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बिहार में पान की दुकान पर जो राजनीति होती है गुजरात में मुख्यमंत्री आवास में भी वैसी राजनीति नहीं होती

जिस तरीके से बीजेपी ने 2020 में छल से नीतीश कुमार को कमजोर किया है नीतीश जब तक उस छल में शामिल एक एक व्यक्ति को ठिकाना नहीं लगा देंगे तब तक बीजेपी का साथ छोड़ेंने वाले नहीं हैं। चिराग गये ,आरसीपी गये, भूपेन्द्र यादव गये ,नित्यानंद को जगह लगा दिया और अब बारी संजय जायसवाल की है ।नीतीश यही रुकने वाले नहीं है।अंतिम निशाना अमित शाह हैं। जब तक यह खेल पूरा नहीं हो जाता तब तक नीतीश बीजेपी को छोड़ने वाले नहीं है।

 

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संतोष सिंह

कल रात से ही दिल्ली के पत्रकार मित्रों और भाजपा से जुड़े मित्रों का लगातार फोन आ रहा है कि बिहार में क्या हो रहा है। नीतीश बीजेपी का साथ छोड़ रहे हैं, किसी ने कहां मेरे पास पक्की खबर है लालू और नीतीश के बीच बातचीत हुई है,किसी ने कहा ललन सिंह का बयान बहुत महत्व रखता है ।
किसी ने बिहार बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष के फेसबुक वाल का टेक्स्ट लेकर भेजा “ईश्वर आपको सच सुनने की क्षमता दे”पता नहीं क्यों संजय जायसवाल का सरकार और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेकर जो बयान दिया था और उस बयान के बाद ललन सिंह और नीरज सिंह की जिस अंदाज में प्रतिक्रिया आयी है उसके बावजूद मुझे ऐसा नहीं लगा कि बिहार की राजनीति में कुछ होने वाला है ।आज सुबह पटना से बाहर थे।नेट काम नहीं कर रहा था फिर भी लोगों की कॉल आ रही थी आज शाम होते होते कुछ ना कुछ जरूर होगा ,शाम में नीतीश कुमार ने पार्टी के तमाम बड़े नेता को आवास पर बुलाया है।फिर बीजेपी के एक मित्र ने संजय जायसवाल के फेसबुक पोस्ट का टेक्स्ट भेजा “1967 से बिहार की राजनीति में सदैव कुछ ऐसा महानुभव रहे हैं जो जिनके पास सटकर आगे बढ़ते हैं उनको अगले दिन से ही काटना शुरू कर देते हैं और जो इनको भगाता है उनको अगले दिन से ही दूध पिलाना शुरू कर देते हैं”।

 

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संजय जायसवाल का यह पोस्ट सच में बेहद गंभीर है और ऐसा लग रहा है बीजेपी नीतीश से दो दो हाथ करने के मूड में आ गयी है ।लेकिन मेरा मानना है कि जिस तरीके से बीजेपी ने 2020 में छल से नीतीश कुमार को कमजोर किया है नीतीश जब तक उस छल में शामिल एक एक व्यक्ति को ठिकाना नहीं लगा देंगे तब तक बीजेपी का साथ छोड़ेंने वाले नहीं हैं। चिराग गये ,आरसीपी गये, भूपेन्द्र यादव गये ,नित्यानंद को जगह लगा दिया और अब बारी संजय जायसवाल की है ।

 

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नीतीश यही रुकने वाले नहीं है।अंतिम निशाना अमित शाह हैं। जब तक यह खेल पूरा नहीं हो जाता तब तक नीतीश बीजेपी को छोड़ने वाले नहीं है।क्यों कि बिहार को लेकर मोदी अभी भी सहज नहीं है और 2015 की हार के ट्रोमा से वे अभी भी बाहर नहीं निकल पाये हैं। नीतीश इसी का लाभ उठा रहे हैं ,भाई ये बिहार है यहां पान की दुकान पर जो राजनीति होती है गुजरात में मुख्यमंत्री आवास में भी वैसी राजनीति नहीं होती है।देखिए आगे आगे होता है क्या।वैसे बिहार जिस दिशा में बढ़ रहा है ना दिल्ली को समझ में आ जाएगा कि किस से पाला पड़ा है।वैसे दिल्ली की सरकार और बीजेपी को अग्निवीर का विलेन तो बना ही दिया है ।

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