Nationalist Bharat
शिक्षा

‘रोज़ा लक्ज़मबर्ग, लोकतंत्र और श्रम: वर्तमान भारतीय परिस्थिति में रोजा लक्जमबर्ग के विचार की प्रासंगिकता’ पर पैनल चर्चा का आयोजन

पटना: ए एन सिन्हा संस्थान में  ‘रोज़ा लक्ज़मबर्ग, लोकतंत्र और श्रम: वर्तमान भारतीय परिस्थिति में रोजा लक्जमबर्ग के विचार की प्रासंगिकता’ पर पैनल चर्चा का आयोजन हुआ. चर्चा का आयोजन सेंटर फॉर लेबर रिसर्च एंड एक्शन और रोजा लक्समबर्ग स्तिफ्तुंग के संयुक्त तत्वाधान मे किया गया. परिचर्चा में पटना और आसपास के 50 से ज्यादा सामाजिक राजनैतिक कार्यकर्ताओं, बौद्धिक और सांस्कृतिक कर्मियों ने भाग लिया. उल्लेखनीय है कि रोजा लक्समबर्ग जर्मनी की प्रमुख समाजवादी नेता थी जिनकी 1919 में प्रतिक्रियावादी ताकतों द्वारा हत्या कर दी गयी थी.  रोजा लक्जमबर्ग (1861-1919) ने ऐसे समय में जीवन जिया और लिखा जिसे समाजवाद के इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण काल माना जा सकता है।
परिचय सत्र की अध्यक्षता डॉक्टर अनिल रॉय ने की. सेंटर फॉर लेबर रिसर्च एंड एक्शन के सुधीर कटियार ने स्वागत करते हुए पैनल चर्चा के उद्देश्य को रेखांकित किया. सत्र में उद्बोधन देते हुए रोजा लक्समबर्ग स्तिफ्तुंग की दक्षिण एशिया की क्षेत्रीय निदेशक ब्रिता पिटोरसों ने रोजा के ऊपर आधारित वेबसाइट का परिचय दिया. एक लघु डाक्यूमेंट्री दिखाई गयी. राजीव कुमार ने पटना में आयोजन रखने के कारणों पर चर्चा की. पहला सत्र रोजा के विचारों पर केन्द्रित था. इस सत्र में संस्कृति कर्मी अनीश अंकुर ने रोजा विचार पर अध्ययन करने वाले साउथ एशिया यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रवि कुमार से नात की. रोजा की प्रमुख अवधारणा पूंजी और गैर पूंजी क्षेत्र का आपसी सम्बन्ध, रोजा के विचारों में प्रजातंत्र की अहमियत, और राष्ट्रवाद पर उनके विचारों पर बात हुई. अगले सत्र में लोकतंत्र रक्षा अभियान के अक्षय कुमार ने टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ़ सोशल साइंस के पूर्व प्रोफेसर पुष्पेन्द्र कुमार सिंह से पूंजी संचय के नए रूप और श्रम को संगठित करने की चुनौतियां पर बात की. उन्होंने लगभग 48 करोड़ की श्रम शक्ति के विभाजन और इसमें स्व नियोजित श्रमिको की बड़ी संख्या को रेखांकित किया. पुष्पेन्द्र ने वर्तमान में श्रम के बिखरे स्वरुप के मद्देनजर संगठन करने के नए तरीके अपनाने पर बल दिया.
चर्चा का अगला सत्र महिला श्रम पर केन्द्रित था. इस सत्र की अध्यक्षता नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वुमेन की निवेदिता झा ने की. अधिवक्ता शगुफ्ता रशीद ने महिला की जिंदगी के अलग अलग चरणों में उसके साथ किये जाने वाले भेदभाव का जिक्र किया. भूतपूर्व विधान परिषद् सदस्य उषा साहनी ने महिला संगठनो के सामने आ रही चुनोतियों का विवरण दिया. स्कूल में मध्यान्ह भोजन बनाने वाली महिला को मात्रा रु 1500/- प्रति माह का भुगतान होता है. महिलाओं द्वारा किए जाने वाला निरंतर श्रम अक्सर अदृश्य बना रहता है। उन्होंने इस पर भी जोर दिया कि महिला श्रमिकों को अपने अधिकारों के लिए लगातार संघर्ष करना पड़ता है निवेदिता झा ने बताया कि आज भी महिलाओं के घरेलू श्रम को काम नहीं माना जाता और यह या तो बिना वेतन के किया जाता है या बहुत कम वेतन पर। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि बढ़ते प्रवासन के कारण, जो ग्रामीण महिलाएँ अपने मूल स्थान पर रह जाती हैं, उन्हें खेतों में बाहरी काम करने के साथ-साथ घरेलू देखभाल का बोझ भी उठाना पड़ता है।अंतिम सत्र “आज के समय में श्रमिक वर्ग: चुनौतियाँ और आगे का रास्ता” सत्र में, अरुण मिश्रा (CITU) ने श्रमिक आंदोलन के भीतर पितृसत्ता पर चर्चा करने के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि वैश्विक उत्पादन श्रृंखलाओं के कारण श्रमिकों में विखंडन हुआ है, और आगे बढ़ते समय इन परिवर्तनों को ध्यान में रखना आवश्यक होगा।
अजय कुमार (AITUC) ने श्रम संहिताओं के कमजोर होने और मालिकों द्वारा अपनाई जा रही ‘हायर एंड फायर’ रणनीतियों पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि पहले हड़ताल करना आसान था, लेकिन अब श्रमिकों के अस्थायीकरण (casualization) और आंदोलनों के लिए पूर्णकालिक कार्यकर्ताओं (cadre) के वित्तपोषण में कठिनाई के कारण यह और अधिक चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है।सुधीर कटियार ने भारत में अंबेडकरवादी और वामपंथी आंदोलनों के महत्व को रेखांकित किया, जो वर्तमान में समानांतर रूप से चल रहे हैं। उन्होंने कहा कि इन आंदोलनों को एक साथ आकर मौजूदा दमनकारी व्यवस्थाओं के खिलाफ एकजुट संघर्ष छेड़ना चाहिए।अनिल कुमार रॉय ने शिक्षा के अधिकार (RTE) अधिनियम का संदर्भ देते हुए कहा कि जिस प्रकार स्कूलों को बच्चों तक पहुँचने का दायित्व सौंपा गया था, उसी प्रकार श्रमिक आंदोलनों को भी बदले हुए परिदृश्यों को ध्यान में रखते हुए श्रमिक वर्ग तक पहुँचने के लिए संगठित प्रयास करने चाहिए।
चर्चा के अंत में अनीश अंकुर ने सभी सत्र की चर्चा का निष्कर्ष प्रस्तुत किया. रोजा रोजा लक्समबर्ग स्तिफ्तुंग की दक्षिण एशिया की क्षेत्रीय निदेशक ब्रिता पिटोरसों द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ चर्चा समाप्त हुई.सभा में प्रमुख लोगों में थे प्रमोद शर्मा, जयप्रकाश, गोपाल शर्मा, कादम्बिनी, अर्चना प्रियदर्शिनी, प्रीति प्रभा, राकेश, अमित, राजीव रंजन, विनीत राय, सुमन, नवलेश, विद्यार्थी विकास, विश्वजीत कुमार, देवरत्न, भोला पासवान आदि।

