पश्चिम बंगाल में चल रहे SIR (Special Investigation Report) अभियान का असर अब बिहार के सीमांचल क्षेत्र में भी दिखाई देने लगा है। कटिहार, किशनगंज, अररिया और आसपास के जिलों में लोगों में पुराने दस्तावेज़ों को खोजने की मानो होड़ मच गई है। जो परिवार कभी सीमांचल में रहते थे और रोजगार या रिश्तेदारी के कारण मालदा, रायगंज या सिलीगुड़ी में बस गए, अब वे SIR की जांच प्रक्रिया को पूरा करने के लिए बिहार में अपने पुराने रिकॉर्ड तलाश रहे हैं।
कटिहार का इलाका बंगाल की सीमा से सटा होने की वजह से दोनों तरफ आवागमन और बस्तियां बनना दशकों पुरानी परंपरा है। अब SIR जांच को लेकर सीमांचल से गए लोग अपने नगर निगम क्षेत्र के पार्षदों से फ़ोन, व्हाट्सऐप और अन्य माध्यमों पर दस्तावेज़ों की मांग कर रहे हैं। कटिहार नगर निगम प्रतिनिधि पुराने वार्ड रिकॉर्ड खंगाल रहे हैं और घर-घर की पुष्टि कर दस्तावेज़ भेज रहे हैं।
हालांकि केवल रिकॉर्ड जुटाना ही समस्या नहीं है, परिसीमन के बाद किए गए वार्ड नंबरों में बदलाव ने काम और जटिल बना दिया है। पहले कटिहार सदर का नंबर 142 था, जो परिसीमन के बाद 63 हो चुका है, मगर बंगाल के रिकॉर्ड में अब भी 142 ही दिखाया जा रहा है। कटिहार पार्षद संघ के संरक्षक मनीष उर्फ़ बिट्टू घोष ने माना कि काम चुनौतीपूर्ण है, लेकिन सहायता जारी है। SIR अभियान ने दस्तावेज़ों के साथ सीमांचल और बंगाल के पुराने रिश्तों की यादें भी ताज़ा कर दी हैं।People in Seemanchal Bihar Searching Old Documents After Bengal SIR Drive

