Nationalist Bharat
ब्रेकिंग न्यूज़

लालू राबड़ी के ठिकानों पर छापेमारी के क्या हैं मायने,जानिए

पटना:2017 में लालू प्रसाद के कई ठिकाने पर इसी तरह छापामारी से हुई थी और उस छापेमारी के बाद महागठबंधन की सरकार गिर गयी थी,छापेमारी से कोई दो माह पहले से सुशील मोदी लालू प्रसाद के परिवार के खिलाफ माहौल बना रहे थे ,लेकिन इस बार ऐसा कुछ भी नहीं चल रहा था ।वही लालू प्रसाद भी जब से जमानत से निकले हैं शांत ही है ,फिर ऐसा क्या हुआ कि जिस आरोप में 2017 में छापेमारी हुई थी ठीक उसी तरह के मामले में 2022 में एफआईआर दर्ज करके छापामारी कि जा रही है ज़ब कि 2017 का मामला कोर्ट में टाएँ टाएँ फिश हो गया था फिर 2022 में ठीक उसी तरह का मामला दर्ज करके 15 वर्ष पूराने मामले को लेकर छापा मारने का क्या मतलब है ।

 

नीतीश के लालू परिवार के करीब आना छापेमारी की वजह तो नहीं है।

बीजेपी के कार्यशैली पर नजर रखने वाले मान रहे है कि यह ऑपरेशन अमित शाह के इशारे पर हो रही है क्यों कि
नीतीश कुमार शाह के बिहार मिशन के सामने झुकने को तैयार नहीं है और यह छापामारी उसी की एक कड़ी मानी जा रही है ।क्यों कि धमेन्द्र प्रधान के सीएम से मुलाकात के बाद जिस तरीके से सुशील मोदी नीतीश कुमार के साथ खुल कर खड़े हो गये तो नीतीश थोड़ा सहज हो गये थे लेकिन शाह की बिहार टीम को यह रास नहीं आया और फिर नीतीश जिस आधार पर बीजेपी को आँख दिखाते हैं उसी कड़ी को ही खत्म कर दिया जाये इसी रणनीति के तहत लालू परिवार पर छापा मारा गया है ताकि नीतीश कुमार से दूरी बना ले ।

शाह का यह दाव उलटा भी पर सकता है

लालू प्रसाद के ठिकाने पर हो रही छापामारी मामले में राजद ने सीधा सीधा आरोप लगाया है कि जातीय जनगणना को लेकर नीतीश और तेजस्वी ने हाथ मिलाया है इस छापेमारे के पीछे यही वजह है ।इस छापेमारी पर जद यू का बयान भी 2017 की तरह फायर नहीं है। जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा का बयान आया है कि सीबीआई छापेमारी पर अभी टिप्पणी करना जल्दी बाजी वैसे जातीय जनगणना पर नीतीश तेजस्वी के नजदीक आने की वजह से छापेमारी की बात गलत है वहीं लालू के ठिकानों पर छापेमारी पर मंत्री अशोक चौधरी का बयान आया है कि सीबीआई रेलवे भर्ती मामले में कर रही है छापेमारी,कुछ सबूत मिलने पर सीबीआई जांच कर रही होगी।
वैसे आरजेडी के राजनीतिक साजिश पर टिप्पणी से इन्होंने इनकार कर दिया है हालांकि लालू प्रसाद के परिवार पर सबसे मुखर होकर बोलने वाले नीरज सिंह विधान पार्षद का अभी तक कोई बयान नहीं आया है ।मतलब इस छापेमारी को लेकर जदयू के अंदर खाने में कुछ जरूर चल रहा है।

नीतीश बैक फायर कर सकते हैं

नीतीश को जानने वाले मान रहे हैं कि जो राजनीति बिहार में चल रही है ऐसे में मौका भी है दस्तुर भी है और ऐसे मौके का लाभ उठाने में नीतीश माहिर भी हैं और यह 2017 के निर्णय के कारण राष्ट्रीय स्तर पर ज़ो नुकसान हुआ उसकी भरपायी हो सकती है क्यों कि केन्द्रीय ऐज़ेंसी के बेजा इस्तमाल से सारा विपंक्ष परेशान है ।वही आरसीपी का अब राज्यसभा जाना खटाई में पड़ सकता है क्यों कि बीजेपी को जवाब देने का ये सही मौका है ,वैसे राजनीति में हर पल चीजें बदलती रहती हैं ।

Related posts

राज्यसभा चुनाव से पहले महा विकास अघाड़ी की अहम बैठक, विधायकों को दिया जाएगा मार्गदर्शन

बिहार राज्य पशु मैत्री संघ का गठन,रामबाबू राय अध्यक्ष एवं अमित सिंह प्रदेश सचिव निर्वाचित

Nationalist Bharat Bureau

एलन मस्क और निचोड़ेंगे X यूजर की जेब!

Nationalist Bharat Bureau

Leave a Comment