Nationalist Bharat
शिक्षा

बन्द होने के कगार पर पुरानी दिल्ली स्थित लाला हरदयाल पुस्तकालय

तय्यब अली
गंभीर संकट में है लाला हरदयाल पुस्तकालय 17 महीने से वेतन नहीं मिलने के कारण कर्मचारियों की माली हालत बेहद खराब हो गई है कर्मचारियों के पास पुस्तकालय आने का किराया तक नहीं है बंद होने के कगार पर पहुंच चुका हैं दिल्ली के इतिहास का सब से पुराना पुस्तकालय।पुरानी दिल्ली स्थित लाला हरदयाल पुस्तकालय की स्थापना सन 1862 में हुई थी यह दिल्ली शहर का सबसे पुराना सार्वजनिक पुस्तकालय है गौरवशाली आयु प्राप्त कर चुका यह पुस्तकालय गांधी मैदान (चांदनी चौक) में है और इसकी दो शाखाएं पुलबंगश और दरियागंज में हैं यह एक ब्रिटिश-युग की विरासत इमारत में स्थित है और इसके संग्रह में अंग्रेजी और हिंदी उर्दू दैनिक समाचार पत्रों का होना गर्व की बात है पुस्तकालय की स्थापना ब्रिटिश शासको के लिए एक रीडिंग क्लब के हिस्से के रूप में की गई थीहरदयाल पुस्तकालय के अंदर एयर-कंडीशनर न होने के बावजूद भी हवा ठंडी ठंडी रहती है और पुरानी किताबों की गंध बासी और थोड़ी अम्लीय तुरंत पहचानी जा सकती है साथ ही पुराने जमाने के मोटे ब्लेड वाले छत के पंखे औपनिवेशिक युग के माहौल को पूरा करते हैं।

गेट पर लगा नोटिस(वाया फ़ेसबुक)

दिल्ली का शोरगुल वाला क्षेत्र होने के बावजूद एक तरफ चहल-पहल वाला चांदनी चौक बाजार है तो दूसरी तरफ पुराना दिल्ली रेलवे स्टेशन है पुस्तकालय की मोटी दीवारें शोर को दूर रखने का प्रबंधन करती हैं जब जब कोई पाठक कुर्सी घसीटता है तो ही सन्नाटा टूटता है सब से अच्छी बात तो यह है कि यहां सबसे पुरानी पुस्तक और एकमात्र जीवित प्रति ‘ए रिलेशन ऑफ सम इयर्स बाय ट्रैवेल बेगवेन द्वारा लिखित 1634 कि पुस्तक भी सही सलामत है इसे 2013 में संरक्षित किया गया था।भूली-बिसरी और उपेक्षित पुरानी दिल्ली की हरदयाल लाइब्रेरी को सरकार बचाने की कोशिश करेगी या एक दिन इस पुस्तकालय पर भी ताला लग जाएगा इस पुस्तकालय का जीवित रहना इस लिए बेहद्द इस लिए जरूरी हैं क्योंकि इस पुस्तकालय मे हजारों दुर्लभ पांडुलिपियां हैं यह देश की आजादी का भी गवाह है यहां 8000 से अधिक दुर्लभ पुस्तकें है जिसमें से कुछ 16वीं शताब्दी की हैं हिंदी अरबी उर्दू, फारसी संस्कृत व अंग्रेजी की 1 लाख 70 हजार पुस्तकें हैं।

Advertisement

वास्तव में दुर्लभ ग्रंथों का भंडार है दिल्ली की यह हरदयाल पब्‍लिक लाइब्रेरी आप भी जब कभी जाए तो यहां जाकर पढ़ सकते हैं हस्तलिखित भागवत भृगु संहिता और फारसी भाषा में महाभारत कथा महान लेखक अबुल फजल द्वारा लिखित महाभारत हिन्‍दी में कुरान शरीफ और बृज भाषा की पहली पुस्‍तक भी यहां उपलब्‍ध है।शायद हरदयाल लाइब्रेरी बंद हो रही हैं।भारत सरकार से निवेदन कि पुस्तकालय को बंद न होने दे इतिहास प्रेमियो के भविष्य का सवाल है अतः निवेदन है कि पुस्तकालय कर्मचारियों का वेतन समय से दिया जाए क्योंकि पुस्तक कि अहमियत डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम भी कुछ यू कह कर बता गये एक अच्छी पुस्तक हजार दोस्तों के बराबर होती है जब कि एक अच्छा दोस्त एक पुस्तकालय के बराबर होता है।

Advertisement

Related posts

प्राइवेट स्कूलस एंड चिल्ड्रन वेलफेयर एसोसिएशन के राज्य स्तरीय सम्मेलन में सेंट माइकल स्कूल के फादर क्रिस्टो मंत्री डॉ अशोक चौधरी के हाथों बेस्ट प्रिंसिपल अवार्ड से सम्मानित

ऐसे हालातों से गुजर कर मिलती है कामयाबी

Nationalist Bharat Bureau

डॉ दिवेश चंद्र मिश्रा डॉक्टर्स डे पर सम्मानित

Leave a Comment