अम्बरी रहमान(पटना,बिहार,इंडिया)
ख़ुदा करे कि गुलिस्तां में फिर बहार आए।
बला से जज्ब–ए मोहब्बत में इंतशार आए।।
मेरा हाल जो है ठीक ही है अंबरी।
मगर तुम जो करीब आए तो क्यों अश्कबार आए।।
तुम कुछ भी ना करो सुकून–ए है दिल के लिए।
जुबान से झूठ ही कह दो की ऐतबार आए।।
दरमियां में जो हमनवा ही जुदा हो गए।
अब रहबरी के लिए हिस्से में मेरे गर्द–व–गुबार आए।।
दिया साथ तो तकदीर ने नहीं तो क्या करें।
जो अंबरी जीत सकती थी वह भी हार आए।।
अब कोई बताए के क्या करूं अब मैं।
जो एक दिल के मुकाबिल में गम हज़ार आए।।

