पटना:महज तीन दिनों में बिहार सरस मेला से 57 लाख रुपये के देशी उत्पादों एवं व्यंजनों की खरीद-बिक्री हुई है।आधुनिकता के इस दौर में ग्रामीण शिल्प और लोक कला के प्रति लोगों का क्रेज इस बात का प्रमाण भी है कि सरस मेला के माध्यम से सभी अपने संस्कृति और परंपरा की ओर लौट रहे हैं। साथ ही नई पीढ़ी भी अपनी सैकड़ो वर्ष पूरानी संस्कृति एवं लोक कला से रूबरू हो रही है। बिहार सरस मेला से ग्रामीण शिल्प लोक कला एवं देशी व्यंजनों की खरीददारी इस बात का प्रमाण भी है। आम से लेकर खास लोगों के बीच मेला का क्रेज है।
शनिवार को डा. एन सरवन कुमार, सचिव, ग्रामीण विकास विभाग, बिहार सरकार ने भी सरस मेला का परिभ्रमण किया।उन्होंने सरस मेला में प्रदर्शनी सह बिक्री के लिए लाये गए शिल्प की तारीफ की। महज तीन दिनों में लगभग 57 लाख के उत्पादों एवं व्यंजनों की खरीद-बिक्री हुई है। बिहार सरस मेला के तीसरे दिन दिन 22 सितम्बर को लगभग 24 लाख के उत्पादों एवं व्यंजनों की खरीद-बिक्री हुई है। आयोजन के तीसरे दिन लगभग 10 हजार 900 लोग आये ।
ग्रामीण शिल्प, संस्कृति, हस्तशिल्प एवं लोक कला के साथ ही देशी व्यंजनों को प्रोत्साहित करने एवं एक चाट के नीचे बड़ा बाज़ार देने के उद्देश्य से बिहार सरस मेला, ज्ञान भवन, पटना में 27 सितंबर तक आयोजित है। बिहार ग्रामीण जीविकोपार्जन प्रोत्साहन समिति जीविका के तत्वाधान में बिहार सरस मेला चल रहा है। बिहार सरस मेला में बिहार समेत 22 राज्यों की स्वयं सहायता समूह से जुडी महिलायें अपने हुनर को लेकर 131 स्टॉल्स पर उपस्थित हैं। मेला में प्रवेश निः शुल्क है।
मेला के तीसरे दिन सबसे ज्यादा बिक्री कश्मीरी परिधानों की हुई है। जम्मू कश्मीर के बडगांव जिला अंतर्गत चिनार से आई हुई शिकिला ने लगभग 70 हजार रुपये के परिधानों की बिक्री की है। इनके द्वारा निर्मित परिधान पश्मीना एवं सिल्क से बने हुए सूट, साड़ियाँ, दुपट्टे एवं उन शाल के प्रति आगंतुकों का खास आकर्षण है ।
सरस मेला में जीविका दीदियों द्वारा संचालित शिल्प ग्राम महिला उत्पादक कंपनी लिमिटेड के माध्यम से बिहार की लोक कला एवं शिल्प को पहली बार एक मंच पर लाकर ग्रामीण महिलाओं को उनके द्वारा उत्पादित वस्तुओं को बाज़ार दिया गया है मलबरी कोकून से बनी सिल्क की साड़ियाँ यथा भागलपुर, मुर्शिदाबाद, विष्णुपुरी और बालुचेरी साड़ियाँ लोगों का ध्यान आकर्षित कर रही हैं । जीविका दीदी की रसोई के साथ ही अन्य स्टॉल पर स्वादिष्ट व्यंजन उपलब्ध है। कारपेट एरिया में कारपेट समेत घर के सजावट हेतु हाथ से बुने हुए उत्पाद ‘भी लोगों को पसंद आ रहे हैं। मेला में डिजिटल खरीददारी की भी सुविधा उपलब्ध है जिसके खरीददार ए. टी. एम् या आधार कार्ड से भी रुपये निकालकर खरीददारी कर रहे हैं।
खादी, सिल्क, मटका, कॉटन, कोशा आदि से बनी साड़ियाँ, सलवार सूट दुपट्टे और नाइटी जैसे परिधान और भागलपुर के कतरनी चावल, चुडा और गुड़ के रवा आगंतुको द्वारा बहुत पसंद किये जा रहे है। पापड़, शुद्ध शहद, मिठाई, मुरब्बे, रोहतास की गुड़ की मिठाई, किसान चाची द्वारा निर्मित अचार, तेलंगाना के खादी के परिधान, अगरबत्ती, लाह की चूड़ियां, घर बाहर के सजावट के सामान, खिलौने के अलावा मधुबनी पेंटिंग पर आधारित मनमोहक कलाकृतियाँ, कपड़े, कालीन, रनर, पावदान, आसाम और झारखण्ड से आई बांस से बनी कलाकृतियाँ, ड्राई फ्लावर गाँव की हुनर को प्रदर्शित करते हुए लोगों को सहज ही अपनी ओर आकर्षित कर रही हैं। इसके अलावा जीविका दीदियों द्वारा मधुबनी पेंटिंग, सिक्की कला, बचपन के खेल के यादगार खिलौने एवं कपड़ों समेत विभिन्न उत्पादों के निर्माण प्रक्रिया का जीवंत प्रदर्शन किया जा रहा है । सिल्क और खाड़ी से बने परिधान की मान और मांग भी खूब है। सरस मेला को फोर नाइन मीडिया प्रा. लिमिटेड इवेंट कम्पनी, दिल्ली ने सजाया संवारा है।