पटना:बिहार कर्मचारी चयन आयोग की सुस्ती की वजह से 1294 छात्रों का भविष्य अधर में लटका हुआ है। मुख्य परीक्षा लिए 9 महीने और 16 दिन बाद भी परिणाम ना प्रकाशित करने पर छात्रों ने अपना गुस्सा टि्वटर कैंपेन के जरिए जाहिर किया। वर्ष 2019 के अक्टूबर के महीने में बिहार कर्मचारी चयन आयोग 1505 पदों के लिए बहाली निकलता है जिसमें सबसे ज्यादा 1294 पद सहायक उर्दू अनुवादक (विज्ञापन संख्या-01/2019), उसके बाद 202 पद उर्दू अनुवादक (विज्ञापन संख्या-02/2019) और राज्य- भाषा सहायक उर्दू अनुवादक अनुवादक (विज्ञापन संख्या- 03/2019)9 पद थे। लगभग ढाई वर्ष के समय बाद राजभाषा उर्दू अनुवादक की भर्ती प्रक्रिया पूरी तरह से पूरी कर ली गई है और उर्दू अनुवादक का 149 चयनित छात्रों की मेघा सूची जारी कर दी गई है। इन तीनों बहालियो सबसे ज्यादा अभ्यार्थी सहायक उर्दू अनुवादक में थे। करीब 75000 छात्र 1294 पदों के लिए फॉर्म भरे थे। 1 वर्ष और 4 महीने लंबी अवधि बाद इसकी प्रारंभिक परीक्षा बिहार कर्मचारी चयन आयोग 28 फरवरी 2021 को लेता है। पीटी परीक्षा बाद अभ्यर्थियों को परिणाम के लिए लंबा इंतजार कराया जाता है।छात्रों द्वारा ट्विटर पर आंदोलन करने के बाद 4 महीने और 9 दिन के बाद परीक्षा परिणाम प्रकाशित किया जाता है जिसमें 5300 अभ्यर्थी सफल हुए थे। फिर प्रति छात्र 700 रुपए लेकर मुख्य परीक्षा का फॉर्म भराया जाता है।मुख्य परीक्षा दिनांक 19 सितंबर 2021 को ली जाती है तब से लेकर आज तक परीक्षा परिणाम घोषित नहीं किया जाए गया है। लगभग 10 महीने का लंबा वक्त गुजर गया है जिसको लेकर अभ्यर्थियों में आक्रोश है। सोमवार, 4 जुलाई 2022 को ट्विटर कैंपेन के जरिए छात्रों ने विरोध दर्ज किया और अपना हैशटैग #BSSC_URDU_RESULT_2019 घंटों ट्रेंड कराया। बिहार में उनका हैशटैग रात के 10:00 बजे तक नंबर वन ट्रेंड किया। छात्रों में जबरदस्त दुख और आक्रोश है। उनका कहना है कि सरकार उनकी फरियाद नहीं सुनेगी तो सड़क से लेकर सदन तक आंदोलन होगा और भूख हड़ताल होगा करेंगे। उनका कहना है कि आयोग जानबूझकर बहाली पूरा करने में विलंब कर रहा है और यह कोशिश की जा रही है किसी तरह ज्यादा से ज्यादा पदों को खाली रखा जाए। आयोग नए एनसीएल को भी मान्य नहीं कर रही है जबकि हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक का आदेश है नए एनसीएल को मान्य करने का। आयोग पूरे बहाली में पारदर्शिता भी नहीं दिखा रहा है। टि्वटर कैंपेन के जरिए छात्रों को उम्मीद है कि बिहार के मुख्यमंत्री उनकी गुहार सुनेंगे।
इस अभियान को एडवोकेट नाज़नीन अख्तर, तबस्सुम परवीन, गुलफशा,आफरीन मोहम्मद आमिर,अकील अजहर, रिजवान आलम, शमश तबरेज, अफरोज,एहतेदा आलम, अतहर इमाम,और पूरी टीम ने मिल कर चलाया।।