Mohammad Zubair Gets Bail: सांप्रदायिक नफरत फैलाने के आरोप में कई एफआईआर का सामना कर रहे मोहम्मद ज़ुबैर को आज सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली. कोर्ट ने ज़ुबैर को यूपी में दर्ज सभी एफआईआर में अंतरिम जमानत दे दी है. कोर्ट ने यूपी के सभी केस दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल को ट्रांसफर कर दिए हैं. जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, सूर्य कांत और ए एस बोपन्ना की बेंच ने यह भी कहा कि ज़ुबैर के पिछले ट्वीट्स को लेकर दर्ज किसी नई एफआईआर में उनकी गिरफ्तारी नहीं होगी।सुप्रीम कोर्ट ने ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक और फैक्ट चेकर मोहम्मद जुबैर की याचिका पर सुनवाई की। इस दौरान जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने पत्रकार मोहम्मद जुबैर को बड़ी राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में दर्ज सभी मामलों में अंतरिम जमानत दे दी है।
सुप्रीमकोर्ट ने कहा कि सभी मामलों को एक जगह जमा करके कोई एक एजेंसी जांच करे, इसलिए सभी मुकदमों की जांच दिल्ली पुलिस को दी जाती है, वहीं सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश SIT को भंग किया है। जुबैर अगर चाहे तो दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर FIR रद्द करने की मांग कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने मोहम्मद जुबैर के खिलाफ उत्तर प्रदेश में दर्ज सभी मामलों को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के हवाले किया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर भविष्य में कोई और मुकदमा दर्ज होता है तो उस पर भी यही आदेश लागू होगा। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने पत्रकार मोहम्मद जुबैर को 20 हज़ार रुपये का पर्सनल बॉन्ड भरने को कहा है। बता दें कि पत्रकार मोहम्मद जुबैर पर कुल 8 एफआईआर दर्ज हैं, जिनमें से 7 यूपी में और 1 दिल्ली में दर्ज है।
बहस के दौरान क्या बोली यूपी सरकार की वकील?
सुनवाई के दौरान यूपी सरकार की वकील गरिमा प्रसाद ने एफआईआर रद्द करने की ज़ुबैर की मांग का कड़ा विरोध किया. उन्होंने कहा, “ज़ुबैर पत्रकार नहीं है. खुद को फैक्ट चेकर बताता है. जान-बूझकर नफरत फैलाने वाली सामग्री ट्वीट करता है. उसे ज़हरीले ट्वीट के लिए पैसे मिलते थे. उसने खुद माना है कि 2 करोड़ रुपए तक मिले हैं. उसने गाज़ियाबाद के लोनी में आपसी विवाद में बुजुर्ग की पिटाई को सांप्रदायिक रंग दिया. सीतापुर में बजरंग मुनि पर पुलिस कार्रवाई के बावजूद उनका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल किया.”