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संस्कृति, परम्परा, लोक कला, शिल्प, और देशी व्यंजन का दौर पुनर्जीवित कर रहा बिहार सरस मेला

पटना:मैगी और मोमो के इस दौर में अगर आपको अदवरी, दनावरी, चनौरी, पापड़ और विभिन्न प्रकार के अचार और पाश्चत्य परिधानों के बीच देशी परिधानों का क्रेज देखना है तो सरस मेला में आइए जहाँ हमारी संस्कृति, परम्परा, लोक कला, शिल्प, और देशी व्यंजन का दौर पुनर्जीवित हुआ है | बिहार सरस मेला में सुसज्जित 131 स्टॉल पर देश भर के 22 राज्यों की लोक कलाएं, हस्तशिल्प एवं देशी व्यंजन लोगों को लुभा रहे हैं।बिहार सरस मेला बिहार ग्रामीण जीविकोपार्जन प्रोत्साहन समिति ( जीविका ) द्वारा 20 सितम्बर से 27 सितम्बर 23 तक आयोजित है । मेला समापन में महज दो दिन शेष है लिहाजा लोग अपने मनपसंद शिल्प, उत्पाद, परिधान एवं व्यंजनों की जमकर खरीददारी कर रहे हैं । पुरे परिवार के साथ लोग मेला का परिभ्रमण करते हुए खरीददारी कर रहे हैं। स्टॉल धारक भी बिहार सरस मेला में आकर खुश हैं ।

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उनके स्टॉल से बिक्री में निरंतर वृद्धि हो रही है। रविवार को पुनः ओड़िसा के कटक जिला अंतर्गत बक्सी बाज़ार से आई हाजी अली स्वयं सहायता समूह की सदस्य आलिया बेगम ने अपने स्टॉल से एक लाख रुपये से ज्यादा के परिधानों की बिक्री की। उनके स्टॉल से कॉटन, सिल्क एवं चंदेरी से बनी हुई सूट, साडी, दुपट्टा, कुर्ती मैटेरियल, चादर, तकिया कवर, सोफे कवर, आदि की बिक्री हो रही है । सोमवार की शाम राहुल कुमार, मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी, जीविका ने भी सरस मेला परिसर में परिभ्रमण किया। इस दौरान राहुल कुमार ने इस दौरान स्टॉल धारकों से भी मुखातिब हुए और उनसे एक घरेलु महिला से व्यवसाई बने तक के सफ़र और खरीद-बिक्री के बारे में जानकारी ली ।5 दिनों में लगभग 1 करोड़ 48 लाख रुपये के उत्पादों एवं व्यंजनों की खरीद-बिक्री हुई है। बिहार सरस मेला के पांचवे दिन रविवार को लगभग 56 लाख रुपये के उत्पादों एवं व्यंजनों की खरीद-बिक्री हुई है। अब तक एक लाख से ज्यादा लोग आये और खरीददारी की । सरस मेला में कैशलेश खरीददारी की व्यवस्था है। इसके लिए जीविका दीदियों द्वारा दो ग्राहक सेवा केंद्र संचालित हैं। बिहार सरस मेला में जीविका चूड़ी निर्माण केंद्र का स्टॉल खास हैं इस स्टॉल पर जप्त की गई शराब की बोतलों से निर्मित चूड़ियों की बिक्री हो रही है। जीविका चूड़ी निर्माण केंद्र मध् निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग तथा ग्रामीण विकास विभाग के संयुक्त तत्वाधान में संचालित है ।

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खादी, सिल्क, मटका, कॉटन, कोशा आदि से बनी साड़ियाँ, सलवार सूट, नाइटी, फुलकारी, चिकेन कारी जैसे परिधानों की खरीददारी बड़े पैमाने पर हो रही है। वहीं घर सजाने के लिए हस्तशिल्प, कालीन, रग्स, आराम कुर्सी, लैम्प, झूमर, तोरण, कृत्रिम फूल और गमले की भी खरीद-बिक्री हो रही है। बच्चों के खिलौने लट्टू, घिरनी, डमरू, किट किट, योयो, डुगडुगी चकरी और नेम प्लेट बड़ी संख्या में बिक रहे हैं। कश्मीर से आये गर्म कपड़े, शाल, शूट और स्टॉल भी आकर्षण के केंद्र हैं। व्यंजनों के स्टॉल पर आगंतुक देशी व्यंजनों का स्वाद तो चख ही रहे हैं घर के लिए भी विभिन्न प्रकार के अचार, पापड़, दनवरी, अदवरी, सत्तू, मखाना, कतरनी चावल, चुड़ा और गुड़ का रवा जैसे देशी व्यंजन ले जा रहे हैं । प्राकृतिक सूखे फूल, बोनसाई, सेकुलुन ऑक्सीजन, जैविक रस हल्दी और पर्यावरण को शुद्ध रखने वाले पौधे भी आगंतुकों को लुभा रहे हैं। बिहार सरकार की महत्वपूर्ण एवं जीविका द्वारा संचालित सतत जीविकोपार्जन योजना के स्टॉल पर जीविका दीदियाँ महिला सशक्तिकरण, स्वावलंबन एवं उद्यमशीलता की नजीर पेश कर रही हैं। स्वास्थ्य एवं पोषण के स्टॉल पर किफायती, जैविक और स्वच्छ सैनेटरी पैड की पहुँच महिलाओं एवं किशोरियों तक बढ़ाने के उद्देश्य से प्रदर्शित है। इसकी बिक्री भी हो रही है। छह माह तक के बच्चों के शारीरिक एवं मानसिक विकास के लिए शुद्ध एवं पौष्टिक आहार के तहत जीविका दीदियों द्वारा निर्मित बालाहार के प्रति आगंतुकों को जागरूक किया जा रहा है। बालाहार की बिक्री एवं प्रदर्शनी जारी है।

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