केंद्र सरकार ने जल जीवन मिशन के तहत काम में लापरवाही या अनियमितता के मामलों को लेकर सख्त रुख अपनाया है। पेयजल आपूर्ति से जुड़ी परियोजनाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से उन ठेकेदारों और निरीक्षण एजेंसियों की विस्तृत रिपोर्ट मांगी है, जिन पर किसी भी प्रकार की सजा, दंड या कार्रवाई की गई है।
ग्रामीण विकास मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, केंद्र ने यह निर्देश इसलिए जारी किया है ताकि जल जीवन मिशन के अंतर्गत हो रहे कार्यों की पारदर्शिता बनी रहे और भविष्य में घटिया निर्माण या देरी के मामलों को रोका जा सके। सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि दोषी पाए जाने वाले ठेकेदारों और एजेंसियों को भविष्य की परियोजनाओं में शामिल नहीं किया जाएगा।
जल जीवन मिशन का लक्ष्य वर्ष 2024 तक हर ग्रामीण परिवार को नल के माध्यम से स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराना है। अब तक देशभर में करोड़ों परिवारों को इसका लाभ मिल चुका है। केंद्र ने राज्यों से कहा है कि वे 15 दिनों के भीतर संबंधित एजेंसियों और ठेकेदारों की जानकारी साझा करें, ताकि जवाबदेही तय की जा सके और मिशन के अंतर्गत गुणवत्ता को और बेहतर बनाया जा सके।