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मुकेश साहनी की पार्टी के प्रवक्ता पूर्व IPS नुरुल हुदा का नेतागिरी से मोह भंग? 

पटना:बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की नामांकन प्रक्रिया की अंतिम तिथि के ठीक बाद विकासशील इंसान पार्टी (VIP) को बड़ा झटका लग सकता है। पार्टी के राष्ट्रीय सचिव और प्रवक्ता पूर्व आईपीएस अधिकारी मोहम्मद नुरुल हुदा ने शनिवार देर रात अपने सोशल मीडिया हैंडल पर प्रोफाइल फोटो बदल ली और बायो से पार्टी का नाम हटा दिया। इससे राजनीतिक हलकों में यह अटकलें तेज हो गई हैं कि टिकट न मिलने से मायूस होकर हुदा अब VIP से अलग हो चुके हैं या अलग होने का मन बना चुके हैं।

 

नुरुल हुदा, जो अप्रैल 2025 में वक्फ संशोधन विधेयक के विरोध में अपनी आईपीएस नौकरी छोड़कर VIP में शामिल हुए थे, ने एक भावुक पोस्ट भी साझा की है। पोस्ट में उन्होंने मुसलमान वोटरों से अपील की है कि वे नामांकन की अंतिम तिथि के साथ स्पष्ट हो चुका है कि किसी भी दल को मुसलमानों की कोई जरूरत नहीं, सिर्फ उनका वोट चाहिए। उन्होंने लिखा, “आपकी वकालत करने वाला कोई नहीं है और जो हैं उनकी कोई सुनता नहीं है। मुसलमानों के लिए एक ही रास्ता है कि बिना इसकी परवाह किए कि कौन जीतेगा, किसकी सरकार बनेगी और किसको मुख्यमंत्री बनना है या बनाना है भूल जाए और अहद करके सिर्फ़ और सिर्फ़ उन मुस्लिम उम्मीदवारों को वोट करें जो क़ौम के हमदर्द और बेहतर नज़रिया रखते हैं, चाहे वो चुनाव जीते या हारे। अपने वोट की अहमियत बहाल करनी है तो निर्भीक होकर एक बार सिर्फ़ ख़ुद को वोट करें, कोई जीते, कोई हारे और भाड़ में जाए सरकार बनाने वाले।”

 

हुदा ने पोस्ट के अंत में बीजेपी पर खुला विरोध जताते हुए कहा, “बीजेपी आपका खुला विरोध करती है तो करे, तथाकथित सेक्युलर पार्टियां कौन सी आपकी हमनवाँ और हमदर्द हैं, ये सभी रंगा सियार है।” यह पोस्ट VIP प्रमुख मुकेश साहनी की पार्टी के लिए असहज साबित हो रही है, खासकर तब जब महागठबंधन में VIP की भूमिका सीमित सीटों तक सिमट गई है।

 

सियासी जानकारों का मानना है कि नुरुल हुदा, जो सीतामढ़ी जिले के मूल निवासी हैं और 1995 बैच के आईपीएस अधिकारी रह चुके हैं, को पार्टी से टिकट की उम्मीद थी। अप्रैल में VIP जॉइन करने के समय मुकेश साहनी ने ही संकेत दिए थे कि हुदा सीतामढ़ी से चुनाव लड़ सकते हैं। लेकिन नामांकन की अंतिम तिथि बीतते ही टिकट न मिलने से उनकी नाराजगी फूट पड़ी है। हुदा का यह कदम VIP के लिए मुसलमान वोट बैंक पर असर डाल सकता है। वे पार्टी के कोर मुद्दों—जैसे पिछड़े वर्ग और अल्पसंख्यकों के अधिकार—पर हमेशा मुखर रहे हैं। अब लगता है वे स्वतंत्र रूप से या किसी अन्य मंच से आवाज बुलंद करने की तैयारी कर रहे हैं।”

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