नेशनलिस्ट भारत डेस्क
आज के इस लेख में हम बात करेंगे बिहार की राजधानी पटना के पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र की जहां पर अब तक भाजपा का कमल ही खिला है।लाख जतन के बावजूद यहां भाजपा को कोई नहीं हरा सका है।लेकिन जातिगत गणना के बाद बने नए राजनीतिक समीकरण और नीतीश कुमार के इंडिया गठबंधन में शामिल होने से इस बार के चुनाव में भाजपा को कड़ी टक्कर मिल सकती है।
जी हां।बिहार की हाई प्रोफाईल सीटों में एक पटना साहिब लोकसभा सीट भी है। इस सीट का चुनावी इतिहास ज्यादा लंबा तो नहीं है लेकिन दिलचस्प बहुत है।साल 2008 में परिसीमन के बाद यह सीट अस्तित्व में आई थी और साल 2009 में पहला लोकसभा चुनाव हुआ था।तब से अभी तक यहां पर सिर्फ कमल ही खिला है।बीजेपी की टिकट पर बिहारी बाबू यानी शत्रुघ्न सिन्हा इस सीट से पहले सांसद बने थे।
नए परिसीमन से अस्तित्व में आई पटना साहिब सीट 2009 के चुनाव के बाद से भाजपा का गढ़ बन गयी है। भाजपा के शत्रुघ्न सिन्हा ने यहां से राजद के विजय यादव को हराया था। कांग्रेस के शेखर सुमन तीसरे नंबर पर रहे थे। वर्ष 2014 में भी शत्रुघ्न सिन्हा ने अपने विरोधी और कांग्रेस के उम्मीदवार कुणाल सिंह को हराया। शत्रुघ्न सिन्हा यहां से दो बार सांसद रहे हैं। 2019 में शत्रुघ्न सिन्हा ने भाजपा का साथ छोड़ कांग्रेस का हाथ थाम लिया, लेकिन शायद जनता को यह बात रास नहीं आई। कमल खिलाने के लिए भाजपा ने अपनी परंपरागत सीट से रविशंकर प्रसाद को उतारा। भाजपा का दांव चल गया और रविशंकर प्रसाद ने शत्रुघ्न सिन्हा को चुनावी मैदान में पटखनी दे दी। कायस्थ बहुल इस सीट पर भाजपा को आधार वोट बैंक सवर्ण, अतिपिछड़ा के अलावा दलितों पर भरोसा है।ये सीट बीजेपी का अभेद्य गढ़ मानी जाती है।इस सीट पर कायस्थ वोटरों का बोलबाला है, लिहाजा अभी तक सिर्फ कायस्थ वोटर ही लोकसभा पहुंचा है।पटना साहिब लोकसभा सीट पर भाजपा ने जीत की हैट्रिक लगाई।ऐसे में 2024 का चुनाव भी इस मायने में अहम माना जा रहा है कि क्या यहां से फिर से भाजपा जीत कर अपना दबदबा बनाए रखेगी या फिर नया इतिहास रचेगा।
पटना साहिब लोकसभा सीट के अंतर्गत आनेवाली विधानसभा सीटों के 2019 के परिणामों को देखें तो बीजेपी यहां मजबूत स्थिति में दिखाई पड़ती है। पटना साहिब लोकसभा क्षत्र के छह में से चार सीट पर भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है। पटना साहिब लोकसभा में बख्तियारपुर, फतुहा, पटना साहिब, कुम्हरार, बांकीपुर और दीघा विधानसभा क्षेत्र आते हैं। इसमें बख्तियारपुर और फतुहा पर राजद का कब्जा है। अन्य चार पर भाजपा के विधायक हैं।
इन सबके बीच सियासी गलियारों में यह चर्चा तेज़ है कि पटना साहिब लोकसभा सीट पर इस बार के चुनाव में भाजपा को कड़ी टक्कर मिल सकती है। इसकी सबसे बड़ी वजह नीतीश कुमार का ‘INDIA गठबंधन’ के साथ जाना और जातिगत गणना के बाद बना नया राजनीतिक समीकरण है।