पटना: पटना यूनिवर्सिटी में छात्रसंघ चुनाव और अन्य मुद्दों को लेकर छात्रों का प्रदर्शन उग्र हो गया है। पिछले दो दिनों से चल रहे इस आंदोलन के दौरान छात्रों ने विश्वविद्यालय बंद करने का आह्वान किया। प्रदर्शन के दौरान पुलिस द्वारा की गई लाठीचार्ज में कई छात्र घायल हो गए हैं। इस घटना के बाद छात्रों ने प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करते हुए विश्वविद्यालय परिसर में विरोध प्रदर्शन को तेज कर दिया है।
प्रदर्शनकारी छात्रों की प्रमुख मांग छात्रसंघ चुनाव का आयोजन है, जो पिछले दो वर्षों से लंबित पड़ा है। छात्रों का आरोप है कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन के बावजूद पुलिस ने बर्बर तरीके से लाठीचार्ज किया, जिसमें पांच छात्र गंभीर रूप से घायल हो गए। घायल छात्रों का इलाज जारी है। छात्रों ने सामूहिक रूप से कक्षाओं का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है और कहा है कि जब तक चुनाव की तिथि घोषित नहीं की जाती, उनका आंदोलन जारी रहेगा।
पटना यूनिवर्सिटी का कैंपस इन दिनों पुलिस छावनी में तब्दील हो चुका है। प्रदर्शनकारी छात्रों का कहना है कि कैंपस में पुलिस की भारी उपस्थिति से उनकी गतिविधियों में रुकावट आ रही है। एक छात्र ने व्यंग्य करते हुए कहा, “अब क्या प्रोफेसर पुलिस जवानों को पढ़ाएंगे?” छात्रों का यह भी कहना है कि वे पिछले तीन दिनों से कुलपति (वीसी) से मिलने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल रही है। छात्रों ने आरोप लगाया कि वीसी ने उनकी समस्याओं पर ध्यान देने के बजाय अपने चैंबर में आराम करना उचित समझा। एक छात्र ने कहा, “हम अपने गार्जियन से मिलना चाहते हैं, लेकिन वह हमें समय देना जरूरी नहीं समझते।”
गुस्साए छात्रों ने शुक्रवार को पटना यूनिवर्सिटी के मुख्य गेट पर कुलपति का पुतला दहन किया। इसके बाद, सभी छात्र संगठनों के प्रतिनिधि शाम को पटना कॉलेज कैंपस में बैठक करेंगे और आंदोलन की आगे की रणनीति तय करेंगे। छात्रों ने चेतावनी दी है कि यदि वीसी ने उनकी समस्याओं का समाधान नहीं किया तो वे राज्य भवन तक मार्च करेंगे।
छात्रों का कहना है कि वे केवल यूनिवर्सिटी प्रशासन से छात्रसंघ चुनाव की तिथि और अन्य समस्याओं के समाधान की उम्मीद कर रहे हैं, लेकिन इसके लिए उन्हें संघर्ष करना पड़ रहा है। छात्रों ने स्पष्ट किया है कि यदि उनकी मांगों पर विचार नहीं किया गया, तो उनका आंदोलन और उग्र रूप ले सकता है। प्रदर्शनकारी छात्रों का कहना है कि उनका आंदोलन छात्रों के अधिकारों की रक्षा के लिए है और इसे दबाया नहीं जा सकता।
अंत में, छात्रों ने कहा कि उनका आंदोलन शांतिपूर्ण है, लेकिन प्रशासन की अनदेखी इसे उग्र बना सकती है। वे अपनी मांगों को लेकर सड़क पर उतरने के लिए भी तैयार हैं। इस स्थिति को देखते हुए पटना यूनिवर्सिटी प्रशासन पर छात्रों की मांगों पर ध्यान देने का दबाव बढ़ता जा रहा है।