Rupee vs Dollar : रुपया 85 के पार

Nationalist Bharat Bureau

उधार लिया हुआ मटका

Nationalist Bharat Bureau

पटना में बीपीएससी अभ्यर्थियों का सत्याग्रह छठे दिन भी जारी

Nationalist Bharat Bureau

जो तूफान में आपका साथ देतें हैं उन्हें कभी नहीं भूलना चाहिए

नीतीश सरकार ने जारी की प्रमोशन लिस्ट, 855 अधिकारियों को बड़ा फायदा

Nationalist Bharat Bureau

बिहार स्टेट मदरसा एजुकेशन बोर्ड की बैठक स्थगित

Nationalist Bharat Bureau

Assam Forest ने Forest Guard, Driver, Cook और अन्य पदों के लिए भर्ती की प्रक्रिया शुरू, ये है आवेदन की आखिरी तारीख।

Nationalist Bharat Bureau

बाबू जगजीवन राम स्मृति व्याख्यान 6 जुलाई को, “बाबू जगजीवन राम की प्रासंगिकता” पर होगी चर्चा

वित्त रहित शिक्षकों के लिए समिति गठित, संस्कृत विद्यालयों और मदरसों का होगा कायाकल्प

Nationalist Bharat Bureau

National Mathematics Day 2022:श्रीनिवास रामानुजन ने अपनी 33 साल की उम्र में दुनिया को लगभग 3500 गणितीय सूत्र दिए

Nationalist Bharat Bureau

Leave a Comment