मेराज नूरी
पहले मन बनाओ,फिर फ़ॉर्म भरो,उस में पैसा लगाओ,फिर फ़ूल टेंशन के साथ पढ़ाई करो,फिर परीक्षा केंद्र के लिए जाने का टेंशन लो, फिर भेड़ बकरी की तरह 200, 300 किलो मीटर धक्के खा कर 500 से 1000 रुपए लगा कर सेंटर पर पहुंचो, क़िस्मत अच्छी रही तो टाइम पर पहुंच जाओगे, बाक़ी अगर किसी को कुत्ता काटा होगा तो दो से तीन घंटा जाम में भी फंस सकते हो।फिर रहने का जुगाड़ ढूंढो, मिल गया तो जय जय नहीं मिला तो उल्टे पांव वापस भागने का टेंशन अलग, फिर एक घंटा पहले सेंटर पर पहुंचो, फिर जांच कराओ, परीक्षा दो और घर जाने के क्रम में ही पता चले के पेपर लीक हो गया है।उस के बाद अपना सर दीवार पर मार लो।काहे कि बिहार बदनाम है।पेपर लीक आम है।बाक़ी झेलिए और का।
ये दर्द ये पीड़ा ये तकलीफ उस बिहारी की है जिसकी बीपीएससी की परीक्षा पेपर लीक हो जाने की वजह से रद हो गयी।जी हां, BPSC ने 67वीं PT के पेपर को रद्द कर दिया गया है। आयोग ने यह फैसला पेपर आउट होने के बाद लिया है। बताया जा रहा है कि एग्जाम शुरू होने के पहले ही सी सैट का पेपर सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था। इसके बाद आयोग ने 3 सदस्यीय कमेटी गठित की थी, जिसको 24 घंटे में रिपोर्ट सौंपनी थी, लेकिन कमेटी ने 3 घंटे के अंदर ही अपनी रिपोर्ट दे दी। इसके बाद आयोग के अध्यक्ष आरके महाजन ने परीक्षा रद्द करने का फैसला लिया है। अब दोबारा परीक्षा की नई तिथि घोषित की जाएगी।
दरअसल कहने वाले कह रहे हैं कि बिहार सरकार का सिस्टम रोजगार के मुद्दे पर तीन सूत्रीय फार्मूले पर काम करता है । पहले तो भर्ती विरले आती है,आती है तो परीक्षा नियमित समय पर नहीं होती और जब परीक्षा होती है तो पेपर लीक हो जाता है ।प्रतियोगी परीक्षाओं वाले अभ्यर्थी बेरोजगार ही रह जाते है ।पेपर लीक होने के मामले में यूपी-बिहार में प्रतिस्पर्धा की होड़ लगी हुई है।इन दोनों राज्यों की परीक्षा के प्रश्न पत्र परीक्षा से पहले सार्वजनिक हो जाते है । आज बात बिहार की करते है। बिहार सरकार की सबसे सम्मानित प्रतियोगी परीक्षा की अगुवाई करने वाले आयोग बीपीएससी का नाम बदलकर बिचौलिया सर्विस कमीशन कर देना चाहिए।बिहार में बेरोजगारी की मार है।नकल माफियाओं की बहार है।सरकार चाहती है अभ्यर्थी बेरोजगार रहे।धंधेबाज उसके काम को आसान कर देते है ।पारदर्शिता और दूरदर्शिता नामक कोई चीज नहीं है बिहार में।अब तो बेरोजगारी की आदत डाल लीजिए ।करोड़ों बेरोजगार अभ्यर्थियों की मेहनत पर पानी फेरने वाला आयोग चाहता है बिहार बेरोजगार की फैक्ट्री बना रहे ।अभ्यर्थी परीक्षा दे या मानसिक उत्पीड़न सहे जवाबदेही तय नहीं हो पा रही है।अब पढ़ाई लिखाई करना भी मानसिक उत्पीड़न होने का न्यौता देना है ।
बिहार लोक सेवा आयोग की परीक्षा से सम्बंधित मीडिया के माध्यम से आ रहीं खबरें चिंतनीय है। साधारण छात्र भी परीक्षा के लिए कम से कम 2-3 वर्ष कड़ी मेहनत करते हैं। परिवार के आर्थिक ज़रूरतों को पूरा करने का सपना और समाज की नज़रों में खड़े उतरने के दबाव के साथ प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों की भावनाओं के साथ भद्दा मज़ाक़ करने का हक़ किसी को भी नहीं है।
सरकार की गलत नीतियों एवं प्रशासन की लचर व्यवस्था के कारण बिहार के लाखों होनहार छात्रों का भविष्य गर्त में जा रहा है। हर बार बिहार के प्रतियोगी परीक्षाओं में धांधली आम बात हो गई है। बिहार में व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण सीटों की बोली लग जाती है। 67वीं BPSC के प्राथमिक परीक्षा में प्रशासन के लचर एवं गैरजिम्मेदाराना रवैये के कारण आज पेपर लीक हुआ एवं एक पल में सरकार ने परीक्षा रद्द कर लाखों युवाओं के मेहनत को मिट्टी में मिला दिया।
कब तक बिहार सरकार के नाकामियों की कीमत छात्र अपने भविष्य को दाव पर लगाकर चुकाते रहेंगे? छात्रों में रोष व्याप्त है, अनुभव करने की बात है लाखों छात्र भिन्न-भिन्न जगहों पर जाकर परीक्षा दिए। छात्र परीक्षा देकर अपने गंतव्य तक लौटे नहीं की परीक्षा रद्द कर दी गई। छात्रों का अर्थिक, मानसिक हानि हुआ। छात्रों कक कई वर्षो की मेहनत एवं अरमानों को जमींदोज कर दिया गया। इसकी कीमत सरकार कैसे चुकाएगी जवाब देना चाहिए।