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मुजफ्फरपुर लोकसभा चुनाव 2024:भाजपा हैट्रिक लगाने के कगार पर तो महागठबंधन…

•मेराज एम एन 

उत्तर बिहार की महत्वपूर्ण लोकसभा सीटों में से एक मुजफ्फरपुर लोकसभा क्षेत्र भी लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर अहम है। मुजफ्फरपुर लोकसभा सीट पर कभी कांग्रेस पार्टी का प्रभुत्व हुआ करता था लेकिन उस प्रभुत्व को समाप्त करते हुए प्रखर समाजवादी नेता जार्ज फर्नाडिस ने इसे अपनी कर्मभूमि बनाया और कांग्रेस पीछे होती चली गई।फिर उसके बाद कांग्रेस कभी नहीं लौटी। ये वही सीट है जिसने जॉर्ज फ़र्नान्डिस को कई बार सांसद बनाया। शुरूआती चुनावों से यहाँ कांग्रेस का दबदबा देखने को मिलता है लेकिन इमरजेंसी के बाद से जॉर्ज फ़र्नान्डिस ने कांग्रेस के किले को गिरा दिया। जिसके बाद अबतक सिर्फ एक बार ही कांग्रेस को जीत नसीब हुई।

 

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राजनीतिक विश्लेषकों मुजफ्फरपुर लोकसभा क्षेत्र में संख्या बल के हिसाब से भूमिहार, यादव, वैश्य, मुस्लिम, मल्लाह(निषाद) और कुशवाहा निर्णायक भूमिका में रहते हैं। इसमें जो कोई दूसरे के घर में सेंध लगाने में सफल रहता है,बाजी मार ले जाता है। हालांकि पिछले दो लोकसभा चुनाव अर्थात 2014 और 2019 में मुजफ्फरपुर लोकसभा क्षेत्र में एक तरफा वोटिंग देखने को मिली जिसका नतीजा निकल कर सामने आया कि भारतीय जनता पार्टी ने दोनों बार इस लोकसभा सीट पर अपना कब्जा जमा लिया।

 

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अगर मुजफ्फरपुर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के इतिहास पर नजर दौड़ाएं तो पता चलता है कि मुजफ्फरपुर लोकसभा सीट पर पहली बार साल 1952 में कांग्रेस के टिकट पर श्याम नंदन सहाय चुनाव जीते लेकिन दूसरे ही चुनाव में कांग्रेस की हार हुई और प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के अशोक रंजीतराम मेहता चुनाव जीते हालांकि इसके बाद लगातार तीन बार यानि 1962 से 1971 तक कांग्रेस का कब्जा रहा। 1962 और 1967 में दिग्विजय नारायण सिंह तो 1971 में नवल किशोर सिन्हा चुनाव जीते। 1977 और 1980 में यह सीट जनता पार्टी के खाते में गई और जॉर्ज फ़र्नान्डिस सांसद चुने गए। 1984 में कांग्रेस के टिकट पर ललितेश्वर प्रसाद शाही इस सीट से सांसद बने।इसके बाद 1989 और 1991 में लगातार दो बार जॉर्ज फ़र्नान्डिस जनता दल के टिकट पर चुनकर संसद पहुंचे। 1996 में भी सीट तो जनता दल के पास ही रही लेकिन इस बार सांसद जय नारायण निषाद बने। 1998 में जय नारायण निषाद राजद के टिकट पर सांसद बने तो 1999 में जेडीयू के टिकट पर चुने गए। 2004 में एक बार फिर से जॉर्ज फ़र्नान्डिस जेडीयू के टिकट पर दिल्ली पहुंचे। 2009 में भी यह सीट जेडीयू के खाते में ही गई और जय नारायण निषाद सांसद बने जबकि 2014 में मोदी लहर में पहली बार इस सीट पर कमल खिला और अजय निषाद सांसद चुने गए।2019 में भी भाजपा ने यहां से जीत दर्ज की है।इस सीट की एक खास बात ये भी है कि यहाँ से अबतक हुए चुनावों में 10 बार बाहरी लोगों ने बाजी मारी है। जो मूल रूप से बिहार या मुजफ्फरपुर के नहीं थे।

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मुजफ्फरपुर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में पड़ने वाले विधानसभा क्षेत्र और उसमें 2020 के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने वाली राजनीतिक पार्टियों का विश्लेषण करें तो यहां किसी एक पार्टी का प्रभुत्व नजर नहीं आता है। लोकसभा क्षेत्र में कुल् 6 विधानसभा सीट हैं जिन पर अलग-अलग पार्टियों का कब्जा है।मुजफ्फरपुर लोकसभा क्षेत्र में कुल छह विधानसभा सीट में से 2-2 सीट पर भाजपा और राजद का कब्ज़ा है। वही जदयू और कांग्रेस के पास एक-एक सीट है।गायघाट से राजद के निरंजन राय , औराई से भाजपा के रामसूरत राय, बोचहाँ से राजद के अमर कुमार पासवान , सकरा से जदयू के अशोक कुमार चौधरी , कुढ़नी से भाजपा के केदार गुप्ता, मुजफ्फरपुर से कांग्रेस के बिजेंद्र चौधरी विधायक हैं।

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बिहार में जातीय जनगणना के बाद बदले हुए राजनीतिक स्वरूप और एनडीए गठबंधन से जनता दल यूनाइटेड के अलग होकर महागठबंधन के साथ आने के बाद मुजफ्फरपुर लोकसभा का आगामी 2024 का चुनाव भी नए आयाम में नजर आएगा। 2024 के लोकसभा चुनाव में एक तरफ जहां भारतीय जनता पार्टी जीत का परचम लहरा कर मुजफ्फरपुर लोकसभा क्षेत्र में पहली बार हैट्रिक लगाने की कोशिश करेगी वहीं दूसरी तरफ महागठबंधन की भी कोशिश होगी कि वह भारतीय जनता पार्टी के रथ को रोक कर अपना परचम बुलंद कर सके।

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