणिक संस्थानों में भी गांधी जयंती का उत्साह देखा गया। स्कूलों में छात्रों को गांधी के विचारों और सिद्धांतों के बारे में बताया गया। कई जगह निबंध प्रतियोगिताएं और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया, जिसमें छात्रों ने गांधी के जीवन से जुड़ी घटनाओं को प्रस्तुत किया। यह दिन हमें सिखाता है कि गांधी के विचार आज भी प्रासंगिक हैं और वर्तमान समय की चुनौतियों का सामना करने के लिए प्रेरणा देते हैं।
गांधी जयंती के साथ ही, आज पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की भी जयंती है, जिन्हें देश ने याद किया। आज दशहरा भी होने के कारण, गांधी जयंती का पर्व एक विशेष महत्व रखता है, जहां बुराई पर अच्छाई की जीत के साथ अहिंसा और सत्य का संदेश भी गूंज रहा है। इस दिन पूरे देश में शराब की बिक्री पर भी प्रतिबंध रहता है।
यह दिन सिर्फ एक छुट्टी का दिन नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय पर्व है जो हमें आत्मचिंतन और राष्ट्र निर्माण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराने का मौका देता है। गांधी के अहिंसा, सादगी और सत्य के सिद्धांत आज भी दुनिया भर में लोगों को प्रेरित करते हैं, जिससे यह दिन एक राष्ट्रीय गौरव और वैश्विक सम्मान का प्रतीक बन गया है।