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शिवहर लोकसभा चुनाव 2024:स्थानीय बनाम बाहरी उम्मीदवार का मुद्दा होने की प्रबल संभावना

मेराज नूरी 

उत्तर बिहार की एक अहम लोकसभा सीट शिवहर में इस बार समीकरण(सीधा मुकाबला) तो बदलते हुए नहीं दिखाई दे रहे हैं लेकिन चेहरे का बदलना तय माना जा रहा है।ऐसा इसलिए क्योंकि हालिया दिनों में स्थानीय बनाम बाहरी की बात अधिक होती हुई नजर आती है ।कहा ये जा रहा है कि जिस सरजमीं को पंडित रघुनाथ झा,अनवारुल हक और हरिकिशोर सिंह जैसे राजनीतिज्ञ ने सींचा उस पर हालिया वर्षों में राजनैतिक दल ने बाहरी उम्मीदवार थोप दिया जो इस क्षेत्रवासियों के लिए अन्याय है। हालांकि चुनाव नजदीक आते या चुनाव के वक्त या फिर राजनीतिक दलों के द्वारा प्रत्याशी उतारे जाने तक ये भावना कौन रुख अख्तियार करती है ये कहना अभी उचित नहीं।फिर भी आगामी चुनाव 2024 के मद्दे नजर ये अहम फैक्टर है जिस पर राजनीतिक दल मंथन करने पर जरूर मजबूर होंगे।

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फिलहाल भाजपा की रमा देवी यहां की सांसद हैं और 2009,2014 और 2019 का चुनाव जीत कर 3 बार प्रतिनिधित्व कर रही हैं।लेकिन वो भी बाहरी हैं।रमा देवी ने 2019 में जिन्हे पराजित किया वो फैसल अली भी यहां के नहीं है बल्कि बाहरी उम्मीदवार का ठप्पा उनपर भी लगा है।पिछले लोकसभा चुनाव 2019 में शिवहर लोकसभा क्षेत्र से बीजेपी की रमा देवी ने राजद के सैयद फैसल अली को 3,40,360 मतों से हराया। रमा देवी को 6,08,678 मिले। वहीं सैयद फैसल अली को 268318 मत प्राप्त हुए।इससे पहले वर्ष 2014 में रमा देवी ने राजद के मोहम्मद अनवारुल हक को 136239 वोटों से हराया था।2004 के चुनाव में आरजेडी के टिकट पर सीताराम सिंह जीतकर लोकसभा पहुंचे।1999 के चुनाव में शिवहर सीट से आरजेडी के ही अनवारुल हक ने जीत हासिल की थी।

 

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शिवहर बिहार का सबसे छोटा जिला है।6 अक्टूबर 1994 को यह जिला अस्तित्व में आया।जिला बनने से पहले तक यह सीतामढ़ी जिला का अनुमंडल हुआ करता था।यह जिला तीन जिला से घिरा हुआ है। इसके उत्तर-पूर्व में सीतामढ़ी, पश्चिम में पूर्वी चम्पारण और दक्षिण में मुजफ्फरपुर जिला है।बाद में ये लोकसभा क्षेत्र बना।यह सामान्य श्रेणी की संसद सीट है।शिवहर संसदीय क्षेत्र में तीन जिलों की 6 विधानसभा सीटें आती हैं।इनमें पूर्वी चंपारण जिले के 3 क्षेत्र- मधुबन, चिरैया और ढाका, शिवहर जिले का शिवहर, सीतामढ़ी जिले का रीगा और बेलसंड विधानसभा क्षेत्र शामिल है।

 

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शिवहर संसदीय सीट पर एससी मतदाताओं की संख्या लगभग 237,071 है जो 2011 की जनगणना के अनुसार लगभग 13.5% है।मुस्लिम मतदाताओं की संख्या लगभग 314,456 है जो मतदाता सूची विश्लेषण के अनुसार लगभग 17.9% है। ग्रामीण मतदाताओं की संख्या लगभग 1,636,668 है जो 2011 की जनगणना के अनुसार लगभग 93.2% है।शहरी मतदाता लगभग 119,414 हैं जो 2011 की जनगणना के अनुसार लगभग 6.8% है।अगर जातीय समीकरण पर नजर डालें तो शिवहर लोकसभा में जातीय समीकरण के आधार पर चुनाव होता आ रहा है। लोकसभा शिवहर में सबसे ज्यादा वैश्य जाति के 25 फीसदी,स्वर्ण जाति के 17 फीसदी, मुस्लिम के 18 फीसदी तथा पिछड़ी जातियाें के 20 फीसदी मत शिवहर लोकसभा में है।

 

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शिवहर संसदीय क्षेत्र पारंपरिक तौर पर राजद के खाते में रहा है।साल 1984 में यहां कांग्रेस का प्रभुत्व रहा लेकिन 1989 में यहां जनता दल ने जीत अर्जित की और हरिकिशोर सिंह यहां से सांसद बने। वो लगातार दो बार इस सीट पर विजयी हुए। साल 1996 में यहां पर समता पार्टी की जीत हुई और आंनद मोहन सिंह सांसद चुने गए वो 1998 में भी यहां से एमपी बने लेकिन इस बार वो राष्ट्रीय जनता पार्टी से चुनाव में उतरे थे। साल 1999 में यहां राजद ने बाजी मारी और साल 2004 में भी ये सीट राजद के ही नाम रही और सीताराम सिंह सांसद चुने गए लेकिन साल 2009 में ये सीट भाजपा के नाम हो गई और रमा देवी यहां से लोकसभा पहुंचीं, साल 2014 और 2019 में भी उन्होंने यहां जीत दर्ज की।

 

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अगर पार्टी के हिसाब से बात करें तो हार जीत का पूर्वानुमान लगाना ज्यादा कठिन प्रतीत नहीं होता।क्योंकि लोकसभा क्षेत्र के मधुबन, चिरैया,ढाका और रीगा विधानसभा पर भाजपा का कब्जा है जबकि मात्र दो विधानसभा बेलसंड और शिवहर पर आज की महागठबंधन के धरे राजद का कब्जा है।कुल मिलाकर शिवहर लोकसभा चुनाव 2024 पार्टी की सतह पर तो नहीं लेकिन चेहरे के तौर पर पिछले चुनाव से भिन्न होता हुआ दिखाई दे रहा है।कौन किसको टिकट देता है,कौन राजनीतिक दल किस हिसाब से चाल चलता है ये अभी भविष्य के गर्त में है लेकिन लोगों का जो रुझान देखने को मिल रहा है उससे एक बात साफ झलक रही है कि 2024 में शिवहर लोकसभा चुनाव में बाहरी बनाम स्थानीय चेहरे का मुद्दा महत्वपूर्ण हो सकता है।

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