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54 साल बाद मिल गया बरैली के बाजार में गिरा झुमका

भारत के कई शहर ऐसे हैं जो अपने यहां पर मिलने वाली प्रसिद्ध चीजों के लिए जाने जाते हैं। जिसका प्रभाव हमें सालों से बॉलीवुड के गानों में देखने को मिल रहा है, चाहें वो मेरठ की रेवड़ी हो, या प्रतापगढ़ का आवला। चाहे वो बनारस का पान हो या फिर फतेहाबाद के लजीज गुलाबजामुन। इन शहरों का नाम सुनते ही हमें यहां की प्रसिद्ध चीजें भी याद आ जाती हैं। बिल्कुल ऐसे ही हमें बरेली नाम सुनकर झुमका याद आता है। सालों से महिलाओं का सबसे अजीज श्रृंगार झुमका बरेली की पहचान है। यह शहर अपने झुमके लिए इतना प्रसिद्ध है कि साल 2019 में यहां पर स्थित एक चौराहे का नाम बदलकर झुमका चौराहा कर दिया गया।

 

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मेरा साया फिल्म 1966 में आई थी।झुमका गिरा रे बरेली के बाजार में…!इस फिल्म का एक लोकप्रिय गीत है।इस गीत में बरेली के बाजार में नायिका का झुमका खो गया हुआ है मगर अब 54 वर्ष बाद वो मिल गया है उस झुमके को देखने आप को बरेली जाना होगा ।बरेली उत्तर प्रदेश का एक शहर है। 54 वर्ष पूर्व केवल इस गीत की वजह से संपूर्ण भारत में प्रसिद्ध हो गया था।अब बरेली विकास प्राधिकरण ने शहर के एन एच 24 पर ज़ीरो पॉइंट पर एक झुमका लगवाया है। झुमके की ऊंचाई 14 फूट है व वजन है 200 किलोग्राम। पितल तथा तांबे से यह झुमका बनाया गया है।गुडगाव के एक कारागिर ने इसे बनाया है।इसकी किमत है 17 लाख रुपये।इस जगह का नाम है झुमका तिराहा।54 वर्ष बाद 2020 में झुमके का यह स्मारक तैयार हुआ और अब एक पर्यटक आकर्षण का केंद्र बन गया है।

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क्या है झुमका गिरने की पूरी कहानी

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झुमका गिरा रे बरैली के बाजार में गाने के गीतकार थे राजा मेहंदी अली खान, गायिका आशा, संगीतकार मदन मोहन।परदे पर गीत सादर किया था दिवंगत साधना जी ने।मेरा साया’ (1966) यह सिनेमा मराठी फिल्म ‘पाठलाग’ (1964) का रीमेक था।मूल सिनेमा की कथा से बरेली शहर का कोई भी संबंध नही है। मगर फिर भी बरेली में झुमका गिरा यह कहानी एकदम सच्ची है और इस कहानी का संबंध सीधा अभिताभ बच्चन परिवार से जुड़ता है।अभिताभ के पिताश्री हरिवंशराय बच्चन और मातोश्री तेजी ( उस समय-तेजी सूरी) इन की पहली भेंट बरेली में किसी रिश्तेदार की शादी में हुई थी।उस शादी के दौरान एक कार्यक्रम में हरिवंशराय जी को कोई एक कविता सुनाने का आग्रह किया गया।उन्होंने कविता का पठन अतिशय सुंदर रीति से किया।कविता सुन कर तेजी की आंखे भर आई।अश्रु बहने लगे।हरिवंशराय की आंखे भी तेजी की अवस्था देख भर आई।इस प्रथम कविताभेट का रूपांतर फिर एक प्रेमकथा में हो गया।मगर काफी समय तक दोनो की शादी की कोई खबर नहीं आई तो दोस्त लोग पूछने लग गए।गीतकार राजा मेहंदी दोनो के अच्छे मित्र थे।उन्होंने भी एक बार तेजी को इस के बारे में पूछा।तब तेजी ने उनका ध्यान भटकाने के इरादे से बोला “मेरा झुमका तो बरेली के बाजार में गिर गया है!तेजी का किया यह विधान राजा मेहंदी के दिमाग में फिट हो गया।फिर जब “मेरा साया” फिल्म के गीत लिखने का समय आया तो राजा मेंहदी को तेजी के उस वाक्य की याद आई।इसी वाक्य पर उन्होंने संपूर्ण गीत लिख डाला और इस गीत ने बरेली शहर को प्रसिद्धी दिला दी।इस लोकप्रिय गाने की याद में बरेली में 54 वर्ष (2020) बाद जो झुमका गिरा था वह फिर से स्थापित हो गया।

 

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तेजी और हरिवंश की कहानी

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आपको बता दें कि इस कहानी की शुरुआत करीब आज से 80 साल पहले हुई थी। यह वहीं समय था जब हरिवंश राय बच्चन देश भर में अपनी कलम से जादू बिखेर चुके थे, वहीं उन्हें लगभग हर व्यक्ति जानने लगा था। कुछ समय पहले ही कवि हरिवंश राय बच्चन अपनी पहली पत्नी और पिता को भी खो चुके थे, जिस कारण उस समय वो पूरी तरह से टूट गए थे। 1941 में साल का आखिरी दिन था कवि हरिवंश अपनी दोस्त प्रो. ज्योति प्रकाश के घर पहुंचे थे, वहां पर उनके अलावा एक और मेहमान भी पहुंची हुईं थी जिनका नाम था तेजी सूरी। यह तेजी और हरिवंश जी की पहली मुलाकात थी।

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