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बिहार सरस मेला सुपर हिट रहा और इसका श्रेय जीविका दीदियों को जाता है:आमिर सुब्हानी

पटना:ग्रामीण शिल्प एवं उत्पाद को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से गाँधी मैदान , पटना में आयोजित बिहार सरस मेला का गुरुवार को समापन हो गया l 15 दिनों तक चले बिहार सरस मेला का आयोजन बिहार ग्रामीण जीविकोपार्जन समिति, जीविका ( ग्रामीण विकास विभाग, बिहार सरकार ) द्वारा 15 से 29 दिसंबर तक किया गया l 15 दिनों तक चले बिहार सरस मेला से लगभग साढ़े पंद्रह करोड़ रुपये के उत्पादों एवं व्यंजनों की खरीद –बिक्री हुई l साढ़े तेरह लाख से ज्यादा लोग आये l

समापन समारोह में श्री आमिर सुबहानी, मुख्य सचिव , बिहार सरकार ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की l इस अवसर पर श्री आमिर सुबहानी जी अपने संबोधन में कहा कि बिहार सरस मेला सुपर हिट रहा है और इसका श्रेय जीविका दीदियों को जाता है l उन्होंने कहा कि बिहार सरस मेला और जीविका दीदियों की पहचान राष्ट्रीय स्तर पर है l अपने मंचीय संबोधन में माननीय मुख्य सचिव महोदय ने अगले सरस मेला के लिए मेला में आये सभी स्वयं सहायता समूह की ग्रामीण शिल्पकारों को आमंत्रण भी दिया l श्री आमिर सुबहानी जी ने दर्शकों को संबोधित करते हुए यह बताया कि बिहार के लिए यह ख़ुशी की बात है कि आगामी 5 जनवरी को माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी और देश के अन्य गणमान्य व्यक्तित्व के समक्ष जीविका द्वारा किये जा रही कार्यों की प्रस्तुति मेरे और श्री राहुल कुमार, मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी, जीविका द्वारा प्रस्तुत किया जाएगा l इससे पूर्व मंच पर आगत अतिथियों का स्वागत श्री राहुल कुमार, मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी, जीविका ने किया l अपने स्वागत संबोधन में श्री राहुल कुमार ने कहा कि बड़ी ख़ुशी की बात है कि बिहार में इतना बड़ा आयोजन सफलता पूर्वक आयोजित किया गया l श्री राहुल कुमार ने कहा कि मेला का उदेश्य ग्रामीण शिल्प एवं शिल्पकारों को प्रोत्साहन देना है और यह आयोजन अपने उद्देश्यों में सफल रहा है l

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मंच से स्टॉल धारकों में से सर्वश्रेष्ठ बिक्री करनेवाली जीविका दीदियों ने अपने जीवन में आये बदलाव और सरस मेला को लेकर अपना अनुभव साझा किया l लहठी और चूड़ी की निर्माण एवं बिक्री करनेवाली कुरैशी खातून ने कहा कि जीविका के सहयोग से उनके जीवन में खुशहाली आई है l इसके लिए उन्होंने जीविका का आभार व्यक्त किया l पीतल एवं कांस्य का व्यवसाय करनेवाली कमलेश्वरी देवी ने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि जब वो पहली बार सरस मेला में आई थी तब उन्होंने लगभग ढाई लाख रुपये का उत्पाद बेचा था और इस बार पांच लाख से ज्यादा का कारोबार किया है l वहीँ दीदी की रसोई, भोजपुर की सदस्य लीला देवी ने बताया कि कल तक हम सभी घर में ही खाना बनाते और खिलाते थे लेकिन अब मानसिक आरोग्यशाला, कोइलवर में मानसिक रोगियों और वहां आने वाले लोगों के लिए नास्ता, खाना और चाय बनाते हैं और परोसते भी हैं l उन्होंने कहा कि जीविका ने हुनर को रोजगार से जोड़ा है l अब उनके जीवन के गम के आंसू ख़ुशी के आंसू में तब्दील हो गए हैं l इस अवसर पर स्टॉल धारकों को प्रमाण पत्र भी वितरित किया गया l

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समापन कार्यक्रम के अंत में मंचासीन अतिथियों को स्मृति चिन्ह प्रदान किया गया l मंच पर संजय कुमार सिंह, श्री समीर कुमार, राज्य परियोजना प्रबंधक, जीविका एवं श्री पवन प्रियदर्शी, परियोजना प्रबंधक, जीविका समेत कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे l अंत में धन्यवाद ज्ञापन श्री राम निरंजन सिंह, निदेशक ,जीविका ने किया l

