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Nehru Memorial Museum का नाम बदलने पर प्रियंका गांधी ने कहा:नेहरू की विरासत को आप कभी मिटा नहीं सकते

नई दिल्ली:देश की राजधानी में स्थित नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी (Nehru Memorial Museum)का नाम बदल दिया गया है. अब इसे प्राइम मिनिस्टर म्यूजियम एंड लाइब्रेरी के नाम से जाना जाएगा।नेहरू मेमोरियल का नाम बदलने पर कांग्रेस ने मोदी सरकार पर निशाना साधा है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि संकीर्णता और प्रतिशोध का दूसरा नाम मोदी है। ‘नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी’ का नाम बदलने पर कांग्रेस बिफर पड़ी है।अब कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने केंद्र की मोदी सरकार पर हमला बोला है।

 

 

प्रियंका गांधी ने अपने सोशल मीडिया पेज लिखा कि आजादी के बाद दिल्ली का तीन मूर्ति भवन देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का आवास बना। प्रधानमंत्री बनने के बाद वे 16 साल तक, मृत्युपर्यंत इसी आवास में रहे। पंडित नेहरू जी ने अपनी सारी पैतृ​क संपत्ति देश के नाम कर दी थी। उनके देहांत के बाद तत्कालीन श्री लालबहादुर शास्त्री जी की सरकार ने फैसला किया कि उनके आवास को म्युजियम में बदलकर राष्ट्र को समर्पित कर दिया जाएगा।

 

 

उन्होंने कहा कि नेहरू जी की 75वीं जयंती पर देश के राष्ट्रपति श्री सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी ने 14 नवंबर, 1964 को इसे ‘नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी’ के नाम से देश को समर्पित किया था। यह किसानों एवं जवानों के मसीहा श्री शास्त्री जी, राष्ट्रपति श्री सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी समेत समूचे देश का फैसला था। तबसे ही नेहरू मेमोरियल म्युजियम एंड लाइब्रेरी हमारे देश का एक ऐतिहासिक स्थल था जो पुस्तकों, अभिलेखों एवं बौद्धिक गतिविधियों का प्रमुख केंद्र रहा है।

कांग्रेस महासचिव ने कहा कि पंडित नेहरू के देहांत को लगभग 59 साल बीत चुके हैं। इतने बरसों बाद केंद्र में बैठी भाजपा सरकार द्वारा उनपर तरह-तरह के हमले करना, उनकी विरासत को छेड़ना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और हीनताबोध का सूचक है। ‘नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी’ से पंडित नेहरू का नाम हटाना इसी कड़ी का एक अगला कदम है।

 

प्रियंका गांधी ने कहा कि पंडित नेहरू वह शख्सियत हैं जिन्होंने महात्मा गांधी, नेताजी सुभाषचंद्र बोस, सरदार वल्लभभाई पटेल, लालबहादुर शास्त्री, डॉक्टर अंबेडकर जैसे तमाम महानायकों के साथ इस देश की आजादी और इसके निर्माण के लिए संघर्ष किया था। देश की आजादी के लिए उन्होंने अपनी जिंदगी के लगभग 10 साल जेलों में गुजारे। आजादी के बाद सैकड़ों संस्थाओं का निर्माण करके एक मजबूत भारत की नींव रखी। ऐसी शख्सियत की विरासत को आप कभी मिटा नहीं सकते। उनके प्रति आपका द्वेष सिर्फ आपके व्यक्तित्व का परिचय देता है।

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