पटना:सरस मेला के माध्यम से जीविका दीदियाँ संस्कृति और परंपरा को पुनर्जीवित कर रही हैं l इसके साथ ही एक दुसरे के हुनर को भी सीखते हुए सम्माहित कर रही है l इसकी बानगी बिहार सरस मेला में परिलक्षित हो रही है l बिहार सरस मेला बिहार ग्रामीण जीविकोपार्जन प्रोत्साहन समिति, जीविका द्वारा 20 सितम्बर से 27 सितम्बर तक ज्ञान भवन, पटना में आयोजित है l ग्रामीण शिल्प , हुनर , स्वाद, संस्कृति एवं परंपरा को प्रोत्साहन एवं पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष दो संस्करण में आयोजित किया जा रहा है l प्रथम संस्करण के तहत बिहार सरस मेला ज्ञान भवन में चल रहा है l बुधवार को बिहार सरस मेला का शुभारंभ श्रवन कुमार मंत्री, ग्रामीण विकास विभाग द्वारा किया गया l बिहार सरस मेला के पहले ही दिन 13 लाख 40 हजार 500 रुपये के उत्पादों एवं व्यंजनों की खरीद-बिक्री हुई l लगभग 7 हजार लोग आये l बिहार सरस मेला के पहले ही दिन एरिशा नोगब्री ने अपने स्टॉल से 44 हजार रुपये के उत्पादों की बिक्री की l इनके द्वारा बेचे गए उत्पादों में प्राकृतिक सूखे फूल, बोनसाई, सेकुलुन ऑक्सीजन, जैविक रस हल्दी और पर्यावरण को शुद्ध रखने वाले पौधे हैं l
बिहार सरस मेला के प्रति लोगों का रुझान निरंतर बढ़ते जा रहा है l यहाँ प्रदर्शनी सह बिक्री के लिए आये सिल्क, खादी , कॉटन, मलबरी, फुलकारी, चिकेन कारी, आर्गेंजर,मश्लिन कॉटन,चंदेरी कॉटन, बांका सिल्क, कोशा, मटका, घींग्चा , मूंगा, एरी सिल्क आदि से बने परिधान एवं ड्रेस मैटेरिअल सहज ही लोगों को आकर्षित कर रहे हैं l परिधानों की खरीददारी के साथ ही देशी व्यंजनों का भी स्वाद आगंतुक चख रहे हैं l जीविका दीदियों द्वारा संचालित दीदी की रसोई के स्टॉल पर स्वादिष्ट एवं पौष्टिक व्यंजनों का लुत्फ़ आगंतुक उठा रहे हैं l घरेलु व्यंजनों में बरी-पापड़, अदवरी, दनावरी, विभिन्न प्रकार के अचार, मखाना, चना जोर गरम, आयुर्वेदिक पाचक आदि की भी खूब खरीद-बिक्री हो रही है l बचपन के खिलौने लट्टू, घिरनी, डमरू, किट-किट, योयो ,डुगडुगी और चकरी तथा बच्चियों के लिए किचेन सेट मेला में आकर्षण के केंद्र बने हुए हैं l इन सब खिलौने को देखकर सहज ही अपना बचपन लौट आता है और आगंतुक अपने बच्चे-बच्चियों के जरुर खेद रहे हैं l ताकि नई पीढ़ी भी अपनी संस्कृति और परंपरा से अवगत हो l
सरस मेला के माध्यम से राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही एवं जीविका द्वारा संचालित सतत जीविकोपार्जन योजना के सफल क्रियान्वयन की बानगी भी दिख रही है l कल तक शराब एवं ताड़ी व्यवसाय से जुड़े परिवार अब उससे इतर स्वरोजगार करते हुए समाज में सम्मानजनक जीवन जी रहे हैं l सारण जिला अंतर्गत मांझी प्रखंड स्थित बरेजा गाँव से आई श्रीमती सीता देवी के पति स्व. हरिनंदन महतो की मृत्यु अत्यधिक शराब पीने से हो गई थी l वो शराब बेचते भी थे l उनकी मृत्यु के बाद सीता ने खुद को संभाला और सतत जीविकोपार्जन योजना की मदद से वो परचूनी दुकान चलते हुए सिक्की कला को भी पुनर्जीवित कर रही हैं l वर्ष 20 21 में उन्हें सतत जीविकोपार्जन योजना से जोड़ा गया l उन्हें क्रमशः कुल 37 हजार रुपये की सहयोग राशि व्यवसाय करने के लिए जीविका द्वारा दी गई l उन्हें पारचून दुकान खोल लिया l अब वो खुद के संबल से अपने दो बेटा और दो बेटी का परवरिस कर रही हैं l सभी स्कुल जाने लगे हैं l सीता इन दिनों कुश से उत्पादों का निर्माण कर बाज़ार में बेच रही हैं l इससे भी उन्हें मुनाफा हो रहा है और परम्परा और संस्कृति तथा शिल्प पुनर्जीवित हो रहा है l सीता ने कुश से राखी बनाकर बेचा l इस व्यवसाय से उन्हें सिर्फ अगस्त माह में 21 हजार रुपये का मुनाफा हुआ l उनके कार्य और हुनर की भी तारीफ हुई l सीता देवी अपने द्वारा कुश से बनाये गए उत्पादों को लेकर सरस मेला में सतत जीविकोपार्जन योजना के स्टॉल पर उपस्थित हैं l बिहार से सीता देवी जैसी 80 से ज्यादा जीविका दीदियाँ सरस मेला में खुद के द्वारा बनाये गए शिल्प को लेकर उपस्थित हैं l
बिहार सरस मेला में बिहार समेत 22 राज्यों की स्वयं सहायता समूह से जुडी ग्रामीण महिला शिल्पकार अपने- अपने क्षेत्र के शिल्प, संस्कृति, स्वाद और परंपरा को लेकर उपस्थित हैं l 131 स्टॉल पर हमारे देश का हुनर, शिल्प, स्वाद, संस्कृति और परंपरा परिलक्षित है l बिहार के सभी जिलों से जीविका दीदियों का ग्रामीण शिल्प और हुनर विभिन्न स्टॉल पर प्रदर्शनी सह बिक्री के लिए सुसज्जित हैं l इन स्टॉल्स से उत्पादों एवं व्यंजनों की खरीद –बिक्री बड़े पैमाने पर हो रही है lसरस मेला का सबसे खास आकर्षण जीविका दीदियों द्वारा संचालित दीदी की रसोई, शिल्पग्राम एवं मधुग्राम है lबिहार सरस मेला 20 सितंबर से शुरू होकर 27 सितंबर तक चलेगा l मेला का समय सुबह 10 बजे से शाम 8 बजे तक निर्धारित l प्रवेश निःशुल्क है l