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जीविका, ग्रामीण विकास विभाग, बिहार सरकार द्वारा आयोजित बिहार सरस मेला में बिहार समेत आँध्रप्रदेश, आसाम, छत्तीसगढ़, दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, झारखण्ड, केरला, कर्नाटका, मध्य प्रदेश, मणिपुर, महारष्ट्र, मेघालय, ओड़िसा, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड, एवं पश्चिम बंगाल से आई स्वयं सहायता समूह से जुडी ग्रामीण शिल्पकार एवं स्वरोजगारी अपने-अपने प्रदेश के शिल्प, उत्पाद, परंपरा, संस्कृति एवं व्यंजन को लेकर उपस्थित हुए l
प्राचीन संस्कृतियों का पुनर्मिलन, विलुप्त हो रही कलाकृतियों को प्रोत्साहन एवं कल तक घर की चाहरदीवारी में कैद हुनर का बड़े कैनवास पर प्रदर्शन एवं बिक्री बिहार सरस मेला में देखने को मिला l एक तरफ ग्रामीण शिल्प एवं कलाकृतियों को प्रोत्साहन और बाज़ार तो दूसरी तरफ ग्रामीण हुनर को सम्मान मेला के माध्यम से मिला l स्वयं सहायता समूह से जुडी ग्रामीण महिलाओं के हुनर, आत्मनिर्भरता और स्वावलंबन के विविध रंगों को का समावेशन भी सरस मेला में प्रदर्शित हुआ l

मेला के शुभारंभ दिन से ही मेला और मेला के उत्पादों एवं व्यंजनों के शौकिनो का आगमन होना शुरू हो गया था l पहले ही दिन 50 हजार से ज्यादा लोग आये l आगंतुकों की संख्या में प्रतिदिन इजाफा होता गया l मेला के प्रति लोगों का क्रेज ही है कि छुट्टी के दिन सवा लाख से ज्यादा और खासकर 25 दिसंबर को डेढ़ लाख से ज्यादा ग्रामीण शिल्प, लोक कलाकृतियाँ, उत्पाद और देशी व्यंजनों के कद्रदान आये l इसके साथ ही जीविका दीदियों द्वारा संचालित ग्राहक सेवा केंद्र, दीदी की पौधशाला, दीदी की रसोई आकर्षण के खास केंद्र रहे l प्रतिदिन सांस्कृतिक कार्यक्रम, समसामयिक मुद्दों पर परिचर्चा और सामाजिक कुरीतियों के उन्मूलन हेती लघु एवं नुक्कड़ नाटकों की प्रस्तुति मनमोहक रहे l बच्चों के लिए पलना घर , फन जोन और बाइस्कोप आकर्षण के खास केंद्र रहे l बच्चों ने यहाँ खूब मस्ती की l

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विभिन्न विभागों, संस्थानों, गैर एवं सरकारी बैंकों द्वारा आगंतुकों को विभिन्न योजनाओं से रूबरू कराया गया lबिहार सरस मेला में कुशल प्रबंधन एवं स्वच्छता की बानगी देखने को मिली l मेला प्रबंधन का कार्य जीविका दीदियों ने संभाला lघास , बालू , लकड़ी के बुरादा आदि से बनी कलाकृतियाँ, सूट, लहठी, चूड़ियां, खादी के परिधान , सीप,कास्यं, पीतल, पत्थर,घास एवं जुट आदि से बनी कलाकृतियाँ, टेराकोटा, लकड़ी से फर्नीचर, झूले, दरी-कालीन, चादर , रसोई घर के सामान और बचपने के खिलौने, बांस एवं जुट से बने उत्पाद, सिक्की कला, मधुबनी पेंटिंग, फुलकारी कला, बुटिक प्रिंट की साड़िया, सिल्क एवं मलबरी से बनी साड़िया, जनजातीय कबीलों द्वारा बनाये गए गहने, घर और बाहर के साज-सज्जा के सामान, फर्नीचर, दरी- कालीन, कतरनी चावल एवं चुडा, अचार, अदवरी-दनावरी, पापड़ चने की साग-मक्के की रोटी , राजस्थानी पकौड़े-चाट , मशरूम से बने खाद्य पदार्थ, जीविका मध् के स्वाद एवं खुशबु से आगंतुकों को सराबोर हुए l जीविका दीदियों द्वारा संचालित जे _वायर्स के स्टॉल से सौर्य उर्जा से चालित बल्ब , चूल्हा आदि की बिक्री हुई l
सरस रसोई परिसर में बने फ़ूड जोन से आगंतुकों ने विभिन्न प्रदेशों के शुद्ध एवं स्वादिष्ट व्यंजनों का स्वाद चखा l जीविका दीदी द्वारा संचालित दीदी की रसोई से देशी, शुद्ध, स्वादिष्ट एवं पौष्टिक व्यंजनों का स्वाद के शौकिनो ने लुत्फ़ उठाया l फिर भी समापन के दिन आगंतुक महिलाओं ने कहा बड़ा जल्दी ख़तम हो गया मेला l अभी तो खरीददारी बाकि ही थी l मन ही नहीं भरा l

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