मोदी सरकार ने गुरुवार को कैबिनेट बैठक में ‘एक देश, एक चुनाव’ विधेयक को मंजूरी दे दी है। सूत्रों के मुताबिक, अब सरकार इस विधेयक को संसद में पेश करने की तैयारी कर रही है, और यह बिल आगामी शीतकालीन सत्र में सदन के पटल पर रखा जा सकता है। हालांकि, इससे पहले एक संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का गठन किया जाएगा, जो सभी दलों के सुझावों पर विचार करेगी।
रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बनी एक समिति ने पहले ही सरकार को ‘एक देश, एक चुनाव’ से संबंधित अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। इस विधेयक के कानून बनने के बाद देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ आयोजित करने की दिशा में कदम बढ़ाए जाएंगे। वर्तमान में भारत में विभिन्न राज्यों में अलग-अलग समय पर चुनाव होते हैं, लेकिन इस विधेयक के लागू होने से यह प्रक्रिया एक साथ हो सकेगी।
‘एक देश, एक चुनाव’ का प्रस्ताव भारत में लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनावों को एक ही समय पर आयोजित करने की बात करता है, और यह बीजेपी के चुनावी एजेंडे का अहम हिस्सा है। इस प्रस्ताव का मुख्य उद्देश्य चुनावी खर्चों में कमी लाना है।
गौरतलब है कि भारत में 1951 से 1967 तक लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ होते थे। लेकिन नए राज्यों के गठन और कुछ पुराने प्रदेशों की पुनर्संरचना के बाद 1968-69 में इसे बंद कर दिया गया था। पिछले कुछ वर्षों से इस प्रणाली को फिर से लागू करने पर विचार किया जा रहा है।

