Nationalist Bharat
ब्रेकिंग न्यूज़

कौन हैं चंपई सोरेन जो बनने जा रहे हैं झारखण्ड के अगले मुख्यमंत्री

रांची:एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में ईडी ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को गिरफ्तार कर लिया है। गिरफ्तारी ऐसे समय हुई है जब देश में लोकसभा के चुनाव नजदीक है।ये गिरफ्तारी इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि पिछले कुछ महीनो से यह कयास लगाए जा रहे थे कि हेमंत सोरेन कभी भी गिरफ्तार हो सकते हैं। आज की गिरफ्तारी के राजनीतिक मायने भी निकाले जा रहे हैं।

 

Advertisement

इस बीच झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक दल की बैठक में झारखंड के नए मुख्यमंत्री के लिए हेमंत सोरेन सरकार में वरिष्ठ मंत्री और झारखंड बनने के आंदोलन में अहम भूमिका निभाने वाले चंपई सोरेन को विधायक दल का नेता चुन लिया गया है और उन्होंने सरकार बनाने का दावा भी पेश कर दिया है।चंपई सोरेन-हेमंत सोरेन सरकार में वरिष्ठ मंत्री और सरायकेला -खरसावां जिले के जिलिंगगोड़ा गांव के किसान सिमल सोरेन के सबसे बड़े बेटे हैं। चंपई सोरेन किसान परिवार से आते हैं और खेती किसानी उनका पुश्तैनी पेश रहा है।चंपई सोरेन ने भी अपने पिता के साथ उनके खेतों में काम किया है। बात अगर चंपई सोरेन के शिक्षा की की जाए तो चंपई सूर्य ने 10वीं कक्षा तक की शिक्षा सरकारी स्कूल से प्राप्त की। इस दौरान उनकी कम उम्र में शादी हो गई और उनके चार बेटे और तीन बेटियां हुईं।वर्तमान में वह झारखंड मुक्ति मोर्चा पार्टी से सरायकेला विधानसभा सीट से विधायक हैं। कैबिनेट मंत्री के रूप वह हेमंत सोरेन सरकार में परिवहन, अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग की जिम्मेदारी संभाल रहे थे।

 

Advertisement

आज जबकि झारखंड के मुख्यमंत्री के तौर पर चंपई सोरेन का चुनाव विधायक दल की बैठक में किया गया है तो यह जानना भी जरूरी है कि आखिर हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद उनके किसी करीबी पारिवारिक व्यक्ति को मुख्यमंत्री न बनाकर झारखंड मुक्ति मोर्चा ने चंपई सोरेन पर भरोसा क्यों जताया हैं। इसके पीछे की कहानी भी बहुत ही दिलचस्प है। दरअसल चंपई सोरेन ने 90 के दशक के अंत में शिबू सोरेन के साथ झारखंड आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया और जल्द ही उन्हें ‘झारखंड टाइगर’ के रूप में प्रसिद्धि मिल गई। उन्होंने सरायकेला सीट पर उपचुनाव के जरिए निर्दलीय विधायक बनकर अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की। शिबू सोरेन के विश्वास पात्र होने की वजह से ही चंपई सोरेन को शुरू से ही झारखंड की राजनीति में अहमियत दी जाती रही है। आपको याद होगा कि जब झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष शिबू शरण ने भारतीय जनता पार्टी के साथ मिलकर सरकार बनाई थी तो उस सरकार में भी चंपई सूरन को अहम भूमिका दी गई थी।चंपई सोरेन को अर्जुन मुंडा के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री नियुक्त किया गया था। इस अवधि के दौरान उनके पास महत्वपूर्ण मंत्रालय थे। उन्होंने 11 सितंबर 2010 से 18 जनवरी 2013 तक मंत्री के रूप में कार्य किया।

 

