पटना:छपरा, बिहार का एक छोटा-सा शहर, जहाँ गंगा की लहरें और गंगा-जमुनी तहज़ीब की खुशबू बस्ती-बस्ती में बिखरी है। इसी शहर के वार्ड 42, बड़ा तेलपा चौक में रहते हैं तारिक़ अनवर, एक युवा सामाजिक कार्यकर्ता, जिन्हें लोग प्यार से “रक्तवीर” कहते हैं। तारिक़ की ज़िंदगी एक ऐसी मिसाल है, जो न सिर्फ़ मानवता की सेवा का जज़्बा जगाती है, बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव की एक लौ भी जलाती है।
गुरुवार 8 मई को विश्व के लगभग 190 देशों में कार्यरत अंतर्राष्ट्रीय संस्था इंटरनेशनल रेड क्रॉस सोसाइटी डे के मौके पर इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी छपरा द्वारा आयोजित प्रोग्राम में डीडीसी सारण (उप विकास आयुक्त,सारण) यतेंद्र कुमार पाल (भा०प्र०से०) द्वारा रक्तदान के क्षेत्र में काम करने पर तारिक अनवर को सम्मानित किया गया ।इस मौके पर संस्था की सेक्रेटरी जीनत मसीह, गंगा सिंह महाविद्यालय के प्राचार्य प्रमेंद्र रंजन, सीपीएस छपरा के निर्देशक हरेंद्र, मेरे सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य शहजाद साहब आदि छपरा के कई प्रोफेसर, अध्यापक, सामाजिक कार्यकर्ता, रेड क्रॉस सोसायटी के सदस्य मौजूद थे ।

रक्तदान: एक निस्वार्थ सेवा
तारिक़ अनवर ने अब तक 16 बार रक्तदान किया है, और यह आँकड़ा उनके लिए सिर्फ़ एक संख्या नहीं, बल्कि अनगिनत ज़िंदगियों को बचाने का प्रतीक है। उनकी अगुवाई में छपरा, पटना और बिहार के कई ज़िलों में 25 से ज़्यादा स्वैच्छिक रक्तदान शिविर आयोजित हो चुके हैं, जिनके ज़रिए हज़ारों लोगों को ज़रूरत के वक़्त रक्त उपलब्ध कराया गया। लेकिन तारिक़ का मिशन यहीं नहीं रुकता। उन्होंने “हर घर रक्तदाता, घर-घर रक्तदाता” नामक एक अनूठी मुहिम शुरू की, जिसका मक़सद है हर घर में कम से कम एक रक्तदाता तैयार करना।तारिक़ बताते हैं, “रक्तदान का कोई विकल्प नहीं है। यह ऐसा दान है, जो धर्म, जाति और समुदाय की दीवारों को तोड़कर सिर्फ़ इंसानियत की बात करता है।” उनकी यह सोच उनके काम में साफ़ झलकती है। वह और उनकी टीम डोर-टू-डोर जाकर लोगों से मिलते हैं, रक्तदान को लेकर फैली भ्रांतियों और झिझक को दूर करते हैं। वे रक्तदान के फायदों के बारे में बताते हैं और लोगों को प्रेरित करते हैं। इसके बाद, वे जागरूक लोगों का नाम, पता, मोबाइल नंबर और ब्लड ग्रुप दर्ज कर एक सूची तैयार करते हैं। यह सूची आपातकाल में किसी की जान बचाने का सबसे बड़ा हथियार बनती है।

रक्तवीर: असली योद्धा
तारिक़ के लिए रक्तदान सिर्फ़ एक सामाजिक कार्य नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक अनुभव है। वह कहते हैं, “रक्तवीर असली योद्धा हैं। वे अपने खून से न सिर्फ़ ज़िंदगियाँ बचाते हैं, बल्कि हिंदुस्तान की सभ्यता, संस्कृति और गंगा-जमुनी तहज़ीब को भी मज़बूत करते हैं।” उनकी यह बातें सुनकर लगता है कि उनके लिए रक्तदान सिर्फ़ शारीरिक नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का भी प्रतीक है।
सामाजिक कार्यों का सितारा
तारिक़ का योगदान सिर्फ़ रक्तदान तक सीमित नहीं है। शिक्षा और पर्यावरण संरक्षण जैसे गंभीर विषयों पर भी उन्होंने समाज में अपनी छाप छोड़ी है। शिक्षा के महत्व पर राज्य स्तर की भाषण प्रतियोगिता जीतकर उन्होंने अपनी वाक्पटुता और विचारशीलता का लोहा मनवाया। इसके अलावा, ज़िला और प्रखंड स्तर पर भी वह दर्जनों भाषण प्रतियोगिताओं में विजेता रह चुके हैं, जहाँ उन्होंने सामाजिक और समसामयिक मुद्दों पर अपने विचारों से लोगों को प्रभावित किया।पर्यावरण संरक्षण के लिए भी तारिक़ सक्रिय हैं। वह पेड़-पौधों की देखभाल और स्वच्छता अभियानों में हिस्सा लेते हैं, ताकि आने वाली पीढ़ियों को एक हरा-भरा और स्वच्छ वातावरण मिले।
सम्मान और पहचान
तारिक़ के इन अथक प्रयासों को समाज ने भी खूब सराहा है। उन्हें ज़िला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर 50 से ज़्यादा पुरस्कार और सम्मान मिल चुके हैं। विभिन्न एनजीओ और सामाजिक संस्थाओं ने उनके योगदान को बड़े मंचों पर न सिर्फ़ सराहा, बल्कि उन्हें एक प्रेरणा के रूप में प्रस्तुत किया।
एक प्रेरणा, एक मिसाल
तारिक़ अनवर की कहानी सिर्फ़ एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि एक ऐसे समाज की है, जो इंसानियत के लिए एकजुट हो सकता है। उनकी मुहिम “हर घर रक्तदाता” न सिर्फ़ रक्तदान को बढ़ावा दे रही है, बल्कि लोगों के दिलों में सेवा और एकता का भाव भी जगा रही है। तारिक़ जैसे रक्तवीर न सिर्फ़ ज़िंदगियाँ बचा रहे हैं, बल्कि समाज को एक बेहतर भविष्य की ओर ले जा रहे हैं।उनका यह सफ़र हमें सिखाता है कि एक छोटा-सा कदम भी बड़ा बदलाव ला सकता है। तो आइए, तारिक़ की इस मुहिम का हिस्सा बनें और हर घर को रक्तदाता बनाएँ, क्योंकि रक्तदान है महादान!