Advertisement

2005 में चंपई पहली बार विधायक बने

बात अगर झारखंड के नए होने वाले मुख्यमंत्री की की जाए तो चंपई सोरेन 2005 में पहली बार झारखंड विधानसभा के लिए चुने गए थे। इसके बाद 2009 में भी विधायक बने। उन्होंने सितंबर 2010 से जनवरी 2013 तक विज्ञान और प्रौद्योगिकी, श्रम और आवास मंत्री की जिम्मेदारी संभाली। वहीं जुलाई 2013 से दिसंबर 2014 तक खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति, परिवहन कैबिनेट मंत्री थे। चंपई सोरेन 2014 में तीसरी बार झारखंड विधानसभा के लिए चुने गए। वहीं चंपई सोरेन 2019 में चौथी बार विधायक बने। इसके साथ ही वह हेमंत सरकार में परिवहन, अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री बन गए। इस बीच राज्य में हेमंत सोरेन की सरकार बनी तो चंपई सोरेन खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति और परिवहन मंत्री बने। और आज एक बार फिर चंपई सोरेन की किस्मत ने करवट बदली और वह झारखंड के अगले मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेने वाले हैं।

Advertisement

 

क्या है जमीन घोटाले का पूरा मामला

Advertisement

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की जिस मामले में गिरफ्तारी हुई है वह मामला जमीन से जुड़ा हुआ है।जमीन घोटाले के मामले में जांच एक सर्कल अधिकारी (सीओ) से शुरू हुई थी। इसके बाद यह जांच आगे बढ़ी और बात रजिस्ट्रार कार्यालय तक पहुंची। जिससे खुलासा हुआ कि फर्जी दस्तावेजों के जरिए सैकड़ों एकड़ जमीन का फर्जी सौदा हुआ है और इसमें छोटे से बड़े कार्यालयों के अधिकारी और बड़े-बड़े कारोबारी भी शामिल हैं। जाहिर है इतने बड़े फर्जी मामले में जब जांच आगे भारी तो इन सबके तार आखिर में मुख्यमंत्री तक जुड़ रहे थे। मीडिया में आई रिपोर्ट के अनुसार जमीन के सौदे का यह मामला सेना की जमीन के सौदे से जुड़ा हुआ है। आरोप है कि फर्जी नाम और पते के आधार पर सेना की जमीन की खरीद और बिक्री हुई। इस मामले में रांची नगर निगम ने प्राथमिकी दर्ज करवाई थी। ईडी ने उसी प्राथमिकी के आधार पर ईसीआईआर (प्रवर्तन मामले की सूचना रिपोर्ट) दर्ज की थी और जांच शुरू की थी। आपको याद होगा कि इस मामले में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ईडी ने कई बार सम्मन जारी करके पूछताछ के लिए बुलाया था।सोरेन को इस मामले में बार-बार समन जारी किया जा रहा था। जमीन घोटाले के मामले में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के एक अधिकारी छवि रंजन और दो व्यापारियों सहित चौदह लोगों को गिरफ्तार किया गया था। छवि रंजन झारखंड के समाज कल्याण विभाग के निदेशक और रांची के उपायुक्त के रूप में कार्यरत थे।

 

Advertisement

अवैध खनन में धनशोधन मामला

जांच एजेंसी जमीन घोटाले के अलावा अवैध खनन में धनशोधन की जांच कर रही है। एजेंसी ने इसके तहत सोरेन के मीडिया सलाहकार, साहिबगंज जिले के अधिकारियों और एक पूर्व विधायक के परिसरों पर छापेमारी की थी। ईडी ने साहिबगंज जिले में कुल 28 जगहों पर छापेमारी की थी। इस दौरान उसने दावा किया था कि उसे कई अहम दस्तावेज और सबूत हाथ लगे हैं। एजेंसी ने सोरेन के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा के घर से 5.31 करोड़ रुपये जब्त किए थे और बताया था कि उनके 27 बैंक खातों में 11 करोड़ रुपये जमा थे। इसके बाद ईडी ने पंकज मिश्रा को भी समन जारी किया था और फिर पीएमएलए के तहत उनकी गिरफ्तारी की थी।

Advertisement

 

Advertisement

Related posts

अमीर-ए-शरीयत का चुनाव इमारत के संविधान के मुताबिक फुलवारीशरीफ़ मुख्यालय में अतिशीघ्र हो:इमारत तहफ़्फ़ुज़ कमिटी

Nationalist Bharat Bureau

बिहार राज्य अल्पसंख्यक वित्तीय निगम के मैनेजिंग डाइरेक्टर से मिले किशनगंज विधायक

Nationalist Bharat Bureau

केंद्रीय विद्यालयों में सांसद,जिलाधिकारी दाखिला कोटा स्थगित،मोदी ने की सराहना

Nationalist Bharat Bureau

Leave a Comment